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IGI पर मई 2025 से शुरू होगा फुल बॉडी स्कैनर का ट्रायल, खरीदे गए हैं चार स्कैनर

दिल्ली हवाईअड्डा मई में फुल बॉडी स्कैनर का ट्रायल शुरू करेगा. एयरपोर्ट संचालक DIAL ने कहा है कि स्कैनर पूर्व निर्धारित मानव अवतार पर एक मानकीकृत 2डी छवि तैयार करेगा, ताकि सिस्टम में कोई व्यक्तिगत छवि संग्रहीत न हो. आईजीआई पर लगाने के लिए चार स्कैनर खरीदे गए हैं. जिसमें से दो टर्मिनल 1 (T1) और दो टर्मिनल 3 (T3) पर लगाए गए हैं.

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Delhi IGI Airport. (फाइल फोटो)
Delhi IGI Airport. (फाइल फोटो)

दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट (IGI) पर मई, 2025 से एडवांस फुल-बॉडी स्कैनर का ट्रायल शुरू करने के लिए तैयार है. एडवांस स्कैनर विस्फोटकों समेत धातु और गैर-धातु खतरों का पता लगाएंगे, जो पारंपरिक मेटल डिटेक्टरों से बेहतर होंगे. आईजीआई ने ये कदम दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (DIAL) नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो (BCAS) के नए दिशा-निर्देशों के बाद उठाया है.

जानकारी के अनुसार, आईजीआई पर लगाने के लिए चार स्कैनर खरीदे गए हैं. जिसमें से दो टर्मिनल 1 (T1) और दो टर्मिनल 3 (T3) पर लगाए गए हैं. इन स्कैनरों से एयरपोर्ट पर यात्रियों के लिए प्रतीक्षा समय कम होने की उम्मीद है.

'ट्रायल के बाद कमेटी करेगी मूल्यांकन'

दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (डीआईएएल) ने शुक्रवार को एक नोट में कहा, 'इन मशीनों के लिए आईटी इंटरफेस को अंतिम रूप दिया जा रहा है और तीन से चार महीने का परीक्षण पूरा होने पर, बीसीएएस के नेतृत्व वाली समिति निष्कर्षों का मूल्यांकन करेगी और पूर्ण पैमाने पर कार्यान्वयन के लिए एक स्टैंडिंग ऑपरेटिंग प्रोसीजर  (एसओपी) स्थापित करेगी.'

ये स्कैनर 70 से 80 गीगाहर्ट्ज के बीच संचालित होने वाली मिलीमीटर-वेव तकनीक का इस्तेमाल करेंगे.
DIAL ने कहा कि पारंपरिक एक्स-रे स्कैनर के विपरीत, वे विकिरण उत्सर्जित नहीं करते हैं, जिससे वे गर्भवती महिलाओं और चिकित्सा प्रत्यारोपण वाले व्यक्तियों समेत सभी यात्रियों के लिए सुरक्षित हैं. महत्वपूर्ण बात यह है कि इन स्‍कैनरों को यात्रियों की आवाजाही में तेजी लाने के लिए डिजाइन किया गया है.

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मई में शुरू होगा ट्रायल

वहीं, नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो (बीसीएएस) के नए दिशानिर्देशों के बाद स्कैनरों का ट्रायल मई में शुरू होगा. 'ये एडवांस स्कैनर विस्फोटकों समेत धातु और गैर-धातु दोनों प्रकार के खतरों का पता लगाते हैं जो पारंपरिक धातु डिटेक्टरों की तुलना में काफी बेहतर हैं.'

'कई देशों में हो रहा है इस्तेमाल'

नोट में कहा गया है, 'यह प्रौद्योगिकी अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया के प्रमुख अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर पहले से ही इस्तेमाल की जा रही है, जिससे यात्रियों की तेजी से स्क्रीनिंग संभव है. प्रत्येक स्कैन में मात्र तीन सेकंड का समय लगता है तथा प्रति घंटे अधिकतम 1,200 स्कैन किए जा सकते हैं.'

3.3 से 6.7 फीट तक के व्यक्तियों को कर सकेंगे स्कैन

DIAL के अनुसार, स्कैनर पूर्व निर्धारित मानव अवतार पर एक मानकीकृत 2D छवि उत्पन्न करते हैं, जिससे ये सुनिश्चित होता है कि कोई व्यक्तिगत छवि संग्रहीत न हो. इनमें छवि मूल्यांकन और यात्री मार्गदर्शन के लिए चार टच स्क्रीन मॉनिटर लगे होंगे और ये 3.3 फीट से 6.7 फीट की ऊंचाई वाले व्यक्तियों को स्कैन कर सकेंगे.

नोट में ये भी कहा गया है, 'सभी स्कैन डेटा को सुरक्षित रूप से संग्रहीत किया जाता है तथा इसकी पहुंच केवल अधिकृत एजेंसियों तक ही सीमित होती है, जिससे यात्रियों के लिए सुरक्षा और सुविधा दोनों सुनिश्चित होती है.'

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DIAL के मुख्य कार्यकारी अधिकारी विदेह कुमार जयपुरियार ने कहा कि फुल बॉडी स्कैनर से गोपनीयता से समझौता किए बिना तेज और अधिक प्रभावी जांच संभव हो सकेगी.

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