सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अभिनेत्री जैकलीन फर्नांडिस की उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें कथित ठग सुकेश चंद्रशेखर के संबंध में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा उनके खिलाफ दर्ज 215 करोड़ रुपये के धन शोधन मामले को रद्द करने की मांग की गई थी.
जस्सिट दीपांकर दत्ता और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने जैकलिन की याचिका खारिज कर दी, लेकिन कोर्ट ने उन्हें कार्यवाही के उचित चरण में अदालत का दरवाजा खटखटाने की आजादी दी है.
जस्टिस दत्ता ने कहा कि इस लेवल पर आरोपों को सच मान लेना चाहिए. उन्होंने कहा कि हालांकि अभी तक कुछ भी साबित नहीं हुआ है, लेकिन मुकदमे से पहले आरोपों को खारिज नहीं किया जा सकता. उन्होंने टिप्पणी की, "अगर एक दोस्त दूसरे को कुछ देता है और बाद में पता चलता है कि देने वाला किसी अपराध में शामिल है, तो यह मुश्किल हो जाता है. अदालत पूर्व उदाहरणों से बंधी हुई है." उन्होंने आगे कहा कि यह "अनजाने में" गिफ्ट प्राप्त करने का मामला नहीं था.
हाई कोर्ट के बाद SC पहुंची थीं जैकलिन
जैकलिन ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा तब खटखटाया है, जब दिल्ली हाई कोर्ट ने 3 जुलाई को उनकी इसी तरह की एक याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि यह तय किया जा सकता है कि उन्होंने कोई अपराध किया है या नहीं, यह केवल मुकदमे के दौरान ही किया जा सकता है.
जैकलिन ने खुद पर लगे सभी आरोपों का खंडन किया है. उनका कहना है कि उन्हें चंद्रशेखर के आपराधिक बैकग्राउंड के बारे में कोई जानकारी नहीं थी.
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हालांकि, ईडी ने अगस्त 2022 में दायर अपने आरोपपत्र में उन्हें सह-आरोपी बनाया. इसमें आरोप लगाया गया कि उन्होंने सुकेश की आपराधिक गतिविधियों में संलिप्तता के बारे में जानते हुए भी उससे 7 करोड़ रुपये से ज्यादा मूल्य के गहने, कपड़े और व्हीकल्स जैसे आलीशान उपहार स्वीकार किए.
जांच एजेंसी ने यह भी दावा किया कि जैकलिन ने ठग की गिरफ्तारी के बाद अपने फोन से डेटा डिलीट कर दिया और शुरुआत में उसके साथ अपने फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन की जानकारी छिपाई, लेकिन सबूतों के सामने आने पर उसे स्वीकार कर लिया.
दिल्ली की मंडोली जेल में बंद सुकेश पर ठगी और छल के जरिए हाई-प्रोफाइल लोगों को निशाना बनाकर 215 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने का आरोप है.