सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना में भारत राष्ट्र समिति (BRS) के 10 विधायकों के दल-बदल और उनकी अयोग्यता के मामले में सुनवाई करते हुए कड़ा रुख अपनाया है. कोर्ट ने कहा कि यदि दलबदल को समय रहते नहीं गया तो ये लोकतंत्र को कमजोर कर सकता है. साथ ही कोर्ट ने तेलंगाना विधानसभा के स्पीकर को निर्देश दिया कि वह इस मामले में अगले तीन महीनों में फैसला लें.
CJI जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई और जस्टिस विनोद चंद्रन की पीठ ने इस मामले की सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया कि स्पीकर की भूमिका जूडिशल रिव्यू से परे नहीं है. यानी सदन में लिए गए या ना लिए गए निर्णय को कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है और कोर्ट उसे सुनकर समुचित निर्णय दे सकता है.
बहस का मुद्दा है दल-बदल: SC
सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दल-बदल को लेकर बड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि ये मुद्दा देश भर में बहस का विषय रहा है और यदि समय रहते इसे नहीं रोका गया तो ये लोकतंत्र की नींव को कमजोर कर सकता है.
SC कई नेताओं ने भाषणों का दिया हवाला
सुप्रीम कोर्ट ने संसद में दिए गए कई नेताओं के भाषणों का हवाला भी दिया. कोर्ट ने राजेश पायलट, देवेन्द्रनाथ मुंशी जैसे सांसदों के भाषणों का जिक्र करते हुए कहा कि विधायक-सांसद की अयोग्यता तय करने का अधिकार स्पीकर को इसलिए दिया गया, ताकि अदालतों में वक्त बर्बाद न हो और मामला जल्दी सुलझ जाए.
कोर्ट ने ये भी स्पष्ट किया कि हमारे सामने ये भी दलील दी गई कि आर्टिकल 136 और 226/227 के तहत स्पीकर के फैसलों पर न्यायिक समीक्षा की जा सकती है. हालांकि, इसकी गुंजाइश बहुत सीमित है. ये भी कहा गया कि चूंकि मामला बड़ी बेंच के सामने लंबित है तो इस पर सुनवाई नहीं हो सकती है.
BRS विधायकों ने ज्वाइन की कांग्रेस
बता दें कि तेलंगाना विधानसभा में BRS के 10 विधायकों ने 2023 के विधानसभा चुनाव में BRS के टिकट पर जीत हासिल की थी, लेकिन बाद में उन्होंने कांग्रेस पार्टी ज्वाइन कर ली.
बीआरएस नेताओं और बीजेपी विधायक ने इन विधायकों की अयोग्यता की मांग करते हुए स्पीकर के समक्ष याचिका दायर की थी. हालांकि, स्पीकर ने लंबे वक्त तक इस पर कोई फैसला नहीं लिया, जिसके खिलाफ बीआरएस ने कोर्ट का रुख किया.