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ग्रीन बेल्ट कूड़ाघर नहीं, शहर के फेफड़े हैं... NGT ने लगाई ग्रेटर नोएडा अथॉर‍िटी को फटकार, RWA को मिली जीत

ग्रेटर नोएडा के सेक्टर सिग्मा की जनता की लड़ाई आखिरकार रंग लाई. NGT ने RWA के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा कि ग्रीन बेल्ट्स शहर की जान हैं और इन्हें किसी भी हाल में मलबे या कब्जे से नहीं ढका जा सकता. ट्र‍िब्यूनल ने इस मामले में ग्रेटर नोएडा अथॉर‍िटी को फटकार भी लगाई.

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सिग्मा सेक्टर की जनता जीती, NGT ने कहा-ग्रीन बेल्ट में नहीं फेंका जाएगा मलबा (Rep. Photo by Gemini)
सिग्मा सेक्टर की जनता जीती, NGT ने कहा-ग्रीन बेल्ट में नहीं फेंका जाएगा मलबा (Rep. Photo by Gemini)

रिहायशी इलाकों और पर्यावरण प्रेमियों के लिए एक बड़ी जीत मानी जा रही है. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) नई दिल्ली की प्रिंसिपल बेंच ने ग्रेटर नोएडा के सेक्टर सिग्मा-2 की रेज़िडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन (RWA) के पक्ष में फैसला सुनाया है. ये मामला सेक्टर के ग्रीन बेल्ट इलाकों में अवैध कब्जों और मलबा फेंकने जैसी गतिविधियों से जुड़ा था.

बता दें कि RWA ने NGT में शिकायत दर्ज कराई थी कि सेक्टर की ग्रीन बेल्ट GB-9, GB-10, GB-11 और GB-13 में अवैध निर्माण, कचरा और मलबा फेंका जा रहा है और प्रशासन इस पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा. इसी श‍िकायत पर सुनवाई करते हुए एनजीटी ने अपना आदेश सुनाया है. 

ग्रीन बेल्ट हैं शहर के फेंफड़े: बेंच

न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव (चेयरपर्सन) की अध्यक्षता वाली बेंच ने साफ कहा कि ग्रीन बेल्ट शहर के फेफड़े हैं और इन्हें सार्वजनिक हित के तहत बचाया जाना चाहिए. NGT ने कहा कि शहरों, आवासीय इलाकों और नगर निकायों में ग्रीन बेल्ट जरूरी हैं क्योंकि वे उस क्षेत्र के फेफड़ों की तरह काम करते हैं और हवा को साफ बनाए रखते हैं. ट्रिब्यूनल ने ये भी कहा कि ग्रीन स्पेस न सिर्फ शहरीकरण के दुष्प्रभावों से लोगों की रक्षा करते हैं, बल्कि मनोरंजन और ताजी हवा के लिए भी जरूरी हैं. इसलिए पर्यावरण के नजरिए से इन्हें सुरक्षित रखना बेहद जरूरी है.

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अपने आदेश में NGT ने ये भी कहा कि ग्रीन बेल्ट में मलबा या कचरा डालना शहर की खूबसूरती बढ़ाने के बजाय उसे बिगाड़ देगा.
ट्रिब्यूनल ने साफ कर दिया कि कॉलोनी की ग्रीन बेल्ट को कंस्ट्रक्शन और डिमोलिशन (C&D) वेस्ट यानी निर्माण मलबे के अस्थायी या स्थायी भंडारण के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. ऐसे कचरे को केवल अधिकृत C&D डंप साइट्स पर ही ले जाया जाए.

ये हैं NGT के मुख्य निर्देश

ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी (GNIDA) को आदेश दिया गया कि GB-10 और GB-13 से सभी अवैध ढांचे तुरंत हटाए जाएं. जरूरत पड़ने पर जिला प्रशासन की मदद ली जाए.

किसी भी ग्रीन बेल्ट को निर्माण मलबे के अस्थायी या स्थायी डंपिंग स्थल के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाएगा. प्रभावित जगहों को फिर से हरा-भरा किया जाए.

राजस्व विभाग तीन महीने के भीतर GB-13 की सीमाएं तय करे और इसके बाद GNIDA वहां बाउंड्री वॉल या फेंसिंग करे.

GNIDA सभी ग्रीन बेल्ट्स (GB-9, GB-10, GB-11, GB-13) की मरम्मत, रखरखाव और हरियाली विकसित करने का काम करे.

इस इलाके में सिर्फ ज़रूरी कामों के लिए ही सीमित जगह का उपयोग हो, कोई भी ठेकेदार वहां रह न सके.

ट्रिब्यूनल ने ये भी निर्देश दिया कि ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी सेक्टर सिग्मा और अन्य क्षेत्रों की ग्रीन बेल्ट्स की मरम्मत और देखभाल करे.
NGT ने दोहराया कि शहरों की हरियाली टिकाऊ विकास (sustainable development) का अहम हिस्सा है और इसे किसी भी हालत में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.

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कानूनी जानकारों ने कहा कि ये फैसला आने वाले समय में शहरों की सामुदायिक हरियाली की सुरक्षा और शहरी पर्यावरणीय जवाबदेही को सुनिश्चित करने के लिए एक मिसाल साबित होगा.

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