भारतीय सेना की ताकत में जल्द ही और इजाफा होने वाला है. इंडो-रशियन राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड (IRRPL) जल्द ही सेना को 5000 और AK-203 राइफलें सौंपेगा. अमेठी में नई राइफलों का ट्रायल करने के लिए DGQA (डायरेक्टोरेट जनरल क्वालिटी एश्योरेंस) की टीम मौजूद है. अधिकारियों के मुताबिक, जांच पूरी होने के बाद ये 5000 राइफलें सेना को डिलीवर कर दी जाएंगी.
अब तक मिल चुकी हैं 48 हजार राइफलें
पिछले 18 महीनों में भारतीय सेना को लगभग 48,000 AK-203 राइफलें मिल चुकी हैं. अब 5000 और राइफलों की डिलीवरी जल्द की जाएगी. ये सभी राइफलें अमेठी के कारखाने में बनाई जा रही हैं.
तकनीक का 100% ट्रांसफर
राइफल निर्माण के लिए रूस से 100% तकनीक का ट्रांसफर हो चुका है, जबकि 50% राइफलें अब तक स्वदेशीकरण के तहत बन चुकी हैं. 31 दिसंबर 2025 तक AK-203 राइफल का निर्माण पूरी तरह भारत में होगा. इसके बाद हर महीने अमेठी में 12,000 राइफलें बनेंगी. यानी हर 100 सेकंड में एक राइफल तैयार होगी और एक साल में करीब 1.5 लाख राइफलें बनाई जाएंगी.
पूरे 6 लाख राइफलों का ऑर्डर 2030 तक पूरा
भारतीय सेना के लिए 6 लाख से ज्यादा AK-203 राइफलों का ऑर्डर दिसंबर 2030 तक पूरा कर दिया जाएगा. यह समय सीमा तय लक्ष्य से 22 महीने पहले होगी, क्योंकि मूल योजना दिसंबर 2032 तक की थी. AK-203 राइफलें आधुनिक तकनीक से लैस हैं और भारतीय सेना के जवानों के लिए इनका निर्माण देश में होना न केवल आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि सुरक्षा के लिहाज से भी अहम है.