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'घुसपैठियों के नाम हटाने चाहिए या नहीं?' चुनाव आयोग ने SIR पर जनता से पूछे ये पांच सवाल

चुनाव आयोग ने भारत के नागरिकों से SIR से जुड़े पास सवाल पूछे हैं. आयोग का कहना है कि अगर नागरिकों और मतदाताओं का उत्तर हां है तो फिर उन्हें इस कठिन कार्य को सफल बनाने में अपना योगदान देना चाहिए. आयोग ने नागरिकों से पूछा कि मतदाता सूची की गहन जांच होनी चाहिए कि नहीं?. ⁠मरे हुए लोगों के नाम हटाने चाहिए कि नहीं?.

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निर्वाचन आयोग ने नागरिकों से पूछे सवाल. (File Photo: ITG)
निर्वाचन आयोग ने नागरिकों से पूछे सवाल. (File Photo: ITG)

इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया और विपक्षी दलों बीच बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision- SIR) को लेकर लगातार खींचतान जारी है. इसी बीच अब मंगलवार को चुनाव आयोग ने SIR की प्रक्रिया को तेज करते हुए देश के हर नागरिक से पांच महत्वपूर्ण सवाल पूछे हैं. इन सवालों का उद्देश्य मतदाता सूची को शुद्ध, पारदर्शी और विश्वसनीय बनाना है, ताकि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित किए जा सकें.

आयोग ने नागरिकों से इस अभियान में सहयोग करने की अपील की है, ताकि मतदाता सूची से अयोग्य व्यक्तियों के नाम हटाए जा सकें और सभी योग्य मतदाताओं को लिस्ट में शामिल किया जा सके.

निर्वाचन आयोग ने भारत के नागरिकों से मतदाता सूची की शुद्धता को लेकर पांच अहम सवाल पूछे हैं.

  • 1. मतदाता सूची की गहन जांच होनी चाहिए कि नहीं?
  • 2. ⁠मरे हुए लोगों के नाम हटाने चाहिए कि नहीं?
  • 3. ⁠जिन लोगों के नाम मतदाता सूची में दो या अधिक जगह पर हैं तो उनके नाम एक ही जगह पर होने चाहिए कि नहीं?
  • 4. जो लोग दूसरी जगह जा बसे हैं, उनके नाम हटाने चाहिए कि नहीं?
  • 5. ⁠विदेशियों के नाम हटाने चाहिए कि नहीं?

आयोग ने कहा कि अगर इन सवालों का उत्तर आप हां में है तो फिर चुनाव आयोग को मतदाता सूची को शुद्ध बनाने के इस कठिन काम को सफल बनाने में अपना योगदान देना चाहिए.

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राजनीतिक दलों ने दर्ज कराईं 10 आपत्तियां

आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि बिहार SIR में सुप्रीम कोर्ट के नोटिस के बावजूद अब तक राजनीतिक दलों की ओर से सिर्फ दस आपत्तियां दर्ज कराई गई हैं, जबकि उन 12 दलों के पास एक लाख 61 हजार बूथ लेवल एजेंट हैं. तो वहीं, आम नागरिक और मतदाताओं ने लाखों की तादाद में संशोधन के लिए आवेदन किए हैं.

आयोग ने कहा कि बिहार में SIR के तहत मतदाता सूची के संशोधन में लोगों के नाम हटाने और योग्य मतदाताओं के नाम शामिल करने का आवेदन देने के लिए सिर्फ पांच दिन बचे हैं. पर राजनीतिक दल आपत्तियां दर्ज कराने में नदारद रहे हैं.

निर्वाचन आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया है कि किसी भी पात्र मतदाता का नाम बिना पूर्व सूचना, सुनवाई और तर्कपूर्ण आदेश के हटाया नहीं जाएगा. आयोग ने ये भी स्पष्ट किया है कि ये प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष है, जिसमें बूथ लेवल अधिकारियों (BLOs) और 1.60 लाख से अधिक बूथ लेवल एजेंट्स (BLAs) शामिल हैं.

दरअसल, चुनाव आयोग ने बिहार में 24 जून को SIR प्रक्रिया शुरू हुई थी, जिसका उद्देश्य विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची को अद्यतन और शुद्ध करना है. 1 अगस्त 2025 को प्रकाशित प्रारूप मतदाता सूची में 7.24 करोड़ मतदाता शामिल हैं, जबकि लगभग 65 लाख नाम हटाए गए हैं. इनमें 22 लाख मृत मतदाता, 7 लाख डुप्लिकेट नाम और 36 लाख ऐसे लोग शामिल हैं जो स्थायी रूप से बिहार से बाहर चले गए हैं या जिनका पता नहीं चल सका.

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