आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले में स्थित श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में 1 नवंबर की सुबह एकादशी दर्शन के दौरान भगदड़ मच गई. इस हादसे में 10 श्रद्धालुओं की मौत हो गई, जबकि कई घायल हो गए. मंदिर के संस्थापक पुजारी हरिमुकुंद पांडा ने भगदड़ पर कहा, 'इतने सारे लोग एक साथ आ गए, हम कुछ कर ही नहीं सकते थे.'
उन्होंने घटना के लिए मंदिर प्रबंधन की लापरवाही के आरोपों को खारिज करते हुए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को जिम्मेदार ठहराया. मुख्यमंत्री कार्यालय के बयान के अनुसार, एकादशी पर हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए उमड़े थे. भीड़ के दबाव में अचानक भगदड़ मच गई. बचे हुए श्रद्धालुओं ने मंदिर प्राधिकार पर गंभीर आरोप लगाए. उनका कहना है कि प्रवेश और निकास के लिए सिर्फ एक संकरा गेट था, कोई बैरिकेडिंग नहीं थी और निर्माणाधीन जगह पर ही लोगों को इकट्ठा किया गया, जो सुरक्षा मानकों का उल्लंघन है.
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मंदिर के पुजारी बोले- मैं खुद भीड़ संभालता हूं
आजतक से विशेष बातचीत में मंदिर के संस्थापक पुजारी हरिमुकुंद पांडा ने कहा, 'पहले श्रद्धालु व्यवस्थित आते थे, दर्शन करते, प्रसाद लेते और चले जाते थे. लेकिन कल इतने लोग एक साथ आ गए. मैंने कभी पुलिस नहीं बुलाई, खुद ही भीड़ संभालता हूं.' सूत्रों ने बताया कि आयोजकों ने न तो कोई आधिकारिक अनुमति ली और न ही राज्य सरकार को इतनी बड़ी भीड़ की सूचना दी. क्राउड कंट्रोल की कोई व्यवस्था नहीं थी.
हरिमुकुंद पांडा ने कहा, 'मुझे पता ही नहीं था इतने लोग आएंगे. पुलिस आई, भीड़ हटाई, मुझे भी बाहर भेज दिया. लेकिन मंदिर चलता रहेगा.' उन्होंने चुनौती दी, 'मुझ पर केस कर लें, इतने लोग आएंगे तो क्या करूं?' मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने घटना की जांच के आदेश दे दिए हैं. निर्माणाधीन जगह पर कार्यक्रम और एक ही गेट से एंट्री-एग्जिट होना भगदड़ का मुख्य कारण माना जा रहा है. 2025 में आंध्र प्रदेश में मंदिरों में हुई तीन बड़ी दुर्घटनाओं में अब तक 22 लोगों की मौत और करीब 100 घायल हो चुके हैं, जो राज्य के धार्मिक स्थलों पर सुरक्षा व्यवस्था की गंभीर खामियों को उजागर करता है.