कर्नाटक विधानसभा ने गुरुवार को हेट स्पीच और हेट क्राइम्स प्रिवेंशन बिल, 2025 को विपक्ष के तीव्र विरोध और बार-बार व्यवधानों के बीच पारित कर दिया. ये कानून उन व्यक्तियों या संगठनों पर लागू होगा जो भाषणों, किताबों या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के जरिए नफरत फैलाते हैं.
सदन में बिल पर चर्चा करते हुए राज्य के गृह मंत्री जी परमेश्वर ने कहा, 'हाल के वक्त में समाज को ठेस पहुंचाने वाले बयानों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है, जिसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं. हमें नहीं पता कि इसका क्या असर होगा.'
भावुक हुए जी परमेश्वर
चर्चा के दौरान परमेश्वर भावुक हो गए और उन्होंने भेदभाव के अपने निजी अनुभवों को साझा किया. उन्होंने बताया कि बचपन में जब वे स्कूल जाते थे, तो लोग उन पर पानी फेंकते थे.
उन्होंने कहा कि समाज में धर्म, जाति और लिंग के आधार पर नफरत बढ़ रही है, जिसे रोकना जरूरी है.
मंत्री ने जोर दिया कि डॉ. अंबेडकर के संविधान को पूरी तरह लागू करना ही सच्ची समानता होगी, क्योंकि बसवन्ना की शिक्षाओं के सदियों बाद भी भेदभाव जारी है. हमें बाबा साहब के दिए संविधान को लागू करना चाहिए.
7 साल जेल और एक लाख तक जुर्माना
बिल की मुख्य विशेषताएं बताते हुए परमेश्वर ने कहा कि ये कानून भाषणों, किताबों या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के जरिए घृणा फैलाने वाले व्यक्तियों या संगठनों को नियंत्रित करेगा. ये पुरानी प्रकाशित सामग्री पर भी लागू होगा.
उन्होंने बताया कि इस कानून के तहत अधिकतम सात साल की कैद और 50,000 रुपये से लेकर 1 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है.
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला
विपक्ष के नेता आर अशोक ने विधेयक का विरोध करते हुए इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताया. उन्होंने स्वतंत्रता के 75 वर्ष बाद भी ऐसे कानून की आवश्यकता पर सवाल उठाया और आरोप लगाया कि इसका दुरुपयोग व्यक्तियों को निशाना बनाने के लिए किया जा सकता है.
अशोक ने दावा किया कि इसमें जमानत का कोई प्रावधान नहीं है और चेतावनी दी कि इस कानून के तहत पत्रकारों को भी जेल भेजा जा सकता है.
राजनीतिक ब्रह्मास्त्र
उन्होंने कहा कि ये बिल राजनीतिक हिसाब चुकता करने का ब्रह्मास्त्र बन गया है और चेतावनी दी कि दोष साबित होने से पहले निर्दोष लोगों को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है.
अशोक ने सत्तारूढ़ दल को आगाह किया कि भविष्य में ये कानून उनके खिलाफ भी जा सकता है और सरकार से इस तरह का कानून बनाने से पहले सावधानी बरतने की अपील की.
बिल पर चर्चा के दौरान माहौल तब और गरमा गया जब मंत्री बायराथी सुरेश ने तटीय क्षेत्र के लोगों के बारे में टिप्पणी की. इससे भाजपा विधायक भड़क गए और सुनील कुमार ने अध्यक्ष की ओर इशारा करते हुए सवाल उठाए, जिससे सदन की कार्यवाही बार-बार बाधित हुई. लेकिन हंगामे के बावजूद सरकार ने बिल को पारित करवा लिया.