
तेलंगाना के पासमैलारम इलाके में सिगाची फार्मा प्लांट में हुए रिएक्टर ब्लास्ट में कम से कम 40 लोगों की मौत हो गई जिनमें फैक्ट्री के वर्कर भी शामिल थे. ये हादसा देश भर में फैक्ट्रियों और इंडस्ट्रीज़ की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े करता है कि क्या ये सिर्फ लापरवाही थी? रेगुलेशन का फेल्योर? या कोई गहरी सिस्टम की खामी? और सबसे अहम सवाल जो गूंज रहा है, वो ये कि आखिर जिम्मेदार कौन है?
गौरतलब है कि सिगाची इंडस्ट्रीज माइक्रोक्रिस्टलाइन सेल्युलोज पाउडर बनाती है. ये एक ज्वलनशील और आसानी से आग पकड़ने वाला पाउडर है जिसका इस्तेमाल दवाओं में बाइंडर, डिसइंटिग्रेंट, फिलर और लुब्रिकेंट के तौर पर होता है. तेलंगाना फायर डिपार्टमेंट के रिकॉर्ड्स के मुताबिक सिगाची के इसी फार्मा प्लांट में सितंबर 2019 में भी एक गंभीर आग लगी थी जिसकी वजह इलेक्ट्रिकल फॉल्ट थी और इसमें 1 करोड़ से ज्यादा का नुकसान हुआ था.
सिगाची अकेली ऐसी फैक्ट्री नहीं है. पासमैलारम के इस इंडस्ट्रियल एरिया में आग लगना आम बात है. पिछले 8 सालों में संगारेड्डी जिले में 99 इंडस्ट्रियल फायर की घटनाएं दर्ज हुईं, जिनमें से कम से कम 23 इसी पासमैलारम इंडस्ट्रियल एरिया में हुई थीं.

पासमैलारम में कई हाई-रिस्क केमिकल और फार्मा यूनिट्स की एक क्लस्टर बसी हुई है. यहां 60 से ज्यादा फैक्ट्रीज बल्क ड्रग्स, एक्टिव फार्मास्युटिकल इंग्रीडिएंट्स, इंटरमीडिएट्स और माइक्रोक्रिस्टलाइन सेल्युलोज जैसे एक्सीसिपिएंट्स बनाती हैं. इन सभी में आग लगने का खतरा हमेशा बना रहता है. यहां एक जीरो लिक्विड डिस्चार्ज और कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट भी है, जो इन इंडस्ट्रीज के वेस्टवॉटर मैनेजमेंट के लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर मुहैया कराता है.

तेलंगाना के इंडस्ट्रियल जोन जैसे कि जीडीमेटला, IDA बोलाराम, पासमैलारम और पटंचेरू में हर दो दिन में औसतन एक आग लगती है. पिछले आठ सालों में यहां कुल 1,522 अग्निकांड दर्ज हुए हैं. सिर्फ पिछले साल ही, जिला कलेक्टर वल्लूरू क्रांति ने पासमैलारम इंडस्ट्रियल एरिया में निरीक्षण कर सलुब्रियस इंडस्ट्रीज, वाइटल सिंथेटिक्स और वेंकार केमिकल लिमिटेड को फायर सेफ्टी नियमों के उल्लंघन पर बंद करने का आदेश दिया था. इसके कुछ दिन बाद 13 फरवरी को सलुब्रियस इंडस्ट्रीज में आग लगी, जिसकी वजह भी सेफ्टी नियमों की अनदेखी ही बताई गई थी.

वाइटल सिंथेटिक्स जैसी कंपनियों के पास जरूरी फायर सेफ्टी इक्विपमेंट नहीं था जैसे फायर हाइड्रेंट, पोर्टेबल अग्निशामक और अंडरग्राउंड वाटर स्टोरेज टैंक. फायर कंट्रोल बोर्ड ने पहले भी इस कंपनी को नोटिस दिया था, लेकिन फिर भी सुधार नहीं किया गया.
फायर एनओसी नहीं?
जहां तक सिगाची की बात है, कंपनी ने नवंबर 2019 में जब अपना आईपीओ लाने की तैयारी की थी, तब सेबी को भेजे गए रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस के सेक्शन 12 में खुद माना था कि उन्होंने कई जरूरी लाइसेंस और अप्रूवल के लिए आवेदन नहीं किया है. इसमें तेलंगाना के पासमैलारम प्लांट के लिए फायर एनओसी भी शामिल थी जो माइक्रोक्रिस्टलाइन सेल्युलोज बनाता है.
रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस किसी कंपनी की फाइनेंशियल, ऑपरेशनल और रिस्क से जुड़ी जानकारी सार्वजनिक करता है ताकि निवेशक निवेश से पहले फैसला कर सकें.
क्या कहते हैं अधिकारी
तेलंगाना स्टेट डिजास्टर रिस्पॉन्स एंड फायर सर्विसेज के डीजी वाई नागी रेड्डी ने इंडिया टुडे को बताया कि सिगाची की बिल्डिंग के पास इस साल के लिए फायर एनओसी नहीं थी. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में एनओसी जरूरी नहीं थी जिससे ये सवाल उठता है कि फायर सेफ्टी नियमों की अनिवार्यता को लेकर खुद कानून में कितनी स्पष्टता है?
प्रॉस्पेक्टस में ये भी कहा गया था कि कंपनी के गुजरात प्लांट के पास पॉल्यूशन सर्टिफिकेट नहीं था और पासमैलारम प्लांट का फायर सेफ्टी ऑडिट भी नहीं हुआ था. इस बात का कोई पब्लिक रिकॉर्ड नहीं है कि बाद में ये दस्तावेज लिए गए या नहीं.

सिगाची में सेफ्टी नियमों की अनदेखी
जो इंडस्ट्रीज ज्वलनशील डस्ट से डील करती हैं, उनके लिए फैक्ट्रीज़ एक्ट में साफ निर्देश हैं जैसे कि एग्जॉस्ट सिस्टम, वेंटिलेटेड मशीनरी, डस्ट रिमूवल, फायर हाइड्रेंट्स, हीट सेंसर, पोर्टेबल फायर एक्सटिंग्विशर, अंडरग्राउंड वॉटर टैंक और हर वर्करूम में दो बाहर की तरफ खुलने वाले दरवाजे होने चाहिए.
डीजी रेड्डी के मुताबिक सिगाची के तेलंगाना प्लांट में सिर्फ कुछ अग्निशामक उपकरण थे जो शायद 2019 की आग के बाद लगाए गए थे. प्लांट की इमारत बहुत पुरानी थी और उसमें फायर अलार्म, हीट सेंसर और ऑटोमैटिक शटडाउन सिस्टम जैसे जरूरी सेफ्टी फीचर नहीं थे. यानी तेलंगाना फायर सर्विस एक्ट के नियमों का सीधा उल्लंघन हुआ.
उन्होंने ये भी कहा कि फायर डिपार्टमेंट की तरफ से कोई ढंग का सेफ्टी ऑडिट ही नहीं हुआ और पूरी जिम्मेदारी कंपनी मालिक की होती है कि वो इंडस्ट्रियल सेफ्टी के हिसाब से जरूरी प्रबंध करे. इसके अलावा प्लांट में कोई ब्लास्ट-रेजिस्टेंट दीवारें या छत नहीं थीं जबकि प्रोसेसिंग एरिया में ये जरूरी होते हैं. इंडिया टुडे की ग्राउंड रिपोर्ट में ये भी सामने आया कि माइक्रोक्रिस्टलाइन सेल्युलोज जैसी ज्वलनशील चीज़ें ठीक से स्टोर नहीं की जा रही थीं. कोई थर्ड-पार्टी सेफ्टी ऑडिट नहीं हुआ और पुरानी मशीनों का इस्तेमाल जारी था जबकि वर्कर्स ने कई बार खतरे को लेकर चेतावनी दी थी.
सवाल अब भी बाकी हैं
पासमैलारम जैसे हाई-रिस्क इंडस्ट्रियल ज़ोन में बार-बार आग लगने और फैक्ट्रियों को बंद करने जैसी घटनाएं होती रही हैं. फिर भी बड़ा सवाल ये है कि इन इलाकों में फायर एनओसी अनिवार्य क्यों नहीं है? सिगाची की फायर एनओसी को लेकर डीजी रेड्डी के उलझे हुए बयान इस बात की तरफ इशारा करते हैं कि फायर सेफ्टी रेगुलेशंस के लागू होने में काफी गड़बड़ी और भ्रम है.
'ये हादसा नहीं था, ये होना ही था' ये कहना है राजनाला साई यशवंत का, जिनके पिता राजनाला वेंकट जगन मोहन की इस ब्लास्ट में मौत हो गई. उनके पिता पिछले 20 साल से सिगाची में काम कर रहे थे. यशवंत ने बताया कि वर्कर्स ने कई बार मैनेजमेंट से कहा था कि पुरानी और असुरक्षित मशीनों को बदला जाए, लेकिन किसी ने सुना नहीं. अब कंपनी के मैनेजमेंट पर गैर इरादतन हत्या, गंभीर चोट पहुंचाने और हत्या की कोशिश जैसे आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं.
सिगाची इंडस्ट्रीज ने दिया ये बयान
सिगाची इंडस्ट्रीज ने 2 जुलाई को जारी एक बयान में कहा कि हम अपने पासमैलारम संयंत्र में हुई दुखद दुर्घटना से अत्यंत मर्माहत हैं, जिसमें हमारे 40 मूल्यवान टीम सदस्यों की जान चली गई और 33 से अधिक घायल हो गए. हमारी संवेदनाएं इस त्रासदी से प्रभावित सभी लोगों के साथ हैं. कंपनी ने आगे बताया कि मीडिया रिपोर्ट्स के विपरीत, यह दुर्घटना प्लांट में रिएक्टर विस्फोट के कारण नहीं हुई.
सिगाची इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने यह भी कहा कि कंपनी ने मृतकों के परिजनों को ₹1 करोड़ की अनुग्रह राशि देने का वादा किया है, जबकि घायलों को पूर्ण चिकित्सा और पुनर्वास सहायता प्रदान की जाएगी. हमारी प्लांट की गतिविधियां लगभग 90 दिनों के लिए अस्थायी रूप से स्थगित रहेंगी.