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SC से आवारा कुत्तों को राहत लेकिन खत्म नहीं हुआ विवाद! जानें- अब डॉग लवर्स की क्या हैं चिंताएं

सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों को लेकर नया निर्देश जारी किया है, जिससे 11 अगस्त के आदेश के बाद से परेशान डॉग लवर्स को राहत मिली है. कोर्ट ने कहा है कि जिन कुत्तों को पकड़ा गया है, उन्हें नसबंदी और टीकाकरण के बाद ही छोड़ा जाना चाहिए. इस फैसले से डॉग लवर्स में खुशी तो है लेकिन कुछ चिंताएं भी हैं.

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SC के तीन जजों की बेंच ने आवारा कुत्तों को लेकर लिया बड़ा फैसला (Photo: PTI)
SC के तीन जजों की बेंच ने आवारा कुत्तों को लेकर लिया बड़ा फैसला (Photo: PTI)

11 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट द्वारा आवारा कुत्तों पर दिए गए निर्देश के बाद देशभर के डॉग लवर्स परेशान थे. उन्होंने इसका विरोध करते हुए प्रदर्शन किए. अब सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच ने तय किया कि जिन कुत्तों को पकड़ा गया है, उन्हें नसबंदी और टीकाकरण के बाद ही छोड़ा जाएगा. यह आदेश रेबीज से संक्रमित या आक्रामक कुत्तों पर लागू नहीं होगा. इस फैसले के बाद डॉग लवर्स में खुशी की लहर दौड़ गई.

पशु अधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि पिछले कई दिनों से वे इस फैसले के लिए चिंतित थे. उन्होंने अपने अधिकारों के पक्ष में रोड पर प्रदर्शन किया और अब राहत महसूस कर रहे हैं. जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एनवी अंजारिया की स्पेशल बेंच ने 14 अगस्त को सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा था, जिसके बाद पशु प्रेमी उत्सुकता से इस फैसले का इंतजार कर रहे थे.

फैसले की मुख्य बातें

फैसले के अनुसार, दिल्ली में सभी आवारा कुत्तों को पकड़कर नसबंदी और टीकाकरण किया जाएगा. उन्हें जहां से उठाया गया है, वहीं छोड़ दिया जाएगा. रेबीज से संक्रमित और आक्रामक कुत्तों को सड़क पर नहीं छोड़ा जाएगा. इसके अलावा नगर निगम को कुत्तों के लिए अलग फीडिंग पॉइंट बनाने होंगे, और सड़क या सार्वजनिक स्थानों पर खाना खिलाना मना रहेगा. यह आदेश पूरे देश में लागू होगा.

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डॉग लवर्स की चिंताएं

हालांकि, डॉग लवर्स का कहना है कि अब भी उनकी दो बड़ी चिंताएं बरकरार हैं. पहली, आक्रामक कुत्तों की परिभाषा स्पष्ट नहीं है. कौन सा कुत्ता आक्रामक है और कौन सा नहीं, इसका निर्णय कैसे होगा, यह सवाल सभी के मन में है. दूसरी, फीडिंग पॉइंट से जुड़ी समस्या है. अदालत ने कहा है कि MCD एक जगह खाना खिलाने के लिए जगह बनाए, लेकिन डॉग लवर्स का कहना है कि इससे कुत्तों में लड़ाई हो सकती है और आम लोगों को भी इसकी सफाई की चिंता है.

यह भी पढ़ें: राहुल से मेनका तक... आवारा कुत्तों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर 'एकजुट' दिखा गांधी पर‍िवार

प्रशासन की भूमिका और जिम्मेदारी

डॉग लवर्स का मानना है कि अदालत के फैसले के बावजूद जमीन पर समस्याएं बनी रहेंगी. उन्होंने कहा कि अगर MCD ठीक से काम करे, तो यह मामला इतना बढ़ता नहीं. कई पशु प्रेमियों ने अपने खर्च से कुत्तों का टीकाकरण और देखभाल की है, और अब वे चाहते हैं कि MCD भी इस दिशा में जिम्मेदारी निभाए.

संतुलन बनाए रखना आवश्यक

सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने डॉग लवर्स को राहत जरूर दी है, लेकिन आक्रामक कुत्तों की पहचान और फीडिंग पॉइंट की व्यवस्था पर अभी भी चिंताएं बनी हुई हैं. देशभर में आवारा कुत्तों को लेकर विवाद और टकराव का सिलसिला तब तक खत्म नहीं होगा, जब तक अदालत के आदेशों को पूरी तरह लागू नहीं किया जाता.

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एक तरफ डॉग लवर्स उन्हें खुला छोड़ने के पक्ष में हैं, जबकि दूसरी तरफ आम लोग चाहते हैं कि आवारा कुत्तों को शेल्टर्स में रखा जाए ताकि सुरक्षा सुनिश्चित हो सके. देश में आवारा कुत्तों की सुरक्षा और मानव सुरक्षा के बीच संतुलन बनाए रखना अब प्रशासन और नागरिकों की जिम्मेदारी है.

डॉग लवर्स की चिंताएं क्या है?

सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर कुछ चिंताएं भी हैं. डॉग लवर्स और एक्टिविस्ट्स का मानना है कि सबसे बड़ी समस्या फीडिंग पर पाबंदी है. लाखों अवारे कुत्तों के लिए निर्दिष्ट भोजन क्षेत्र बनाना नगर निगम के लिए एक चुनौतीपूर्ण काम साबित होगा. कई डॉग लवर्स इस नियम को अव्यावहारिक मानते हैं और उनको डर है कि यह कुत्तों को भूखा छोड़ सकता है, जिससे उनकी स्थिति और खराब हो सकती है.

यह भी पढ़ें: कुत्ता काटने पर साबुन-पानी से घाव धोना रेबीज रोकने में कितना असरदार? क्या कहता है WHO

अनेक डॉग लवर्स 25,000 रुपये के भारी फाइन को अनुचित मानते हैं, खासकर तब जब जानवरों के प्रति क्रूरता के लिए केवल 50 का जुर्माना तय है. वे मांग कर रहे हैं कि इस भारी फाइन को समाप्त किया जाए और पशु संरक्षण से जुड़ी संस्थाओं को फैसलों में सीधा स्टेकहोल्डर बनाया जाए.

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दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में लगभग 10 लाख अवारे कुत्ते हैं, इसलिए सभी के लिए निर्धारित फीडिंग स्पॉट बनाना व्यावहारिक रूप से बहुत कठिन है. इस स्थिति में जरूरी है कि नगर निगम, एनजीओ और एक्टिविस्ट मिलकर ऐसे समाधान खोजें जो जानवरों के हित में हों और साथ ही प्रशासन के लिए भी सहज हों. केवल सहयोग और समझदारी से ही यह बहुप्रतीक्षित समस्या हल हो सकेगी.

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