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दिल्ली-NCR की सड़कों से बस रेबीज पीड़ित और आक्रामक कुत्ते हटाए जाएंगे... समझें- किस तरह होगी इनकी पहचान

अगर कोई कुत्ता रेबीज से संक्रमित होता है तो वो सिर्फ इंसानों को नहीं, बल्कि किसी भी चीज को काट सकता है. ऐसे कुत्तों के मुंह से झाग भी आता है और उनका जीवनकाल बहुत छोटा होता है. आक्रामक कुत्तों पर पहले कोई साफ प्रावधान नहीं था. अब सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से स्पष्टता और राहत मिलेगी.

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कुत्तों में रेबीज के लक्षण कैसे पहचानें (प्रतीकात्मक फोटो)
कुत्तों में रेबीज के लक्षण कैसे पहचानें (प्रतीकात्मक फोटो)

आवारा कुत्तों के बढ़ते हमलों को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम आदेश जारी किया है. कोर्ट ने कहा है कि कुत्तों को पकड़कर नसबंदी, कीड़े निकालने (deworming) और वैक्सिनेशन करने के बाद उसी इलाके में छोड़ा जाए. लेकिन अगर कोई कुत्ता रेबीज से पीड़ित हो या आक्रामक हो, तो उसे अलग रखा जाएगा.

भारत में रेबीज से ग्रस्त कुत्तों की पहचान करना अलग-अलग कानूनी नियमों, नगर निगम के प्रोटोकॉल और स्थानीय गाइडलाइंस के तहत होता है. इसका मकसद है इंसानों की सुरक्षा और जानवरों के मानवीय व्यवहार के बीच संतुलन बनाना. Animal Birth Control (ABC) Rules  2001 और 2023  दोनों में साफ लिखा है कि अगर किसी कुत्ते पर रेबीज का शक हो तो उसे पकड़कर आइसोलेट किया जा सकता है. लेकिन इसके लिए तय प्रक्रिया है. 

क्या होते हैं रेबीज के लक्षण

नियमों के अनुसार, स्थानीय अधिकारी अपनी जांच या किसी शिकायत के आधार पर कार्रवाई कर सकते हैं. रेबीज से पीड़ित कुत्ते की पहचान कुछ साफ-साफ लक्षणों से होती है जैसे बिना उकसाए बार-बार काटना, आवाज बदलना या भौंकने में दिक्कत, मुंह से झाग निकलना, अजीब चाल, गिरना-लड़खड़ाना, इलाके को न पहचान पाना, जबड़ा ढीला होना, आंखों में खालीपन और असामान्य बर्ताव.

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शक होने पर कुत्ते की जांच एक पैनल करता है, जिसमें नगर निगम का वेटनरी डॉक्टर और एनिमल वेलफेयर ऑर्गनाइजेशन का प्रतिनिधि होता है. अगर रेबीज की पुष्टि होती है, तो कुत्ते को आइसोलेट कर दिया जाता है, जब तक उसकी प्राकृतिक मौत न हो जाए (आमतौर पर 10 दिन के भीतर). इसके बाद शव को जलाकर या दूसरी सुरक्षित विधि से नष्ट किया जाता है.

क्या है आक्रामक कुत्ते की पहचान 

वहीं, आक्रामक कुत्ते नया शब्द है जो ABC Rules में पहले नहीं था. ये ऐसे कुत्ते होते हैं जो बार-बार बिना कारण काटते हैं या खतरनाक आक्रामक व्यवहार दिखाते हैं. हालांकि कभी-कभी भूख, डर, इलाके की रक्षा या मेटिंग सीजन की वजह से भी कुत्ते काट सकते हैं, लेकिन सच में आक्रामक वही माने जाते हैं जिनका हमला सामान्य स्वभाव से बाहर हो. इसलिए उनके इतिहास और हालात की जांच भी जरूरी है.

एक्सपर्ट्स की राय

पूर्व निदेशक (वेटनरी सर्विसेज, MCD) डॉ. वी. के. सिंह ने इंडिया टुडे से कहा कि अगर कोई कुत्ता रेबीज से संक्रमित होता है तो वो सिर्फ इंसानों को नहीं, बल्कि किसी भी चीज को काट सकता है. ऐसे कुत्तों के मुंह से झाग भी आता है और उनका जीवनकाल बहुत छोटा होता है. आक्रामक कुत्तों पर पहले कोई साफ प्रावधान नहीं था. अब सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से स्पष्टता और राहत मिलेगी.

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MCD सूत्रों का खुलासा

दिल्ली नगर निगम के टॉप सूत्रों ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने दो और अहम निर्देश दिए हैं. पहली बार कोर्ट ने कहा है कि कुत्ते पकड़ने के दौरान कोई भी व्यक्ति या संगठन बाधा नहीं डाल सकता. पहले ABC Rules में टीमों को ऐसी सुरक्षा नहीं थी. अब अधिकारी बिना रोक-टोक काम कर सकेंगे. दूसरा, कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि आदेश पूरे देश पर लागू होगा और हर राज्य व नगर निकाय को इसे लागू करना होगा.

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