हरियाणा के शिकोहपुर लैंड मामले में रॉबर्ट वाड्रा से ईडी लगातार पूछताछ कर रही है. गुरुवार को लगातार तीसरे तीन रॉबर्ट ईडी दफ्तर पहुंच गए. उनसे करीब दो घंटे तक पूछताछ की गई. अब लंच के बाद उनसे फिर से पूछताछ की जाएगी.
ईडी दफ्तर आने समय उनके साथ प्रियंका गांधी वाड्रा भी दिखीं. कल (बुधवार) को 6 घंटे तक पूछताछ हुई और आज फिर बुलाया गया. वाड्रा की कंपनी स्काइलाइट हॉस्पिटलिटी पर आरोप है कि साढ़े 7 करोड़ में खरीदी जमीन को 58 करोड़ में बेचकर 50 करोड़ का मुनाफा कमाया गया. वाड्रा का कहना है कि पिछले 20 सालों में 15 बार उन्हें बुलाया गया और हर बार 10 घंटे से ज्यादा पूछताछ की गई. दो बार क्लीन चीट भी मिल चुकी है. इस मामले में उन्होंने 23,000 दस्तावेज जमा किए हैं.
ईडी की कार्रवाई पर क्या बोले रॉबर्ट वाड्रा?
ईडी द्वारा लगातार तीसरे दिन पूछताछ के लिए बुलाए जाने पर रॉबर्ट वाड्रा ने मीडिया से बात करते हुए खुद को बेगुनाह बताया. उन्होंने कहा, '2019 में सभी सवालों के जवाब दे चुके हैं. जितना प्रेशर डालोगे, परेशान करोगे, उतना मैं मजबूत होकर वापस आऊंगा. मेरे पास लोगों की शक्ति है, लोग मेरे साथ जुड़े हुए हैं'.
वाड्रा ने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ सरकार हमेशा एजेंसियों का दुरुपयोग करती है. उन्होंने कहा कि वे किसी भी सरकार या एजेंसी से डरने वाले नहीं हैं. वाड्रा ने ED की पूछताछ को राजनीति से प्रेरित बताया.
#WATCH | Delhi: Businessman Robert Vadra folds his hands, waves at media and shows a thumbs-up sign as he enters the ED office for the third consecutive day in connection with the Gurugram land case.
His wife, Congress MP Priyanka Gandhi Vadra is also with him. pic.twitter.com/HANE8tfzbr
— ANI (@ANI) April 17, 2025
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ईडी ने मंगलवार को इस मामले में रॉबर्ट वाड्रा से साढ़े छह घंटे तक पूछताछ की. वहीं, बुधवार को ईडी ने करीब पांच घंटे तक पूछताछ की थी. यानि दो दिनों में ईडी ने करीब साढ़े ग्यारह घंटे पूछताछ कर ली है. ईडी के अधिकारी मामले के तमाम पहलुओं की गहन जांच कर रहे हैं और वाड्रा से जुड़े वित्तीय लेन-देन की जानकारियां हासिल कर रहे हैं.
क्या है मामला?
गुरुग्राम के मानेसर-शिकोहपुर क्षेत्र की जमीन, जिसे रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी ने 2008 में 7.5 करोड़ रुपये में खरीदा और 2012 में डीएलएफ को 58 करोड़ रुपये में बेचा, फिर चर्चाओं में है. जमीन की इस खरीद-बिक्री को लेकर विवाद तब उत्पन्न हुआ जब आईएएस अधिकारी अशोक खेमका ने जमीन के म्यूटेशन को रद्द कर दिया थी. अशोक खेमका ने तर्क दिया था कि यह लेन-देन राज्य के समेकन अधिनियम और अन्य प्रक्रियाओं का उल्लंघन हुआ.