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ओडिशा: ईको सेंसिटिव जोन में माइनिंग प्रतिबंधित, SC ने कहा- पहले NBWL के सुझाव लागू करें

न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और बीआर गवई की पीठ ने ओडिशा सरकार से कहा कि NBWL के सुझावों को लागू किए बिना ईको सेंसिटिव जोन में माइनिंग नहीं की जा सकती. इसलिए जल्द से जल्द इसे लागू करें.

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सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर
स्टोरी हाइलाइट्स
  • पर्यावरण से जुड़े मसले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला
  • हाथियों के लिए पारंपरिक गलियारे का निर्माण जल्द शुरू करने की नसीहत

पर्यावरण से जुड़े मसले पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने ओडिशा (Odisha) के पर्यावरण के प्रति संवेदनशील क्षेत्रों (eco sensitive zones) में खनन (mining) पर फिलहाल रोक लगा दी है.

सर्वोच्च अदालत (Supreme court) ने आदेश जारी करते हुए कहा कि ईको सेंसिटिव जोन में खनन नहीं किया जा सकता. अगर सरकार ऐसा करना चाहती है तो उसे पहले राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (National Board of wildlife) की व्यापक वन्यजीव प्रबंधन योजना (Wildlife management plan) को लागू करना होगा. 

न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और बीआर गवई की पीठ ने बुधवार को ओडिशा सरकार से कहा कि राज्य को धारा 36 ए के तहत पारंपरिक हाथी गलियारे (traditional elephant corridor) की घोषणा की प्रक्रिया भी जल्द पूरी करनी चाहिए. कोर्ट ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि इन योजनाओं के लागू होने के बाद ही 97 खदानों के संचालन सहित दूसरी खनन गतिविधियों की अनुमति दी जाएगी. यह आदेश पत्थर उत्खनन फर्म की याचिका पर दिया गया है. इस फर्म पर पहले नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने इसी तरह के प्रतिबंध लगाए थे. इसके बाद संस्था ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. यहां से भी उन्हें निराशा ही हाथ लगी. 

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चारधाम परियोजना के समय भी उठा था मुद्दा

ऐसा ही मामला चारधाम परियोजना के दौरान भी उठा था. दरअसल, केंद्र ने चारधाम परियोजना के तहत ऑल वेदर रोड परियोजना को मंजूरी दी थी. इसके तहत 3 सामरिक राजमार्गों को डबल लेन (10 मीटर चौड़ा) किया जाना था. इसके बाद एक NGO ने इस पर आपत्ति जताते हुए सुप्रीम कोर्ट में परियोजना को रोकने की मांग की थी. इसके बाद इस मामले में सुनवाई शुरू हुई थी. सुनवाई के दौरान रक्षा मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट से सड़क बनाने की अनुमति देने की मांग की थी. रक्षा मंत्रालय ने कहा था कि इस सड़क के बनने से सेना को सीमा तक टैंक और हथियार पहुंचाने में आसानी होगी और पर्वतीय इलाकों में सेना की गतिविधि बढ़ेगी. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने रक्षा जरूरतो के आधार पर सरकार के फैसले को सही माना था और पर्यावरण से जुड़ी चिंताओं के लिए एक कमेटी बनाते हुए प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी थी.

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