फेसबुक विवाद के बाद संसदीय समितियों के कार्यवाही की मीडिया रिपोर्टिंग पर सवाल उठ रहे हैं. लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला के बाद अब राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने सभी संसदीय समितियों के अध्यक्ष को चिट्ठी लिखकर समिति की कार्यवाही की मीडिया रिपोर्टिंग को विशेषाधिकार का हनन बताया है.
इससे पहले लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सभी संसदीय समितियों के अध्यक्षों को चिट्ठी लिखी और उनसे समितियों की बैठकों के दौरान नियमों का सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया. स्पीकर ने अपनी चिट्ठी में कहा कि संसदीय समितियां ‘मिनी संसद’ की तरह से काम करती हैं.
स्पीकर ओम बिड़ला ने कहा कि ये (समिति) एक तरफ सरकार और संसद तथा दूसरी तरफ संसद और जनता के बीच महत्वपूर्ण सेतु का काम करती हैं. इसलिये यह जरूरी है कि संसदीय समितियां और सरकार सौहार्द के साथ काम करे ताकि लोगों के कल्याण के लक्ष्य को और प्रभावी ढंग से हासिल किया जा सके.
समितियों की बैठकें आयोजित करने के लोकसभा के नियमों का जिक्र करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने खास तौर पर निर्देश 55 और नियम 270 का जिक्र किया. निर्देश 55 बैठकों की गोपनीयता के बारे में बताता है जबकि नियम 270 में समिति की ओर से व्यक्ति या दस्तावेज उपलब्ध कराने की प्रासंगिकता पर जोर दिया गया है.
समितियों की बैठकें आयोजित करने के लिये इन दो निर्देशों का हवाला देते हुए ओम बिड़ला ने कहा कि मेरा यह मत है कि भविष्य में संसदीय समितियों की बैठकें आयोजित करते समय इन सभी मुद्दों पर ध्यान दिया जा सकता है . मुझे विश्वास है कि आप संसद और लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिये काम करना जारी रखेंगे.
गौरतलब है कि बिरला के पत्र का महत्व ऐसे में बढ़ गया है जब शशि थरूर की अध्यक्षता वाली सूचना प्रौद्योगिकी से संबंधित संसदीय समिति की बैठक 1 और 2 सितंबर को निर्धारित है. बीजेपी सांसद एवं समिति के सदस्य निशिकांत दूबे ने हाल ही में थरूर को समिति के अध्यक्ष पद से हटाने की मांग की थी.