भारत की सबसे बड़ी आईटी सर्विसेज फर्म टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) में बड़े पैमाने पर छंटनी हो रही है. यहां पर हज़ारों कर्मचारियों को जबरन इस्तीफ़ा देने के लिए मजबूर किया जा रहा है. कर्नाटक राज्य आईटी/आईटीईएस कर्मचारी संघ (KITU) ने TCS मैनेजमेंट की इस गैरकानूनी कार्रवाई की निंदा की है.
इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट एक्ट के मुताबिक, एंप्लॉयर द्वारा किसी कर्मचारी को इस्तीफा देने के लिए मजबूर करना दंडनीय अपराध है. हर कर्मचारी को जबरन इस्तीफे पर हस्ताक्षर करने से इनकार करने का कानूनी अधिकार है. जबरन इस्तीफा मांगना पूरी तरह से अवैध है और औद्योगिक विवाद अधिनियम के प्रावधानों के तहत अनुचित श्रम व्यवहार के अंतर्गत आता है.
KITU ने टीसीएस मैनेजमेंट से छंटनी का शिकार हुए कर्मचारियों को तुरंत बहाल करने को कहा है. मैनेजमेंट के इस गैरकानूनी कदम के खिलाफ कर्मचारी संघ, श्रम विभाग से संपर्क करेगा. श्रम कानूनों के मुताबिक, 100 से ज्यादा कर्मचारियों वाली किसी भी कंपनी को छंटनी करने से पहले सरकार से अनुमति लेनी होती है. इस मामले में, बिना अनुमति के ही हज़ारों कर्मचारियों की छंटनी कर दी गई है, जो कानून का एक बड़ा उल्लंघन है.
कर्मचारी संघ ने इस्तीफा नहीं देने के लिए कहा...
KITU ने इस अवैध छंटनी को रोकने के लिए सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है. KITU ने प्रभावित कर्मचारियों के साथ एकजुटा दिखाई है और उनसे दबाव में आकर इस्तीफ़ा न देने के लिए कहा है. इसके साथ ही, KITU ने कर्मचारियों को यूनियन हेल्पडेस्क से संपर्क करने के लिए कहा है. KITU ने सभी IT/ITeS कर्मचारियों से TCS के कर्मचारियों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए कहा है.
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लेऑफ की खबरों से मार्केट पर असर
टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) में संभावित छंटनी की खबरें आने के बाद सोमवार को रियल एस्टेट स्टॉक्स में भारी गिरावत देखी गई थी, जिससे सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल्स की हाउसिंग डिमांड पर सवाल खड़े हो गए.
सोमवार को 10 प्रमुख रियल एस्टेट कंपनियों के शेयर लाल निशान में बंद हुए. सबसे बड़ी गिरावट इन कंपनियों में देखी गई.
TCS और अन्य आईटी कंपनियों में नौकरी को लेकर अनिश्चितता ने रियल एस्टेट सेक्टर, खासकर बेंगलुरु और हैदराबाद जैसे टेक-हब शहरों में चिंता बढ़ा दी है. इन शहरों की रियल एस्टेट डिमांड का बड़ा हिस्सा आईटी पेशेवरों पर निर्भर रहता है.