मध्य प्रदेश की शाजापुर जिले की कालापीपल विधानसभा से अभी कांग्रेस नेता कुणाल चौधरी विधायक हैं. इस बार कुणाल चौधरी की मुसीबत बढ़ सकती है. इसकी वजह है कि जिला पंचायत के पूर्व सदस्य चतुर्भुज तोमर ने चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. कालापीपल विधानसभा जातिगत समीकरण हमेशा से भाजपा के पक्ष में रहा है. खाती समाज का यहां दबदबा है और निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा करने वाले चतुर्भज तोमर खाती समाज से आते हैं. अभी तोमर मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मेंबर हैं. साल 2002 में शाजापुर जिला पंचायत के मेंबर भी रहे हैं. गांव तिलावत से सरपंच भी रह चुके हैं.
चतुर्भज तोमर ने साल 2018 में भी टिकट मांगा था. मगर कांग्रेस ने कुणाल चौधरी को टिकट दे दिया. उसके बाद से ही तोमर पार्टी से नाराज चल रहे थे.
वहीं, बीते दिनों पहले पोलाय कलां में हुई राहुल गांधी की सभा में भी चतुर्भुज तोमर को नहीं बुलाया गया था. इससे भी उनकी नाराजगी काफी बढ़ गई. हालांकि, अभी तोमर ने कांग्रेस से त्यागपत्र नहीं दिया है. मगर चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है. 3 साल से पूरी विधानसभा में चतुर्भुज तोमर 4 बार पद यात्रा कर चुके हैं.
AAP ने दिया ऑफर, मगर तोमर ने किया मना
कालापीपल विधानसभा से चुनाव लड़ने का मन बना चुके चतुर्भज तोमर को आम आदमी पार्टी (AAP) ने चुनाव लड़ने का ऑफर दिया था. मगर तोमर निर्दलीय ही चुनाव लड़ने का मन बना चुके हैं.
कालापीपल विधानसभा का गणित
शाजापुर जिले की कालापीपल विधानसभा में जातिगत चुनाव होता है. यहां खाती समाज के 35 हजार वोट हैं. माना जाता है कि खाती समाज का वोटर भाजपा के पक्ष में रहता है. मगर कांग्रेस ने साल 2018 में कुणाल चौधरी को टिकट दिया था.
कुणाल भी खाती समाज से आते हैं और चतुर्भुज तोमर भी. इसलिए अगर अगर तोमर चुनाव लड़ते हैं तो इस बार वोट बिखर सकते हैं. इससे सबसे ज्यादा दिक्कत कुणाल चौधरी को सकती है. हालांकि, कांग्रेस ने अभी तक मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए अपने उम्मीदवारों के नामों का ऐलान नहीं किया है. मगर युवा विधायक कुणाल चौधरी दोबारा कांग्रेस के टिकट के सबसे मजबूत दावेदार हैं.