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'शुरुआती रिपोर्ट में पायलटों को दोष देना गैर-जिम्मेदाराना...', एअर इंडिया हादसे पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी

एअर इंडिया विमान हादसे को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि शुरुआती जांच रिपोर्ट के आधार पर पायलटों को जिम्मेदार ठहराना गैर-जिम्मेदाराना है. अदालत ने साफ किया कि जब तक अंतिम जांच रिपोर्ट नहीं आ जाती, तब तक किसी पर आरोप लगाना परिवारों के लिए पीड़ादायक होगा.

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अहमदाबाद में एअर इंडिया का विमान क्रैश हो गया था. (File Photo)
अहमदाबाद में एअर इंडिया का विमान क्रैश हो गया था. (File Photo)

एअर इंडिया विमान हादसे की जांच को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को महत्वपूर्ण टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा कि सिर्फ शुरुआती जांच रिपोर्ट के आधार पर पायलटों को जिम्मेदार ठहराना गैर-जिम्मेदाराना है. सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि जब तक अंतिम जांच पूरी नहीं हो जाती, तब तक किसी भी पायलट पर दोष मढ़ना उनके परिवार के लिए पीड़ादायक होगा.

अदालत ने कहा, अगर कल कोई गैर-जिम्मेदारी से कहे कि पायलट ए या बी की गलती थी तो परिवार पीड़ित होगा... और यदि बाद में अंतिम रिपोर्ट में दोष नहीं पाया गया तो क्या होगा? कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि जांच पूरी होने तक गोपनीयता बनाए रखना जरूरी है.

वॉल स्ट्रीट जर्नल रिपोर्ट पर सवाल

यह टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट ने उस समय की, जब ‘सेफ्टी मैटर्स फाउंडेशन’ नामक एनजीओ की ओर से अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने एक जनहित याचिका दायर की और स्वतंत्र और कोर्ट की निगरानी वाली जांच की मांग की. भूषण ने दलील दी कि अमेरिकी प्रकाशन वॉल स्ट्रीट जर्नल ने क्रैश की जांच रिपोर्ट पर स्टोरी प्रकाशित कर दी, जबकि शुरुआती रिपोर्ट केंद्र को सौंपी भी नहीं गई थी.

भूषण ने कहा, बाद में सरकार ने रिपोर्ट सार्वजनिक की और हर जगह यह कहा जाने लगा कि हादसा पायलट की गलती थी. जबकि दोनों बेहद अनुभवी पायलट थे, फिर भी रिपोर्ट में यह कहा गया कि पायलट ने खुद फ्यूल स्विच ऑफ कर दिया.

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कंपनियों और अफवाहों पर कोर्ट की टिप्पणी

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि कभी-कभी ऐसी त्रासदी का फायदा प्रतिद्वंद्वी विमान कंपनियां उठा लेती हैं. बेंच ने यह भी नोट किया कि विमान निर्माता कंपनियां- जैसे एअरबस या बोइंग- खुद को बचाने की कोशिश कर सकती हैं, यह कहकर कि विमान ठीक से मेंटेन था और क्लियरेंस मिला हुआ था.

कोर्ट ने कहा, कोई एअरलाइन स्टाफ को दोष देने लगेगा, कोई और अफवाह फैलाने लगेगा... किसी को भी स्थिति को तोड़-मरोड़ कर पेश करने की इजाजत नहीं होनी चाहिए.

DGCA और नागरिक उड्डयन मंत्रालय को नोटिस

सुप्रीम कोर्ट ने नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) और नागरिक उड्डयन मंत्रालय को नोटिस जारी करते हुए जांच को पारदर्शी, निष्पक्ष और त्वरित रूप से पूरा करने को कहा है.

याचिका में क्या कहा गया है?

जनहित याचिका में कहा गया है कि विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) ने 12 जुलाई को शुरुआती रिपोर्ट जारी की. इसमें दुर्घटना का कारण 'फ्यूल कटऑफ स्विच' को 'रन' से 'कटऑफ' पर ले जाना बताया गया, जो सीधे-सीधे पायलट की गलती का संकेत देता है.

याचिका में आरोप है कि इस रिपोर्ट में अहम जानकारियां छिपाई गई हैं, जिनमें डिजिटल फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (DFDR) का पूरा आउटपुट, कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR) का समय समेत पूरा ट्रांसक्रिप्ट और इलेक्ट्रॉनिक एअरक्राफ्ट फॉल्ट रिकॉर्डिंग (EAFR) डेटा शामिल है. याचिका के मुताबिक, इन जानकारियों के बिना पारदर्शी और ऑब्जेक्टिव जांच संभव नहीं है.

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