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कोरोना की नेजल वैक्सीन का क्या हुआ? क्या नई लहर में ये काम आएगी, किन कंपनियों की वैक्सीन तैयार

केंद्र सरकार ने 23 दिसंबर 2022 को भारत बायोटेक की नेजल वैक्सीन को मंजूरी दी थी. यह वैक्सीन बूस्टर डोज के तौर पर लगाई गई थी. नेजल वैक्सीन को शुरुआत में प्राइवेट अस्पतालों में लगाया गया और इसके बाद सरकारी वैक्सीनेशन प्रोग्राम में भी नेजल वैक्सीन को शामिल किया.

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कोरोना की नेजल वैक्सीन (सांकेतिक फोटो)
कोरोना की नेजल वैक्सीन (सांकेतिक फोटो)

देश में एक बार फिर कोरोना धीरे-धीरे पैर पसार रहा है. सोमवार तक देशभर में कोरोना के करीब चार हजार मामले रिपोर्ट हुए हैं और इनमें केरल से आए करीब 1500 केस भी शामिल हैं. इसके अलावा महाराष्ट्र और दिल्ली जैसे राज्यों में कोरोना मामलों की संख्या पांच सौ के आसपास पहुंच गई है. ऐसे में एक बार फिर कोरोना वैक्सीन को लेकर लोगों के मन में सवाल हैं. 

देश में सिर्फ एक नेजल वैक्सीन

कोरोना के वक्त देश में ज्यादातर लोगों को सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की कोविशील्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सीन दी गई थी. इसके अलावा इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए रूस की स्पुतनिक V और मॉडर्ना वैक्सीन को भी मान्यता मिली थी. लेकिन इन सबके बीच देश ने कोरोना का प्रकोप कम होने के बाद एक और नेजल वैक्सीन तैयार की थी. भारत बायोटेक की इस नेजल कोविड वैक्सीन का नाम 'iNCOVACC' है, जिसे पहले BBV154 नाम दिया गया था.

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केंद्र सरकार ने 23 दिसंबर 2022 को भारत बायोटेक की नेजल वैक्सीन को मंजूरी दी थी. यह वैक्सीन बूस्टर डोज के तौर पर लगाई गई थी. नेजल वैक्सीन को शुरुआत में प्राइवेट अस्पतालों में लगाया गया और इसके बाद सरकारी वैक्सीनेशन प्रोग्राम में भी नेजल वैक्सीन को शामिल किया. इसके लिए सरकार की ओर से फंडिंग की गई है. भारत के ड्रग कंट्रोलर जनरल DCGI ने भारत बायोटेक की इंट्रानेजल कोविड वैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी दी थी. लेकिन इसके बाद देश में कोई और नेजल वैक्सीन तैयार नहीं की गई है और सिर्फ भारत बायोटेक की नेजल वैक्सीन ही बाजार में उपलब्ध है.

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कितनी है वैक्सीन की कीमत

iNCOVACC वैक्सीन कोविन ऐप पर उपलब्ध है और मार्केट में इसकी कीमत 800 रुपये और भारत सरकार व राज्य सरकारों को सप्लाई के लिए 325 रुपये रखी गई है. ये इंट्रानेजल वैक्सीन स्टोरेज और डिस्ट्रीब्यूशन के लिए 2 से 8 डिग्री सेल्सियस पर स्थिर रह सकती है और आसानी से इसका मूवमेंट किया जा सकता है. वैक्सीन को वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी, सेंट लुइस के साथ पार्टनशिप में तैयार किया गया है. 

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ये वैक्सीन नाक के जरिए स्प्रे करके दी जाती है, मतलब वैक्सीन लेने वाले की बांह पर टीका नहीं लगाया जाता. एम्स के पूर्व डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने भी बताया था कि नेजल वैक्सीन बेहतर है, क्योंकि इन्हें लगाना ज्यादा आसान है और ये म्यूकोसा में ही इम्युनिटी बना देता है, जिससे संक्रमण से शुरुआत में ही बचा जा सकता है. ऐसे में कोरोना की मौजूदा लहर में भी यह वैक्सीन कारगर साबित हो सकती है, क्योंकि अभी कोरोना का पब्लिक स्प्रेड नहीं हुआ है और कुछ ही राज्यों में मामले सामने आए हैं.  

कितनी सुरक्षित है नेजल वैक्सीन? 

तीन फेज के ट्रायल में iNCOVACC असरदार साबित हुई है. कंपनी ने फेज-1 के ट्रायल में 175 और दूसरे फेज के ट्रायल में 200 लोगों को शामिल किया था. तीसरे फेज का ट्रायल दो तरह से हुआ था. पहला ट्रायल 3,100 लोगों पर किया गया था, जिन्हें वैक्सीन की दो डोज दी गई थी. वहीं, दूसरा ट्रायल 875 लोगों पर हुआ था और उन्हें ये वैक्सीन बूस्टर डोज के तौर पर दी गई थी. कंपनी का दावा है कि ट्रायल में ये वैक्सीन कोरोना के खिलाफ असरदार साबित हुई है. कंपनी के मुताबिक, इस वैक्सीन से लोगों के अपर रेस्पिरेटरी सिस्टम में कोरोना के खिलाफ जबरदस्त इम्युनिटी बनी है, जिससे संक्रमण होने और फैलने का खतरा काफी कम है.

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