भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने पश्चिमी तट पर भारतीय नौसेना की पनडुब्बी INS वाघशीर पर समुद्र के भीतर जाकर विशेष अभियान का अनुभव किया. इस दौरान नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी भी राष्ट्रपति के साथ मौजूद रहे. राष्ट्रपति ने कर्नाटक के कारवार नौसैनिक बंदरगाह से पनडुब्बी में सवार होकर यह अभियान किया. यह पूरा अनुभव करीब दो घंटे से अधिक समय तक चला.
इस दौरान राष्ट्रपति ने पनडुब्बी के भीतर मौजूद अधिकारियों और नाविकों से बातचीत की और उनके कामकाज को करीब से देखा. उन्होंने INS वाघशीर की परिचालन क्षमताओं और अभ्यासों को भी प्रत्यक्ष रूप से देखा.
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पनडुब्बी दल की तैयारी से राष्ट्रपति प्रभावित
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू पनडुब्बी में अभियान करने वाली देश की दूसरी राष्ट्रपति हैं. इससे पहले पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने पनडुब्बी में ऐसा अनुभव लिया था. स्वदेशी कलवरी श्रेणी की पनडुब्बी INS वाघशीर पर राष्ट्रपति की यह पहली यात्रा थी.
यह दौरा सशस्त्र बलों के साथ राष्ट्रपति के लगातार संवाद और उनके मनोबल बढ़ाने की दिशा में अहम माना जा रहा है. इससे पहले नवंबर 2024 में राष्ट्रपति स्वदेशी विमानवाहक पोत INS विक्रांत पर भारतीय नौसेना का ऑपरेशनल प्रदर्शन भी देख चुकी हैं.
विज़िटर बुक में लिखा भावुक संदेश
पनडुब्बी से लौटने के बाद राष्ट्रपति ने विज़िटर बुक में अपने अनुभव साझा किए. उन्होंने लिखा कि INS वाघशीर पर नौसैनिकों और अधिकारियों के साथ समय बिताना उनके लिए बेहद खास अनुभव रहा. समुद्र में उतरकर किए गए अभ्यास और सफल परीक्षणों ने दल की उत्कृष्ट तैयारी और समर्पण को दर्शाया.
हर चुनौती से निपटने को तैयार नौसेना
राष्ट्रपति ने कहा कि INS वाघशीर के दल द्वारा किए गए जटिल और सफल अभियानों से उनकी कार्यक्षमता साफ झलकती है. पनडुब्बी का आदर्श वाक्य ‘वीरता, वर्चस्व, विजय’ पूरी तरह उनके कार्य में दिखाई देता है. राष्ट्रपति ने भरोसा जताया कि भारतीय पनडुब्बियां और भारतीय नौसेना हर परिस्थिति में किसी भी खतरे से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं.