scorecardresearch
 

दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे पियर ब्रिज का काम पूरा, नोनी पुल के निर्माण में सेना ने निभाया अहम रोल

आज यह पुल भारत की बुनियादी ढांचे की क्षमता की एक बड़ी मिसाल है, लेकिन यह भारतीय सेना के गोरखा टेरियर्स की सतर्कता थी जिसने इस जीत को मुमकिन बनाया. इस काम में उनका रोल मिलिट्री ड्यूटी से अलग था, फिर भी इस काम को बखूबी किया गया है.

Advertisement
X
नोनी ब्रिज
नोनी ब्रिज

भारतीय सेना एक बार फिर राष्ट्र निर्माण में अदृश्य शक्ति बनकर सामने आई है. सेना की 107 इन्फैंट्री बटालियन (टेरिटोरियल आर्मी) 11 गोरखा राइफल्स ने हाल ही में इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे में से एक को सुरक्षित करने में अहम भूमिका निभाई है. इस बटालियन को गोरखा टेरियर्स के रूप में भी जाना जाता है.

गोरखा टेरियर्स ने की मदद 

ईस्टर्न कमांड के अधिकार क्षेत्र में काम करते हुए गोरखा टेरियर्स ने मणिपुर के नोनी में पुल संख्या 164 पर दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे पियर ब्रिज के निर्माण के दौरान सुरक्षा और ऑपरेशनल मदद मुहैया कराई है. उनकी मौजूदगी ने खराब मौसम के हालात में सुरक्षा खतरों और भौगोलिक चुनौतियों वाले इस इलाके में देश के लिए अहम इस निर्माण को आसान बनाया है.

बीती 25 अप्रैल 2025 को इस रिकॉर्ड ब्रेकिंग स्ट्रक्चर को अंतिम रूप दिया गया, जो न सिर्फ सिविल इंजीनियरिंग में, बल्कि नागरिक-सैन्य सहयोग और राष्ट्रीय संकल्प में भी एक ऐतिहासिक उपलब्धि होगी. भारतीय रेलवे के तहत काम करने वाली बीबीजे कंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड (भारत सरकार का उद्यम) की ओर से तैयार यह पुल महत्वाकांक्षी जिरीबाम-तुपुल-इम्फाल रेलवे लाइन का एक अहम लिंक है, जो पूर्वोत्तर के लिए एक रणनीतिक लाइफ लाइन है.

Advertisement

आज यह पुल भारत की बुनियादी ढांचे की क्षमता की एक बड़ी मिसाल है, लेकिन यह भारतीय सेना के गोरखा टेरियर्स की अटूट सतर्कता थी जिसने इस काम को मुमकिन बनाया. इस काम में उनका रोल मिलिट्री ड्यूटी से अलग था, जो दूर-दराज और संवेदनशील क्षेत्रों में राष्ट्रीय विकास का समर्थन करने के लिए भारतीय सेना की प्रतिबद्धता को भी दिखाता है.

क्यों अहम है नोनी ब्रिज

नोनी में पुल का सफलतापूर्वक निर्माण न सिर्फ तकनीकी दक्षता की जीत है, बल्कि गोरखा टेरियर्स के समर्पण और बहादुरी को भी सलाम है. नोनी ब्रिज और जिरीबाम-इंफाल रेलवे लाइन प्रोजेक्ट से मणिपुर और आसपास के क्षेत्रों में आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा. इस पुल के जरिए रेलवे माल ढुलाई और यात्रियों के परिवहन की लागत कम होगी, व्यापार बढ़ेगा और उद्योगों और बुनियादी ढांचे में निवेश को बढ़ावा मिलेगा.

इस प्रोजेक्ट से रोजगार के नए अवसर पैदा होने की संभावना है और यह क्षेत्र की समृद्धि में अहम योगदान देगा. यह पूर्वोत्तर राज्यों को बेहतर कनेक्टिविटी के साथ देश के बाकी हिस्सों के साथ एकीकृत करने की बड़ी योजना का हिस्सा है. इससे पुल से व्यापार, पर्यटन और लोगों के बीच आपसी संपर्क को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है, जिससे एकता और समावेश की भावना को बढ़ावा मिलेगा.

Advertisement

करीब 140 मीटर ऊंचा यह पुल दुनिया का सबसे ऊंचा पियर ब्रिज होगा, जो मोंटेनेग्रो में 139 मीटर ऊंचे माला-रिजेका वायडक्ट के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ देगा. यह पुल 703 मीटर लंबा होगा, जिसके खंभों का निर्माण हाइड्रोलिक ऑगर्स का इस्तेमाल करके किया गया है. यह रास्ता हिमालय के पूर्वी मार्ग पर पटकाई क्षेत्र की खड़ी पहाड़ियों से होकर गुजरता है और इस पुल का निर्माण 374 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से किया जा रहा है.

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement