scorecardresearch
 

खात्मे की तरफ नक्सलवाद का हब: कैसे सिकुड़ता जा रहा है भारत का लाल गलियारा?

नक्सलवाद से सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों की संख्या 12 से घटकर 6 हो गई. इनमें छत्तीसगढ़ के चार जिले- बीजापुर, कांकेर, नारायणपुर और सुकमा, झारखंड का एक जिला- पश्चिमी सिंहभूम और महाराष्ट्र का एक जिला- गढ़चिरौली शामिल है.

Advertisement
X
छत्तीसगढ़ में सिकुड़ता नक्सलवाद का दायरा
छत्तीसगढ़ में सिकुड़ता नक्सलवाद का दायरा

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) का बस्तर लाल नक्शे से बाहर हो गया है. टॉप माओवादी नेता नंबाला केशव राव उर्फ बासवराजू को 21 मई को छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ इलाके में सुरक्षा बलों ने मार गिराया. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि सरकार अगले साल 31 मार्च से पहले देश से नक्सलवाद को पूरी तरह से खत्म करने के लिए काम कर रही है. 

सिकुड़ता लाल गलियारा

'पशुपति से तिरुपति तक...', यह एक वक्त लाल गलियारे के बारे में बात करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द था, भारत के वे जिले जहां नक्सलियों की मौजूदगी और प्रभाव है, नेपाल की दक्षिणी सीमा से लेकर दक्षिणी भारत के मंदिर शहरों तक. इसे 2013 के राज्यसभा के जवाब में देखा जा सकता है, जिसमें कहा गया था कि भारत में कुल 182 जिले वामपंथी उग्रवादियों से प्रभावित थे. इसमें 20 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के गंभीर रूप से प्रभावित और मध्यम रूप से प्रभावित जिले शामिल थे.

naxal

गृह मंत्रालय की अप्रैल में जारी की गई प्रेस रिलीज के मुताबिक, ऐसे जिलों की संख्या अप्रैल 2018 में 126 से घटकर 90, जुलाई 2021 में 70 और अप्रैल 2024 में 38 हो जाएगी. प्रेस नोट में कहा गया है कि प्रभावित जिलों की संख्या अब केवल 18 है.

Advertisement

सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों की संख्या 12 से घटकर छह हो गई. इनमें छत्तीसगढ़ के चार जिले (बीजापुर, कांकेर, नारायणपुर और सुकमा), झारखंड का एक (पश्चिमी सिंहभूम) और महाराष्ट्र का एक (गढ़चिरौली) शामिल है. ऐसे जिले, जहां अतिरिक्त संसाधनों को गहनता से उपलब्ध कराने की जरूरत है, उनकी संख्या नौ से घटकर छह हो गई और अन्य प्रभावित जिलों की संख्या भी 17 से घटकर छह हो गई.

कई साल का खून-खराबा...

पिछले दो दशकों में छत्तीसगढ़ में भारतीय सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच गोलीबारी में कई लोगों की जान गई है, इसमें आम नागरिक भी शामिल हैं. साउथ एशिया टेररिज्म पोर्टल के मुताबिक, राज्य में चरमपंथ के कारण 4,119 मौतें हुईं. इनमें 1,242 सुरक्षाकर्मी, 1,063 आम नागरिक और 1,814 उग्रवादी शामिल हैं. 2024 में 235 नक्सली मारे गए, जो 25 सालों में सबसे ज़्यादा है.

naxal

इस साल 17 मई तक छत्तीसगढ़ के सात जिलों (गरियाबंद, कांकेर, कोंडागांव, नारायणपुर, दंतेवाड़ा, बीजापुर और सुकमा) में नक्सलियों और सुरक्षा बलों के बीच मुठभेड़ हुई. साउथ एशिया टेररिज्म पोर्टल ने ऐसी कुल 38 घटनाओं की रिपोर्ट की, जिनमें 178 उग्रवादी मारे गए.

naxal

पिछले दो दशकों में छत्तीसगढ़ में 4,828 उग्रवादियों ने अपनी बंदूकें छोड़ी हैं. 2016 में सरेंडर की संख्या चरम पर थी, जब 1,232 उग्रवादियों ने हथियार डाल दिया था. तत्कालीन गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने सुझाव दिया था कि नोटबंदी कैंपेन इसके लिए एक संभावित कारण हो सकता है. पिछले साल 332 नक्सलियों ने सरेंडर किया था और इस साल राज्य में 356 उग्रवादियों ने सरेंडर किया है.

Advertisement

यह भी पढ़ें: एंटी-नक्सल ऑपरेशन में बड़ी सफलता, कोरापुट में माओवादी लीडर कुंजम हिडमा गिरफ्तार

3C फॉर्म्यूला  

रोड कनेक्टिविटी: सड़क नेटवर्क के विस्तार के लिए 14,395 किलोमीटर सड़कें बनाई गई हैं. इनमें से 11,474 किलोमीटर का निर्माण पिछले 10 साल में किया गया है.

मोबाइल कनेक्टिविटी: टेलीकॉम कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने के लिए नक्सल प्रभावित इलाकों में 5,139 सेल टॉवर लगाए गए हैं,

फाइनेंशियल कनेक्टिविटी: 30 सबसे ज्यादा नक्सल प्रभावित जिलों के निवासियों के फाइनेंशियल इन्क्लूजन के लिए अप्रैल 2015 से 1,007 बैंक अकाउंट्स, 937 एटीएम और 5,731 नए डाकघर खोले गए हैं.

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement