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11 साल से जिस दिल्ली से देश चला रहे PM मोदी, कब आए थे पहली बार? RSS के आंदोलन से जुड़ा वो किस्सा

भारत की सत्ता का केंद्र दिल्ली से नरेंद्र मोदी का वास्ता आज से 50 साल पहले से रहा है. PMO का भी जायजा नरेंद्र मोदी 24 साल पहले ले चुके हैं. आज पीएम मोदी के जन्मदिन पर हम बता रहे हैं उनकी दिल्ली की पहली राजनीतिक यात्रा की कहानी.

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नरेंद्र मोदी की 1993 की तस्वीर (Photo:X/@modiarchive)
नरेंद्र मोदी की 1993 की तस्वीर (Photo:X/@modiarchive)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज 75वां जन्मदिन मना रहे हैं. नरेंद्र मोदी जिस दिल्ली से 11 वर्षों से देश चला रहे हैं, उस दिल्ली में वे पहली बार कब पहुंचे थे. ये काफी दिलचस्प सवाल है. इसके साथ ही नरेंद्र मोदी की पहली दिल्ली यात्रा का किस्सा भी काफी दिलचस्प है. ये यात्रा पीएम राजनीतिक सफर की शुरुआत से भी जुड़ा है, इसके अलावा नरेंद्र मोदी की पहली दिल्ली यात्रा उनके सामाजिक जीवन में रम जाने का प्रारंभ है.

बात 1971 के अंत की है. नरेंद्र मोदी तब युवा थे. उनकी उम्र 20-21 साल रही होगी. नरेंद्र मोदी इसी उम्र में राष्ट्रीय स्वयं सेवक के साथ जुड़ चुके थे और इसकी प्रारंभिक गतिविधियों में भाग लेने लगे थे. 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकारी वेबसाइट में उनके किशोर जीवन का जिक्र कुछ इस तर से किया गया है. "17 साल की उम्र में उन्होंने पूरे भारत की यात्रा के लिए घर छोड़ दिया. दो साल तक उन्होंने भारत के विशाल भूभाग की यात्रा की और विभिन्न संस्कृतियों का अवलोकन किया और उनके बारे में समझ विकसित की. घर लौटने परवह एक बदले हुए व्यक्ति थे और उनके पास जीवन में क्या हासिल करना है, इसका एक स्पष्ट लक्ष्य था."

आगे इसमें लिखा गया है, "वे अहमदाबाद गए और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में शामिल हो गए. आरएसएस एक सामाजिक-सांस्कृतिक संगठन है जो भारत के सामाजिक और सांस्कृतिक पुनरुत्थान की दिशा में कार्यरत है. 1972 तक मोदी आरएसएस के पूर्ण प्रचारक बन गए. इसके बाद से अहमदाबाद में नरेंद्र मोदी की दिनचर्या काफी कठिन रही. उनका दिन सुबह 5 बजे शुरू होता था और देर रात तक चलता था."

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पहली बार दिल्ली कब आए नरेंद्र मोदी

1971 में बांग्लादेश मुक्ति संग्राम चल रहा था और आरएसएस इसका समर्थन कर रहा था. तब जनसंघ भारत सरकार के खिलाफ एक सत्याग्रह कर रहा था. जनसंघ के नेताओं ने ही बाद में भारतीय जनता पार्टी बनाई थी. 

जनसंघ का मानना था कि भारत को बांग्लादेश की आजादी के लिए अधिक सक्रिय समर्थन देना चाहिए, जनसंघ के नेता इंदिरा सरकार की नीतियों से असंतुष्ट थे. इस सत्याग्रह का उद्देश्य सरकार पर दबाव बनाना था ताकि भारत बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम में ज्यादा मदद करे. 

इसी सत्याग्रह में शामिल होने के लिए नरेंद्र मोदी दिल्ली आए थे और अटल बिहारी वाजपेयी, जो कि उस वक्त जनसंघ के अध्यक्ष थे, के नेतृत्व में इस प्रदर्शन में शामिल हुए थे. इस प्रदर्शन में जनसंघ के दूसरे नेता भी शामिल हुए थे. 1971 की नरेंद्र मोदी की इस यात्रा को उनकी पहली व्यस्क राजनीतिक गतिविधि के रूप में भी जाना जाता है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस आंदोलन का जिक्र तब किया है जब वो 2021 में बांग्लादेश के दौरे पर थे. 

प्रधानमंत्री ने तब कहा था, "बांग्लादेश की आजादी के संघर्ष में शामिल होना मेरे जीवन के पहले आंदोलनों में से एक था. मेरी उम्र 20-22 साल रही होगी. जब मैंने और मेरे कई साथियों ने बांग्लादेश के लोगों की आजादी के लिए सत्याग्रह किया था. बांग्लादेश की आजादी के समर्थन में तब मैंने गिरफ्तारी भी दी थी. और जेल जाने का अवसर भी आया था." 

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माना जाता है कि यह यात्रा उनके लिए टर्निंग पॉइंट साबित हुई. इससे पीएम मोदी संगठन क्षमता और समर्पण की पहचान हुई. 

यह भी पढ़ें: मोदी के मेंटर 'वकील साहब' की कहानी... जिन्होंने नरेंद्र मोदी के लिए खोले RSS के दरवाजे

पहली बार PMO में कब हुआ मोदी का प्रवेश

नई दिल्ली के पॉश इलाके में स्थित प्रधानमंत्री निवास सात रेसकोर्ड रोड (अब 7, लोक कल्याण मार्ग) में नरेंद्र मोदी की एंट्री 2014 से काफी पहले हो गई थी. ये 2014 से कोई 13 साल पहले की बात है. नरेंद्र मोदी पहली बार सार्वजनिक रूप से 7, रेसकोर्स रोड, दिल्ली में 18 अगस्त, 2001 को आए थे. उस समय वे भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव के रूप में दिल्ली में थे. तब देश के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी थे. नरेंद्र मोदी आरएसएस में अपने गुरु लक्ष्मणराव इनामदार पर लिखी गई किताब के विमोचन के सिलसिले में यहां आए थे. 

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