उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने बच्चों के नैतिक विकास के लिए पुरानी परंपराओं को फिर से शुरू करने की अपील की है. उन्होंने कहा है कि पहले के जमाने में जब बच्चे सोते थे तो उनके मां-बाप उन्हें रामायाण महाभारत की कहानियां सुनाते थे. लेकिन मौजूदा समय में यह परंपरा खत्म हो गई है. क्योंकि इन परंपरा की वजह से बच्चों का नैतिक विकास होता था. इसलिए जरूरी है कि इन परंपराओं को पुन: जीवित किया जाए. उपराष्ट्रपति ने अपने ट्विटर हैंडल पर ये बातें लिखी हैं.
उन्होंने लिखा, 'हम बचपन में रामायण-महाभारत की कहानियां सुनकर सोते थे. अब यह परंपरा छूटती सी जा रही है. हमें इसे पुनः जीवित करना होगा. ये कहानियां बच्चों के नैतिक विकास के लिए बहुत जरूरी हैं.'
हम बचपन में रामायण-महाभारत की कहानियां सुनकर सोते थे।
— Vice President of India (@VPSecretariat) November 6, 2020
अब यह परंपरा छूटती सी जा रही है।
हमें इसे पुनः जीवित करना होगा।
ये कहानियां बच्चों के नैतिक विकास के लिए बहुत जरूरी हैं।#Thavaasmi #Ramayana
उन्होंने एक अन्य ट्वीट करते हुए लिखा, ''रामायण पहला महाकाव्य था, इसीलिए वाल्मीकि को 'आदि कवि' और रामायण को 'आदि काव्य' कहा गया है. वास्तव में रामायण 'अनादि काव्य' है, क्योंकि इसकी प्रासंगिकता अनादि काल से है और अनंत काल तक रहेगी.''
उपराष्ट्रपति सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय रहते हैं. कुछ दिनों पहले कोविड-19 से रिकवरी के बाद उन्होंने अपने एक फेसबुक पोस्ट में बताया कि खुद को फिट और पॉजिटिव रखने के लिए वह क्या करते थे. उप राष्ट्रपति ने बताया कि उन्हें विश्वास था कि फिजिकल फिटनेस, मेंटल एक्सरसाइज और डाइट में देसी चीजें खाने से वह इंफेक्शन से जंग जीत जाएंगे.
अपने पोस्ट में वेंकैया नायडू ने लिखा, 'मुझे विश्वास है कि मेरी उम्र और डायबिटीज (Diabetes) जैसी कुछ मेडिकल समस्याओं के बावजूद मैं फिजिकल फिटनेस, मानसिक तप, योग और वॉकिंग जैसी रेगुलर एक्सरसाइज के दम पर कोविड-19 के इंफेक्शन (Covid-19 Infection) को दूर कर सकता हूं. इसके अलावा मैंने सिर्फ देसी खाना ही खाया था. अपने सेल्फ आइसोलेशन पीरियड में मैंने यहीं सब किया था.'
कोविड-19 से रिकवरी के बाद उन्होंने अपना अनुभव साझा करते हुए लोगों से वॉकिंग, जॉगिंग या योग जैसी कोई फिजिकल एक्सरसाइज नियमित रूप से करने का आग्रह भी किया था.