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'अगर जातिगत जनगणना रोकने की सोच रहे तो सपना देख रहे हैं', राहुल गांधी ने पीएम मोदी पर साधा निशाना

हाल ही में राहुल गांधी ने जाति जनगणना की मांग करते हुए कहा था कि मैंने पूर्व मिस इंडिया की सूची देखी, लेकिन विजेताओं में कोई दलित, आदिवासी या ओबीसी नहीं मिला. यहां तक ​​कि मीडिया में शीर्ष एंकर भी 90 प्रतिशत से नहीं हैं

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राहुल गांधी ने फिर उठाई जाति जनगणना की मांग.
राहुल गांधी ने फिर उठाई जाति जनगणना की मांग.

जाति जनगणना के मुद्दे पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक बार फिर मोदी सरकार को घेरा है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर इंडिया टुडे के एक सर्वे को शेयर करते हुए राहुल गांधी ने कहा, 'मोदी जी, अगर आप जाति जनगणना को रोकने के बारे में सोच रहे हैं, तो आप सपना देख रहे हैं. कोई शक्ति अब इसे रोक नहीं सकती! हिंदुस्तान का order आ चुका है - जल्द ही 90% भारतीय जाति जनगणना का समर्थन और मांग करेंगे. Order अभी लागू कीजिए, या आप अगले प्रधानमंत्री को ये करते देखेंगे.'

दरअसल, इंडिया टुडे की ओर से किए गए सर्वे में ये सामने आया था कि देश के 74 फीसदी लोग जातिगत जनगणना के समर्थन में हैं. बता दें कि लोकसभा चुनाव में भी राहुल गांधी समेत कई विपक्षी दलों के नेताओं ने जातिगत जनगणना की मांग उठाई थी. हाल ही में कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने केंद्र सरकार को सलाह दी थी कि सरकार जनगणना के दौरान एक अतिरिक्त कॉलम जोड़कर भी ओबीसी जातियों का डेटा इकट्ठा कर सकती है. 

राहुल गांधी ने मिस इंडिया से लेकर क्रिकेट टीम तक पर उठाए सवाल?

हाल ही में राहुल गांधी ने जाति जनगणना की मांग करते हुए कहा कि मैंने पूर्व मिस इंडिया की सूची देखी, लेकिन विजेताओं में कोई दलित, आदिवासी या ओबीसी नहीं मिला. उन्होंने कहा, 'कुछ लोग क्रिकेट या बॉलीवुड के बारे में बात करेंगे. कोई भी मोची या प्लंबर को नहीं दिखाएगा. यहां तक ​​कि मीडिया में शीर्ष एंकर भी 90 प्रतिशत से नहीं हैं.

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यह भी पढ़ें: 'इतने सालों तक आप सत्ता में रहे, तब क्यों नहीं कराई जाति जनगणना', मायावती का राहुल गांधी पर बड़ा हमला

लोकसभा में विपक्ष के नेता ने कहा, "हम जानना चाहते हैं कि संस्थानों, कॉरपोरेट्स, बॉलीवुड, मिस इंडिया में कितने लोग 90 प्रतिशत से हैं. मैं केवल यह कह रहा हूं कि 90 प्रतिशत लोगों की 'भागीदारी' नहीं है और इस पर रोक लगनी चाहिए."

क्यों उठ रही है मांग

दरअसल, अभी जनगणना में ये नहीं पता चल पाता है कि किस जाति के कितने लोग हैं. अभी सिर्फ अनुसूचित जाति और जनजाति के ही आंकड़े आते हैं. ओबीसी जातियों की गिनती नहीं होती. जातिगत जनगणना की मांग के पीछे का मकसद ये है कि जिस जाति की जितनी आबादी, उसको उतना आरक्षण मिले. वहीं, इसके विरोध में तर्क दिया जाता है कि अगर जनगणना में ओबीसी की आबादी ज्यादा निकली तो ज्यादा आरक्षण की मांग उठेगी. अभी ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण मिलता है. ये आरक्षण 1931 में आखिरी बार हुई जाति जनगणना के आधार पर दिया जाता है. 1990 में मंडल आयोग ने 1931 के आधार पर ओबीसी की आबादी 52 फीसदी होने का अनुमान लगाया था.

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