बिमल जुल्का के रिटायर होने के बाद 27 अगस्त से खाली चले आ रहे मुख्य सूचना आयुक्त के पद की तैयारी पूरी कर ली गई है. पूर्व आईएफएस अधिकारी यशवर्धन सिन्हा को सीआईसी बनाने की तैयारी है. वहीं, इस नियुक्ति के पहले विपक्ष ने पद के लिए चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता को लेकर सवाल उठाए हैं.
कांग्रेस पार्टी ने सर्च कमेटी द्वारा (CIC) और सूचना आयुक्तों (IC) के पदों के लिए शॉर्टलिस्ट किए गए नामों को लेकर सरकार को एक असहमति नोट सौंपा था. लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी ने चयन प्रक्रिया के दौरान पारदर्शिता की कमी का आरोप लगाया भी लगाया है.
इन नियुक्तियों को लेकर पिछले सप्ताह प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृह मंत्री और लोकसभा में विपक्ष के नेता सहित उच्च-स्तरीय चयन समिति की बैठक हुई थी. हमारे सहयोगी चैनल इंडिया टुडे के मुताबिक विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी ने CIC और IC के लिए नामों की शॉर्ट लिस्टिंग में पारदर्शिता की कमी की बात बैठक में उठाई थी. उनका कहना था कि सर्च कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया है और चुने गए नामों को सार्वजनिक नहीं किया है. उन्होंने कहा कि कोर्ट ने यह भी कहा था कि केवल ब्यूरोक्रेट्स ही नहीं अन्य क्षेत्रों के लोगों को भी इस पद के लिए शामिल किया जाना चाहिए.
वहीं, इन विवादों के बीच केंद्र सरकार सूचना आयुक्त के अन्य रिक्त पदों को भी भरने की तैयारी में है. सूत्रों का कहना है कि केंद्रीय कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाली सर्च कमेटी ने कुल 139 आवेदकों में से CIC पद के लिए दो नामों को शॉर्टलिस्ट किया था और IC के लिए 355 आवेदकों की सूची में से सात के नामों को मंजूरी दी थी.