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जन विश्वास बिल 2025: छोटे अपराधों पर जेल नहीं, सिर्फ फाइन और वॉर्न‍िंग, जानिए क्या बदलेगा?

केंद्र सरकार ने सोमवार को लोकसभा में जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) विधेयक, 2025 पेश किया है. इसमें ऐसे 355 अपराधों को अपराधमुक्त किया गया है या फिर जेल की सज़ा की जगह चेतावनी और जुर्माने का प्रावधान किया गया है. केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि इस बिल का मकसद है लोगों की जिंदगी आसान बनाना और व्यापार-कारोबार में बेवजह की कानूनी रुकावटें हटाना.

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संसद में पेश किया गया जन विश्वास ब‍िल (सांकेत‍िक तस्वीर)
संसद में पेश किया गया जन विश्वास ब‍िल (सांकेत‍िक तस्वीर)

सरकार ने संसद में जन विश्वास (अपराध और सज़ा संशोधन) विधेयक, 2025 पेश कर दिया है. इस बिल का मकसद है, लोगों और कारोबारियों को राहत देना, छोटी–छोटी प्रक्रियागत गलतियों को अपराध की श्रेणी से बाहर करना और अदालतों पर बोझ कम करना.

बिल के जरिए कुल 16 कानूनों के 288 अपराधों में बदलाव किया गया है. अब इन मामलों में पहली बार गलती पर चेतावनी मिलेगी, बार-बार गलती करने पर जुर्माना लगेगा, लेकिन जेल की सज़ा का प्रावधान लगभग खत्म कर दिया गया है.

क्या है जन विश्वास बिल 2025?

कई अधिनियमों (Acts) में संशोधन करके छोटे अपराधों को अपराध की श्रेणी से बाहर किया गया है.
सरकार का दावा है कि इससे Ease of Doing Business और Ease of Living दोनों को बढ़ावा मिलेगा.
जुर्माना वसूलने की प्रक्रिया आसान की गई है और अब इसे कर बकाया की तरह वसूला जा सकेगा.
प्रशासनिक स्तर पर ही फैसले होंगे ताकि न्यायपालिका का बोझ कम हो.

अपराध और सज़ा में बड़े बदलाव

1. सामान्य नियम
पहली बार अपराध में चेतावनी
दोबारा अपराध पर जुर्माना
जेल का प्रावधान- अधिकतर मामलों में हटा दिया गया है
न्यूनतम जुर्माना तय, बार-बार गलती पर प्रतिदिन अतिरिक्त जुर्माना

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2. बैंकिंग और बिज़नेस कानून

भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934: रिपोर्ट न देने पर पहले जेल/अभियोजन होता था, अब सिर्फ प्रशासनिक जुर्माना – पहली बार ₹1 लाख, जारी रखने पर ₹5,000 प्रतिदिन.

औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940: बिना लाइसेंस दवा बनाने/बेचने पर पहले 6 महीने जेल थी, अब सिर्फ ₹30,000 जुर्माना.
चाय अधिनियम, 1953: नियम तोड़ने पर अब पहली बार चेतावनी, दोबारा करने पर ₹1 लाख तक जुर्माना.
कोयर उद्योग अधिनियम, 1953: दंडात्मक प्रावधान पूरी तरह हटे.

3. मोटर वाहन और ट्रांसपोर्ट

मोटर वाहन अधिनियम, 1988: बिना परमिट वाहन चलाना, फिटनेस/इंश्योरेंस पेपर न रखना – अब सिर्फ ₹500–₹5000 जुर्माना.
सड़क परिवहन निगम अधिनियम, 1950: पहले आपराधिक केस दर्ज होता था, अब सिर्फ जुर्माना.

4. पर्यावरण और बीमा

पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986: प्रदूषण नियम तोड़ने पर पहले 5 साल जेल + ₹1 लाख जुर्माना, अब सिर्फ भारी जुर्माना – ₹5 लाख या उससे ज्यादा.
सार्वजनिक देयता बीमा अधिनियम, 1991: बीमा न लेने पर अब सिर्फ जुर्माना, कोई जेल नहीं.

5. दिल्ली नगर निगम (NDMC) से जुड़े बदलाव

कचरा न उठाना, सड़कों पर गंदगी करना, बिना अनुमति निर्माण करना, पशु खुले छोड़ना – अब सिर्फ पहली बार चेतावनी और फिर जुर्माना (₹50 से ₹5000 तक).

जल आपूर्ति से जुड़े उल्लंघन: पाइप से छेड़छाड़ या पानी की बर्बादी पर ₹200-₹500 तक जुर्माना.
भवन निर्माण नियम: गलत जगह निर्माण या मंजूरी का उल्लंघन करने पर 6 महीने कैद या ₹5000 जुर्माना.
सफाई और स्वास्थ्य नियम: कचरा न हटाने, शौचालय/मूत्रालय न बनाने, संक्रमित वस्तुओं का इस्तेमाल करने पर ₹100-₹1000 जुर्माना.

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कुत्तों को बिना जंजीर छोड़ना, शमशान/कब्रिस्तान नियम तोड़ना, न्यूसेन्स न हटाना- इन सब पर भी जुर्माना तय.

प्रशासनिक ढांचा भी बदला

न्यायनिर्णायक अधिकारी नियुक्त होंगे जो मौके पर नोटिस जारी कर सकेंगे.
अपील प्राधिकारी को आदेश मिलेगा कि अपील 6 महीने में निपटाई जाए.
पुलिस अब सिर्फ वहीं कार्रवाई करेगी जहां उसे प्रशासक से अधिकार दिया गया हो.

सरकार का तर्क

सरकार का कहना है कि छोटे अपराधों पर जेल की सज़ा देना अनुचित और कठोर है.  ऐसे मामलों को अपराध की श्रेणी से हटाकर जुर्माने के दायरे में लाना जरूरी था. इससे व्यापारियों, उद्योगों और आम नागरिकों को राहत मिलेगी. साथ ही अदालतों और पुलिस पर भी बोझ कम होगा.

जन विश्वास (अपराध और सज़ा संशोधन) विधेयक 2025 - व‍िस्तार से देखें मुख्य पॉइंट्स

1. सामान्य बदलाव

कई छोटे अपराधों को जुर्माने में बदला गया, जेल का प्रावधान हटाया गया.
पहली बार उल्लंघन करने पर Warning Notice देने का प्रावधान.
कई मामलों में न्यायनिर्णायक अधिकारी (Adjudicating Officer) और अपील प्राधिकारी (Appellate Authority) नियुक्त होंगे.
सज़ा तय करने की प्रक्रिया अधिक सरल और पारदर्शी की गई.
जुर्माना वसूलने की शक्ति अब कर बकाया की तरह दी गई है.

2. धारा 465 (नई व्यवस्था)

यदि किसी मामले में स्पष्ट जुर्माना तय नहीं है तो:
पहली बार उल्लंघन: ₹500 का जुर्माना.
उल्लंघन जारी रहने पर: ₹50 प्रतिदिन अतिरिक्त.
सज़ा अधिरोपित करने की प्रक्रिया धारा 468क के तहत होगी.

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3. धारा 468क (Adjudication)

आयुक्त किसी अधिकारी को न्यायनिर्णायक अधिकारी नियुक्त करेगा.
न्यायनिर्णायक अधिकारी के पास नोटिस भेजने, सबूत मांगने और जुर्माना लगाने की शक्ति होगी.

4. धारा 468ख (Appeal)

अपील प्राधिकारी, न्यायनिर्णायक अधिकारी से एक रैंक ऊपर होगा.
आदेश मिलने के 30 दिन के भीतर अपील दायर की जा सकेगी.
अपील का निपटारा 6 महीने में करना अनिवार्य.

5. पुलिस और प्रशासनिक बदलाव

धारा 474: केवल प्रशासक द्वारा अधिकृत पुलिस अधिकारी ही कार्रवाई कर सकेगा.
धारा 475: सभी पुलिस अधिकारियों का कर्तव्य होगा कि वे नगरपालिका अधिकारियों की सहायता करें.

6. धारा 482 (Bylaws का उल्लंघन)

उपविधियों के उल्लंघन पर अधिकतम ₹500 का जुर्माना.
लगातार उल्लंघन पर प्रतिदिन ₹50 का जुर्माना.
आयुक्त द्वारा नोटिस मिलने के बाद भी उल्लंघन जारी रहने पर दंड लगेगा.

7. बारहवीं अनुसूची (नई सज़ाओं की सारणी)

कई धाराओं के तहत अपराधों को कारावास से बदलकर जुर्माना या जुर्माना + कम अवधि की कैद में बदला गया.
उदाहरण:
धारा 143: बिना अनुमति विज्ञापन → ₹200 जुर्माना + 60 दिन तक कैद.
धारा 313(5): आदेश न मानना → 3 साल तक कैद.
धारा 317(1): पथ पर बाहर की ओर संरचना → 6 महीने कैद या ₹5000 जुर्माना.
धारा 321: पथों पर सामान रखना → 6 महीने कैद या ₹5000 जुर्माना.
धारा 333–334: भवन निर्माण/परिवर्तन की सूचना न देना → 6 महीने कैद या ₹5000 जुर्माना.

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8. जलापूर्ति व निकासी

धारा 152: जल आपूर्ति ग्रहण करने की शर्त न मानना → ₹200.
धारा 153: जल आपूर्ति के बिना नए परिसर का अधिभोग → ₹200.
धारा 164: जल का अपव्यय या दुरुपयोग → ₹500.
धारा 168: पाइप इस तरह बिछाना कि जल प्रदूषित हो सके → ₹100.
धारा 175–178: नालियों की शर्तें पूरी न करना → ₹50–₹1000 तक जुर्माना.

9. भवन व निर्माण (Page 99–104)

धारा 209: नियमित लाइन से बाहर भवन → ₹1000 जुर्माना.
धारा 217: परिषद आदेश की अवहेलना → 3 साल तक कैद.
धारा 221–224: बाहर की ओर संरचना बनाना → ₹200 जुर्माना.
धारा 225: पथों में सामान रखना या बाधा → ₹1000 जुर्माना.
धारा 232: खतरनाक स्थान की मरम्मत न करना → ₹200 जुर्माना.
धारा 237: बिना अनुमति भवन निर्माण → 6 महीने कैद + ₹5000 जुर्माना.
धारा 245: समतल किए बिना भवन निर्माण → ₹1000 जुर्माना.
धारा 247–249: बिना मंजूरी निर्माण/शर्त उल्लंघन → 6 महीने कैद या ₹5000 जुर्माना.

10. स्वास्थ्य, सफाई और सार्वजनिक सुविधा

धारा 264–267: गंदगी और कचरा हटाने में असफलता → ₹100–₹500 जुर्माना.
धारा 273–276: शौचालय/मूत्रालय की व्यवस्था न करना → ₹500–₹1000 जुर्माना.
धारा 276–279: अनुपयुक्त भवनों को हटाने/तोड़ने का आदेश न मानना → ₹1000 जुर्माना.
धारा 281–293: संचारी रोग की सूचना न देना, संक्रमित वस्तुओं का प्रयोग → ₹100–₹200 जुर्माना.
धारा 296: रोगी व्यक्ति से संक्रमण फैलने का जोखिम → ₹200 जुर्माना.
धारा 298: सफाई कर्मचारियों की अनुपस्थिति पर सूचना न देना → ₹500 जुर्माना.
धारा 301–303: शमशान/कब्रिस्तान से जुड़े उल्लंघन → ₹200 जुर्माना.
धारा 309: न्यूसेन्स हटाने में असफलता → ₹500 जुर्माना.
धारा 310: कुत्तों को बिना जंजीर घुमाना → ₹1000 जुर्माना.

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