जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) एक्टिव हो गया है. पहलगाम हमले के तुरंत बाद आरएसएस ने इसके लिए जिम्मेदार लोगों को दंडित करने के लिए उचित कदम उठाने की मांग की थी. संघ प्रमुख मोहन भागवत ने मुंबई और दिल्ली की सभाओं में भी बदले का आह्वान किया था. संघ प्रमुख मोहन भागवत ने 29 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. प्रधानमंत्री मोदी से मोहन भागवत की करीब डेढ़ घंटे लंबी यह मुलाकात पीएम की अध्यक्षता में हुई उच्चस्तरीय बैठक के तुरंत बाद हुई.
साल 2014 के आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की सरकार बनने के बाद यह पहला मौका था जब संघ प्रमुख प्रधानमंत्री से मिलने उनके आवास पहुंचे थे. जानकारी के मुताबिक संघ प्रमुख और प्रधानमंत्री की मुलाकात के दौरान पहलगाम हमले पर चर्चा हुई. बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार का मुद्दा संघ पहले से ही उठाता रहा है और अब पहलगाम में धर्म पूछकर मारे जाने की घटना से भी देशभर में गुस्सा है. मोहन भागवत की प्रधानमंत्री से मुलाकात इसलिए भी चर्चा में है, क्योंकि वह अपनी सभाओं में पहलगाम हमले के बदले का आह्वान करते आए हैं.
'अत्याचार करने वालों को धर्म सिखाना अहिंसा'
मोहन भागवत ने मुंबई में एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि जिन लोगों की हत्या की गई, उनसे उनका धर्म पूछा गया. यह धर्म और अधर्म की लड़ाई है. एक हिंदू ऐसा कभी नहीं करेगा. देश को मजबूत होना चाहिए. अष्टभुजा शक्ति से असुरों का नाश किया जाना चाहिए. दिल्ली में भी संघ प्रमुख ने कहा था कि मुंबई में रावण का जिक्र किया. रावण का वध उसके कल्याण के लिए ही हुआ. ये हिंसा नहीं अहिंसा है. हमारा धर्म अहिंसा है, लेकिन अत्याचार करने वालों को धर्म सिखाना अहिंसा है.
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संघ प्रमुख ने दिल्ली में यह भी कहा था कि हम कभी भी अपने पड़ोसियों का नुकसान नहीं करते. इसके बाद भी अगर कोई गलत रास्ता अपनाता है तो राजा का कर्तव्य है प्रजा की रक्षा करना. राजा अपना काम करेगा. इससे पहले, दिल्ली में दो दिवसीय आयोजन में भी संघ के नेताओं ने पहलगाम हमले पर चर्चा की.
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इस आयोजन में संघ प्रमुख मोहन भागवत, दत्तात्रेय होसबाले के साथ ही संघ के सभी छह संयुक्त सरकार्यवाह शामिल हुए थे. संघ ने पहलगाम हमले की निंदा करते हुए कहा था कि यह हमला देश की एकता और अखंडता पर प्रहार करने का दुस्साहस है. संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने पीड़ितों और उनके परिजनों की सहायता का इंतजाम करने के साथ ही हमले के जिम्मेदार लोगों को दंडित करने के लिए जल्द कदम उठाने की मांग की थी.
आतंकियों का कोई धर्म होता है- इंद्रेश कुमार
आरएसएस के मार्गदर्शक और इसके अनुषांगिक संगठन मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के संरक्षक इंद्रेश कुमार ने कहा था कि अगर आतंकियों का कोई धर्म नहीं होता तो उनके लिए जनाजे की नमाज़ क्यों पढ़ी जाती है? लोग उनके जनाजे में क्यों शामिल होते हैं? इसका मतलब है कि आतंकियों का कोई धर्म होता है. मुसलमानों को आतंकियों के लिए जनाजे की नमाज पढ़ना बंद कर देना चाहिए, उनके जनाजे में भाग लेना भी बंद कर देना चाहिए. अगर यह कदम 30-40 साल पहले उठाया गया होता तो जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद नहीं होता. उन्होंने यह भी कहा था कि अब समय आ गया है जब पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को फिर से वापस ले लिया जाए.
सर्जिकल स्ट्राइक से नहीं चलेगा काम- विज्ञानानंद
विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के महासचिव विज्ञानानंद ने पाकिस्तान के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की मांग करते हुए कहा था कि इसे पांच टुकड़ों में तोड़ देना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा था कि अब सर्जिकल स्ट्राइक से काम नहीं चलेगा. 1971 में पाकिस्तान के दो टुकड़े किए थे, इसे अब 50 साल से ज्यादा हो चुके हैं. विज्ञानानंद ने संघ प्रमुख के भारत को हिंदू राष्ट्र बताने का जिक्र करते हुए कहा था कि हिंदू मैनिफेस्टो में दुश्मनों का नाश करने की बात है. उन्होंने यह भी कहा था कि पुरानी गलती नहीं दोहराई जानी चाहिए.