2014 बैच के यूपी के चर्चित पूर्व IPS अधिकारी मणिलाल पाटीदार को सुप्रीम कोर्ट से फिलहाल राहत नहीं मिली है. जस्टिस एसवीएन भट्टी और जस्टिस प्रसन्न बी वराले की बेंच के समक्ष उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश हुए ASG नटराजन ने अर्जी का विरोध करते हुए कहा कि वह समाजवादी पार्टी में जिम्मेदार पद पर थे. उन्हें अगर जमानत पर रिहा किया जाता है, तो इसका मामले पर असर पड़ सकता है.
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई कर रहे लखनऊ के स्पेशल जज की एक एप्लीकेशन पर यूपी सरकार को अपना जवाब दाखिल करने के लिए समय देते हुए अगली सुनवाई 17 जुलाई तय कर दी है.
मणिलाल पाटीदार की ओर से दाखिल जमानत याचिका पर 30 मई को सुनवाई के बाद कोर्ट ने यूपी सरकार को नोटिस जारी किया था. दरअसल, महोबा के एक व्यापारी से रिश्वत मांगने, उसे मानसिक रूप से प्रताड़ित करने और खुदकुशी के लिए उकसाने को लेकर दर्ज किए गए मामले में जमानत की मांग वाली याचिका खारिज करने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.
बता दें कि साल 2020 में यूपी के महोबा जिले के SP रहते हुए पाटीदार के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज हुआ था. इस मामले में SIT की जांच के बाद हत्या का मुकदमा हटा लिया गया था, जबकि पाटीदार के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने और भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया गया था. मणिलाल पाटीदार सितंबर 2020 में महोबा जिले के SP थे. उसी दौरान क्रेशर व्यवसायी इंद्रकांत त्रिपाठी ने गोली मारकर खुदकुशी कर ली थी.
इस मामले में SP के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया. उसके बाद वह लगभग दो साल तक फरार रहा और इस दौरान राज्य पुलिस ने पाटीदार पर एक लाख का इनाम भी घोषित किया. हालांकि पाटीदार द्वारा 2022 में सरेंडर करने के बाद से ही वह जेल में बंद है. 2022 में ही केंद्र सरकार के अनुमोदन के बाद यूपी सरकार ने मणिलाल पाटीदार को बर्खास्त कर दिया था.