यूनेस्को ने कोलकाता की दुर्गा पूजा को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (Intangible Heritage) की लिस्ट में शामिल किया है. ऐसे में दुर्गा पूजा को लेकर मिलने वाली खुशखबरी को लेकर पीएम मोदी ने भी ख़ुशी जताई है. पीएम नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कोलकाता के दुर्गा पूजा उत्सव को विरासत का दर्जा देने के यूनेस्को के फैसले को "हर भारतीय के लिए बहुत गर्व और खुशी की बात" बताया.
पीएम मोदी ने ट्वीट किया, "हर भारतीय के लिए बहुत गर्व और खुशी की बात है! दुर्गा पूजा हमारी परंपराओं और लोकाचार को उजागर करती है. और, कोलकाता की दुर्गा पूजा एक ऐसा अनुभव है जो हर किसी के पास होना चाहिए." बता दें कि संयुक्त राष्ट्र एजेंसी ने ट्विटर पर देवी की मूर्ति से जुड़ी एक तस्वीर के साथ ट्विटर पर पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने लिखा, 'कोलकाता में दुर्गा पूजा को अमूर्त विरासत लिस्ट में शामिल किया गया है. भारत को शुभकामनाएं'
A matter of great pride and joy for every Indian!
— Narendra Modi (@narendramodi) December 15, 2021
Durga Puja highlights the best of our traditions and ethos. And, Kolkata’s Durga Puja is an experience everyone must have. https://t.co/DdRBcTGGs9
वहीं इस मौके पर बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने भी ट्वीट कर ख़ुशी जाहिर की है. उन्होंने लिखा कि बंगाल के लिए गर्व का क्षण! दुनिया भर में हर बंगाली के लिए, दुर्गा पूजा एक त्योहार से कहीं अधिक है, यह एक भावना है जो सभी को एकजुट करती है. और अब, दुर्गा पूजा को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की लिस्ट में जोड़ा गया है. हम सब बेहद खुश हैं!
Proud moment for Bengal!
— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) December 15, 2021
To every #Bengali across the world, Durga Puja is much more than a festival, it is an emotion that unites everyone.
And now, #DurgaPuja has been added to the Representative List of Intangible Cultural Heritage of Humanity.
We are all beaming with joy!
बंगाल वासियों के लिए यह वार्षिक उत्सव सितंबर-अक्टूबर में एक सप्ताह तक चलने वाला कार्यक्रम है, जहां देवी दुर्गा की पूजा की जाती है. त्योहार से पहले के महीनों में, कारीगर पवित्र गंगा नदी से लाई गई मिट्टी का उपयोग करके देवी दुर्गा और उनके परिवार की मूर्तियों को बनाते हैं. ऐसे में बंगाल भर के असंख्य कारीगर उत्सव में शामिल होते हैं और थीम-आधारित पंडालों के माध्यम से अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं.