बिहार की चार रिक्त विधानसभा सीटों के लिए 13 नवंबर को वोट डाले जाने हैं. इन सीटों पर चुनाव प्रचार का आज अंतिम दिन है. 11 नवंबर यानि आज शाम 5 बजे चुनाव प्रचार थम जाएगा. चुनाव प्रचार के दौरान विकास के वादों के साथ ही जिस बात का शोर गूंजता रहा, वह है परिवारवाद. रामगढ़ विधानसभा सीट से लेकर तरारी, बेलागंज और इमामगंज तक, चारों ही सीटों पर फैमिली फाइट हावी है और यहां राजनीतिक दलों से अधिक सियासी परिवारों की साख दांव पर लगी है. किस परिवार का कौन किस सीट से किस दल के टिकट पर चुनाव लड़ रहा है? आइए, नजर डालते हैं.
इमामगंज
गया जिले की इमामगंज विधानसभा सीट के उपचुनाव में हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (लोकतांत्रिक) के प्रमुख जीतनराम मांझी की साख दांव पर है. यह सीट लोकसभा चुनाव में जीत के बाद जीतनराम मांझी के इस्तीफे से ही रिक्त हुई है. केंद्रीय मंत्री मांझी ने अपनी सीट पर परिवार से ही कैंडिडेट दिया है. मांझी की पार्टी से उनकी बहू दीपा मांझी चुनाव मैदान में हैं.
दीपा चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचती हैं तो मांझी परिवार (रिश्तेदार मिलाकर) निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की संख्या चार हो जाएगी. जीतनराम मांझी खुद सांसद हैं और उनके पुत्र संतोष सुमन विधान परिषद सदस्य, समधन ज्योति देवी विधायक. संसद से विधानसभा तक मांझी की पार्टी के पांच नेता सदन में हैं.
रामगढ़
कैमूर जिले की रामगढ़ विधानसभा सीट राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के बेटे सुधाकर सिंह के इस्तीफे से रिक्त हुई है. सुधाकर सिंह लोकसभा चुनाव में बक्सर सीट से सांसद निर्वाचित हुए थे जिसके बाद उन्होंने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था. सुधाकर के इस्तीफे से रिक्त हुई इस सीट पर उपचुनाव में पार्टी ने उनके ही भाई अजीत सिंह को उम्मीदवार बनाया है. रामगढ़ विधानसभा सीट के उपचुनाव में आरजेडी से अधिक सुधाकर सिंह और जगदानंद सिंह की प्रतिष्ठा दांव पर है.
बेलागंज
सन 1998 से 2000 तक, दो साल छोड़ दें तो 1990 से ही बेलागंज सीट से आरजेडी के सुरेंद्र यादव विधानसभा पहुंचते रहे हैं. आम चुनाव में सुरेंद्र यादव जहानाबाद लोकसभा सीट से सांसद निर्वाचित हुए थे. लोकसभा सदस्य निर्वाचित होने के बाद सुरेंद्र यादव ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था.
यह भी पढ़ें: 'नीतीश बेशर्म आदमी हैं, पीठ में छुरा घोंपा', बिहार सीएम पर बुरी तरह भड़के प्रशांत किशोर
सुरेंद्र यादव के इस्तीफे से रिक्त हुई इस सीट पर उपचुनाव में भी आरजेडी ने उन्हीं के परिवार से प्रत्याशी दिया है. सुरेंद्र यादव के पुत्र विश्वनाथ बेलागंज उपचुनाव में आरजेडी के टिकट पर किस्मत आजमा रहे हैं. इस सीट से जेडीयू की उम्मीदवार मनोरमा देवी भी सियासी परिवार से आती हैं. यह सीट आरजेडी और जेडीयू से ज्यादा सुरेंद्र यादव और मनोरमा देवी की फैमिली के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गई है.
यह भी पढ़ें: रामगढ़ उपचुनाव: गाय सबसे बड़ा मुद्दा, मुस्लिम बहुल सीट पर BJP का जोर, ऐसा है जीत का समीकरण
तरारी
आरा जिले की तरारी विधानसभा सीट से विधायक रहे सीपीआई (एमएल) के सुदामा प्रसाद अब सांसद बन गए हैं. आरा लोकसभा सीट से चुनावी जंग जीतने के बाद सुदामा प्रसाद ने विधायकी से इस्तीफा दे दिया था. इस सीट पर हो रहे उपचुनाव में पूर्व विधायक सुनील पांडेय की साख दांव पर लगी है. इस सीट के लिए हुए पिछले छह चुनावों की बात करें तो चार बार सुनील पांडेय विधायक निर्वाचित हुए हैं. सुनील पांडेय एक बार हारे और तब वह दूसरे स्थान पर रहे थे. एक बार उनकी पत्नी गीता पांडेय दूसरे स्थान पर रही थीं. इस बार सुनील पांडेय के बेटे विशाल प्रशांत बीजेपी के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं.