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मेघालय के पूर्व मुख्यमंत्री डी.डी. लापांग का 93 वर्ष की उम्र में निधन, सोमवार को होगा राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार

मेघालय के चार बार मुख्यमंत्री रहे डी.डी. लापांग का 93 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. वे लंबे समय से बीमार थे. राज्य सरकार ने उनके योगदान को याद करते हुए सोमवार को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार करने का ऐलान किया है. उनके निधन से राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई है.

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Photo: Social Media (फाइल फोटो)
Photo: Social Media (फाइल फोटो)

मेघालय के वरिष्ठ राजनेता और चार बार के मुख्यमंत्री रहे डोनवा देत्वेल्सन लापांग (डी.डी. लापांग) का शुक्रवार शाम निधन हो गया. 93 वर्षीय लापांग लंबे समय से उम्रजनित बीमारियों से जूझ रहे थे. उन्होंने शिलांग स्थित एक अस्पताल में अंतिम सांस ली. उनके परिवार में पत्नी एमिथिस्ट लिंडा जोन्स ब्लाह और दो संतानें हैं.

मेघालय सरकार ने घोषणा की है कि सोमवार को उन्हें राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी जाएगी. पूर्व सांसद और कांग्रेस नेता विन्सेंट एच. पाला उनके निधन के समय अस्पताल में मौजूद थे. लापांग के निधन की खबर से पूरे राज्य में शोक की लहर दौड़ गई. आम नागरिकों से लेकर राजनीतिक नेताओं तक ने अस्पताल और बाद में उनके नोंगपोह स्थित आवास पहुंचकर श्रद्धांजलि दी.

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डी.डी. लापांग का जन्म 10 अप्रैल 1932 को हुआ था. बेहद साधारण पृष्ठभूमि से आने वाले लापांग ने जीवन की शुरुआत श्रमिक, शिक्षक और सरकारी कर्मचारी के रूप में की. उन्होंने अपनी मां के साथ चाय की दुकान चलाने में भी मदद की. 1972 में उन्होंने नोंगपोह सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में विधानसभा चुनाव जीतकर राजनीति में प्रवेश किया.

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इसके बाद उनका राजनीतिक सफर लगातार आगे बढ़ता गया और उन्होंने 1992 से 2010 तक चार बार मेघालय के मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला. एक लंबे समय तक वे कांग्रेस पार्टी से जुड़े रहे और राज्य की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. वर्ष 2018 में उन्होंने नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) का दामन थामा और राज्य सरकार में मुख्य सलाहकार के रूप में योगदान दिया.

'मजदूर, शिक्षक और सरकारी कर्मचारी के रूप में भी काम किया'

उन्हें मेघालय के री-भोई जिले के गठन का प्रमुख सूत्रधार भी माना जाता है, जो वर्ष 1992 में अस्तित्व में आया. लापांग को एक कुशल प्रशासक और जमीनी नेता के रूप में याद किया जाता रहेगा. उनके निधन से मेघालय की राजनीति में एक युग का अंत हो गया है. बता दें कि एक साधारण पृष्ठभूमि से आने वाले लापांग ने एक समय अपनी मां की चाय की दुकान चलाने में मदद की थी और अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू करने से पहले एक मजदूर, शिक्षक और सरकारी कर्मचारी के रूप में काम किया था.

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