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अपनी जिद पर दिल्ली पहुंच रहे सिद्धारमैया? कांग्रेस हाईकमान ने मिलने से कर दिया इनकार

कर्नाटक कांग्रेस में हाईकमान और मुख्यमंत्री सिद्धारमैया कैंप के बीच तनाव खुलकर सामने आने लगा है. सिद्धारमैया 15 नवंबर को दिल्ली तो पहुंचेंगे, लेकिन उन्हें पार्टी नेतृत्व से मुलाकात की अनुमति नहीं दी गई है. दूसरी ओर, उनके समर्थक विधायक शक्ति प्रदर्शन में जुटे हैं, जबकि डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार भी दिल्ली में सक्रिय हैं.

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कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया दिल्ली दौरे पर पहुंच रहे हैं. (Photo: PTI)
कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया दिल्ली दौरे पर पहुंच रहे हैं. (Photo: PTI)

कर्नाटक की राजनीति में इन दिनों कांग्रेस हाईकमान और मुख्यमंत्री कैंप के बीच तल्खी और ताकत का प्रदर्शन साफ नजर आ रहा है. मुख्यमंत्री सिद्धारमैया 15 नवंबर को दिल्ली पहुंचने वाले हैं, लेकिन उन्हें स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि हाईकमान से मिलने की कोई जरूरत नहीं है और उनके लिए ऑडियंस नहीं रखा जाएगा.

इस बार उनका दिल्ली दौरा महज एक किताब विमोचन कार्यक्रम में शामिल होने तक सीमित रहेगा, इसके बाद वे बिना कोई राजनीतिक मुलाकात किए सीधे बेंगलुरु लौट जाएंगे.

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हाईकमान की तरफ से सख्त निर्देश जारी हुए हैं कि कर्नाटक के किसी भी नेता या मंत्री को उनसे मिलने की कोई अनुमति नहीं मिलेगी. इस रोक की वजह, पार्टी के अंदर बढ़ती गुटबाजी, नेतृत्व संघर्ष और राज्य-राष्ट्रीय राजनीति के उबाल को माना जा रहा है.

एकजुटता और शक्ति का संदेश देने की कोशिश

इस पृष्ठभूमि में मुख्यमंत्री कैंप के विधायक राघवेंद्र हितनाल ने दिल्ली में अपने भाई, कोप्पल सांसद राजशेखर हितनाल के आवास पर कैंप विधायकों और मंत्रियों के लिए रात्रिभोज रखा है. इसे ताकत और नंबर गेम की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है - CM कैंप अपनी एकजुटता और शक्ति का संदेश देना चाहता है.

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इसी बीच, उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने 'वोट चोरी' के मुद्दे को लेकर सात दिन में दूसरी बार दिल्ली की यात्रा की है. ये दौरा पार्टी में चल रही अंतर्कलह और शक्तिपरीक्षण के संकेत भी देता है.

कांग्रेस में क्या कुछ चल रहा है?

राजनीतिक जानकारों के अनुसार, कांग्रेस में अगले कुछ महीनों में नेतृत्व परिवर्तन, कैबिनेट फेरबदल या पार्टी पदों के नए समीकरण तय हो सकते हैं. हाईकमान फिलहाल किसी भी गुट को सीधे तवज्जो देने से बच रहा है और सार्वजनिक रूप से एक दूरी बना रखी है ताकि दल में बड़े असंतोष या बगावत की संभावनाओं को रोका जा सके.

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