
पंजाब पर इन दिनों प्रकृति का कहर टूट पड़ा है. आजतक की टीम लगातार ग्राउंड जीरो से पंजाब त्रासदी की कहानी आप तक पहुंचा रही है, जहां नीचे बाढ़ का पानी भरा है और आसमान से बारिश थमने का नाम नहीं ले रही है. आज भी जोरदार बारिश का अलर्ट जारी है और आफत इतनी गहरी है कि पंजाब को आपदाग्रस्त प्रदेश घोषित किया जा चुका है, क्योंकि राज्य के सभी 23 जिलों में सैलाब का साम्राज्य कायम है, लेकिन 12 जिलों में हालात और भी बदतर हैं. चारों ओर सिर्फ पानी ही पानी नजर आ रहा है, जहां पौने चार लाख एकड़ फसल और खेती की जमीन डूब गई. एक-एक जिले में 100 से ज्यादा गांव पूरी तरह जलमग्न हैं. साथ ही बाढ़ से 3 लाख से अधिक लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है.
इसी बीच बाढ़ के हालात को देखते हुए राज्य में स्कूल की छुट्टियों को 3 से बढ़ाकर 7 सितंबर तक कर दिया गया है. AAP प्रमुख अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान गुरुवार को राज्य के बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा करेंगे.

'नदियों में बदली सड़कें'
पंजाब में बहने वाली तीन प्रमुख नदियां रावी, ब्यास और सतलज (जो पंजाब के अलग-अलग इलाकों से पाकिस्तान में प्रवेश करती हैं) में ऊपरी क्षेत्रों से आए सैलाब ने पूरे राज्य को पानी-पानी कर दिया है. वैसे तो बारिश और बाढ़ का प्रकोप तो पूरे पंजाब में है, लेकिन सबसे ज्यादा प्रभावित गुरदासपुर, पठानकोट, होशियारपुर, कपूरथला, तरनतारन, फिरोजपुर, फाजिल्का, जालंधर और रोपड़, होशियारपुर, पटियाला और अमृतसर जैसे जिले हुए हैं. शहरों से लेकर गांवों तक हालात बद-से-बदतर हैं. लोग मकानों, डेरों या इमारतों की छतों पर शरण लिए हुए हैं या फिर तीन-चार फीट पानी में होकर गुजरने को मजबूर हैं. सड़कें नदियों में तब्दील हो गई हैं और जीवन रुक सा गया है.

30 लोगों की जा चुकी है जान
राहत बचाव के लिए पंजाब सरकार ने 87 से ज्यादा राहत शिविर बनाए हैं, जिनमें 77 से अधिक शिविरों में बाढ़ पीड़ितों के लिए इंतजाम किए गए हैं. सरहदी फिरोजपुर जिले में 8 शिविरों में हजारों लोगों को शरण दी गई है. हालांकि, बारिश और बाढ़ से हुए हादसों में अब तक 30 लोगों की जान जा चुकी है और अमृतसर समेत कई जिलों में बारिश का खतरा बना हुआ है. एनडीआरएफ, सेना, बीएसएफ और पंजाब पुलिस दिन-रात राहत कार्य में जुटी हैं.

1500 करोड़ से ज्यादा का नुकसान
पंजाब में सैलाब ने किसानों का भी दम निकाल दिया है. बाढ़ से हुए नुकसान का सही आकलन अभी मुश्किल है, लेकिन अनुमान है कि ये 1500 करोड़ रुपये से अधिक हो चुका है. यदि पानी का प्रवाह जारी रहा तो नुकसान और बढ़ेगा. केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान आज नुकसान का जायजा लेने पंजाब पहुंच रहे हैं. मुख्यमंत्री भगवंत मान केंद्र से 60,000 करोड़ रुपये फंसे धनराशि और मुआवजा राशि को 6,800 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये प्रति एकड़ करने की मांग कर रहे हैं. उनकी इस मांग का कारण गन्ना, सब्जियां, फल और मवेशियों समेत बड़े पैमाने पर हुए नुकसान को बताया जा रहा है, जिसका सही आकलन पानी कम होने के बाद ही संभव होगा.

दरअसल, पंजाब में सैलाब से खेती का नुकसान कैसे होता है. उसे समझने के लिए पंजाब की भौगोलिक स्थिति समझनी होगी, क्योंकि पंजाब में तीन प्रमुख नदियों के बीच चार दोआब क्षेत्र हैं. इसमें ब्यास और सतलज के बीच बिस्ट दोआब का इलाका है, जबकि रावी और ब्यास के बीच बारी दोआब का इलाका है. इन इलाकों में नदियों से निकली नहरों और बांधों से सिंचाई के इंतजाम किए गए हैं और पूरे इलाके में बड़े पैमाने पर खेती होती है.
ताजा हुई 1988 बाढ़ की यादें
इस बार का सैलाब पंजाब के लोगों को 1988 की बाढ़ की भयावह याद दिला रहा है, जिसमें 22 से 26 सितंबर के बीच सिर्फ चार दिनों में 9 हजार गांव और लाखों लोगों पर सैलाब का कहर टूटा था.