दिल्ली में रिज क्षेत्र में सैकड़ों पेड़ों की अंधाधुंध अवैध कटाई के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने डीडीए और केंद्र सरकार की खबर ली है. बिना कोर्ट और पर्यावरण समिति की अनुमति के सैकड़ों पेड़ काटने से नाराज सुप्रीम कोर्ट ने डीडीए वाइसचेयरमैन और CPWD के महानिदेशक यानी डीजी को 14 मई को तलब किया है.
जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने भारत सरकार के डीजी फॉरेस्ट और दिल्ली सरकार के प्रिंसिपल चीफ कंजर्वेटर ऑफ फोरेस्ट को भी अवमानना नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने नोटिस जारी कर उनसे कहा है कि इस अवमानना के लिए आपके खिलाफ समुचित कानूनी और दंडात्मक कार्रवाई क्यों ना की जाए.
'जवाब से संतुष्ट नहीं हुए तो फिर से पेड़ लगाने को कहेंगे'
सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि एजेंसियां कानून अपने हाथ में नहीं ले सकतीं. अगर हम उनके जवाब से संतुष्ट नहीं हुए तो फिर से पेड़ लगाने को कहेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने अगले आदेशों तक छतरपुर स्थित दक्षिणी रिज और मध्य दिल्ली में बुद्ध जयंती पार्क के पास पेड़ कटाई और निर्माण कार्य पर रोक लगाते हुए कहा कि एजेंसियां फिलहाल यथास्थिति बरकरार रखेंगी.
दरअसल वन और पर्यावरण संरक्षण के लिए सुप्रीम कोर्ट से नियुक्त केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति ने इसी अदालत के निर्देशों की अनदेखी करने और केंद्र सरकार की मंजूरी के बिना दक्षिणी दिल्ली के रिज क्षेत्र में अवैध निर्माण करने और लगभग 750 पेड़ों की कटाई पर दिल्ली विकास प्राधिकरण के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की है.
वन (संरक्षण एवं संवर्धन) अधिनियम, 1980 के प्रावधानों का उल्लंघन
शीर्ष अदालत को सौंपी गई रिपोर्ट के अनुसार, केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) ने कहा कि पिछले साल दिसंबर में, डीडीए ने मुख्य छतरपुर रोड से सार्क विश्वविद्यालय तक पहुंचने के लिए अप्रोच रोड निर्माण के लिए रिज जैसी रचना विशेषताओं वाली भूमि आवंटित कर दी थी. इसकी जद में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल चिकित्सा विज्ञान संस्थान और अन्य प्रतिष्ठान भी हैं. यह आवंटन वन (संरक्षण एवं संवर्धन) अधिनियम, 1980 के प्रावधानों का सरासर उल्लंघन करके किया गया है.
बिना अनुमति काटे गए पेड़
SC से नियुक्त पर्यावरण और भू गर्भ विज्ञान विशेषज्ञों को इस समिति ने अपनी सिफारिश में लिखा है कि सड़क निर्माण के लिए दिल्ली वृक्ष संरक्षण अधिनियम, 1994 के तहत अनुमति के बिना गैर-वन क्षेत्र में 222 पेड़ काटे गए हैं. विशेष प्राकृतिक संरचनाओं वाले इस रिज क्षेत्र में 523 पेड़ बिना पर्यावरण मंजूरी के काटे गए हैं. वन (संरक्षण एवं संवर्धन) अधिनियम, 1980 और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के तहत इस समिति एक शिकायतकर्ता के दावे और शिकायत पर जांच की तो ये बड़ा खुलासा हुआ.
इस परियोजना में भू-माफिया और दिल्ली सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों की संलिप्तता के कारण स्थानीय अधिकारियों ने सड़क के अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई नहीं की. दिल्ली रिज उत्तर में दिल्ली विश्वविद्यालय से लेकर दक्षिण और उससे भी आगे तक फैली हुई अरावली पर्वतमाला का पठार और जंगल की विशेष संरचना का विस्तार है.