करूर में भगदड़ के दौरान हमले का शिकार हुए एम्बुलेंस ड्राइवरों से पूछताछ की है. पुलिस ने एम्बुलेंस के दस्तावेज भी मांगे, जिसका इस्तेमाल भगदड़ के पीड़ितों को बचाने में किया गया था. एम्बुलेंस ऑपरेटर ने आजतक से कहा कि पांच ड्राइवरों पर हमला हुआ, लेकिन अभी तक उनके लिए कोई मुआवजा घोषित नहीं हुआ, जिन्होंने लोगों की जानें बचाईं. पुलिस ने यह भी पूछा कि एम्बुलेंस किसने बुलाया. सर्विस प्रोवाइडर ने बताया कि एम्बुलेंस पुलिस की कॉल पर ही भेजी गई थी.
27 सितंबर को TVK नेता विजय के चुनाव प्रचार के दौरान हुए भगदड़ में 41 लोगों की जानें गईं. दरअसल, इस घटना के दौरान अनेक एम्बुलेंस ड्राइवरों ने महिलाओं और बच्चों सहित घायल लोगों को बचाने का काम किया, लेकिन कुछ ड्राइवरों पर भीड़ द्वारा हमला किया गया.
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आजतक ने पहले बताया था कि एक ड्राइवर को वाहन से बाहर खींचकर भीड़ ने हमला किया था. यह अफवाह फैलाई गई थी कि खाली एम्बुलेंस भीड़ को तितर-बितर करने के लिए भेजी गई थीं. यह दावा सबसे पहले AIADMK के महासचिव एडापड़ी के. पलानीसामी ने किया था, जिसके बाद अगली बार भीड़ ने एम्बुलेंस चालक दल पर हमला किया.
टीवीके नेताओं के आरोपों के बाद ड्राइवर से की गई पूछताछ
इस बार भी TVK नेताओं के समान आरोप जारी रहने के कारण, करूर जिला पुलिस ने SIT जांच से पहले एंबुलेंस ड्राइवरों और सेवा प्रदाताओं को पूछताछ के लिए बुलाया. एम्बुलेंस सेवा प्रदाता सूर्य ने बताया, "पुलिस ने हमारे वाहन दस्तावेज, किसने बुलाया, सूचना कैसे मिली जैसी बातें पूछीं. हमने बताया कि पुलिस ने हमें बुलाया था. चार चालक उस दिन हमले में आए, लेकिन हमने कई जीवन बचाए."
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ड्राइवर ने बच्ची की जान भी बचाई, मुआवजा नहीं मिला
सूर्य ने यह भी कहा कि अब तक हमले में आए ड्राइवरों के लिए कोई मुआवजा नहीं घोषित किया गया है. उन्होंने कहा, "हमारी टीम ने उस रात कठिन परिस्थितियों में काम किया. एक ड्राइवर ने CPR देकर एक बच्चे की जान भी बचाई लेकिन अभी तक कोई मुआवजा नहीं मिला."