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दिल्ली विधानसभा का मानसून सत्र कल से शुरू, रेखा सरकार पेश करेंगी CAG की 2 रिपोर्ट

दिल्ली विधानसभा का मानसून सत्र सोमवार से शुरू हो रहा है. इस बार का सत्र पूरी तरह पेपरलेस यानी डिजिटल होगा. सत्र में दो बड़ी चीजें होने जा रही हैं – एक अहम विधेयक और दो CAG रिपोर्ट पेश की जाएंगी.

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कूल फीस पर सख्ती और CAG रिपोर्ट से गरमाएगा सदन (Photo: PTI)
कूल फीस पर सख्ती और CAG रिपोर्ट से गरमाएगा सदन (Photo: PTI)

दिल्ली विधानसभा का मानसून सत्र कल यानि सोमवार से शुरू होने जा रही है. इस सत्र में रेखा गुप्ता सरकार स्कूल फीस वृद्धि को नियंत्रित करने वाला एक अहम विधेयक को पेश करेगी. साथ ही साथ आम आदमी पार्टी सरकार के कार्यकाल से जुड़ी दो CAG रिपोर्ट पेश की जाएंगी. ख़ास बात है कि ये सत्र पेपरलेस (डिजिटल) फॉर्मेट में आयोजित किया जाएगा.

सत्र के दौरान दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता CAG की दो रिपोर्ट पेश करेंगी. पहली CAG रिपोर्ट वित्त वर्ष 2023-24 के लिए राज्य की वित्तीय स्थिति से जुड़ी है. जबकि दूसरी CAG रिपोर्ट 31 मार्च 2023 को समाप्त वर्ष में भवन और अन्य निर्माण श्रमिकों के कल्याण से संबंधित है.

इससे पहले भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सरकार ने विभिन्न सत्रों में कई CAG रिपोर्ट पेश कीं और AAP पर वित्तीय कुप्रबंधन के आरोप लगाए थे.

दिल्ली स्कूल एजुकेशन (फीस निर्धारण और विनियमन में पारदर्शिता) विधेयक, 2025

दिल्ली स्कूल एजुकेशन (फीस निर्धारण और विनियमन में पारदर्शिता) विधेयक, 2025 सत्र में शिक्षा मंत्री आशीष सूद यह विधेयक पेश करेंगे. इस विधेयक लाने के पीछे का उद्देश्य निजी स्कूलों द्वारा मनमानी से फ़ीस बढ़ाए जाने को निर्धारित करना और फ़ीस वृद्धि की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना है. 

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यह भी पढ़ें: 'अरविंद केजरीवाल मेरे सामने आएंगे तो उनसे पूछूंगी...', दिल्ली की समस्याओं पर क्यों बोलीं CM रेखा गुप्ता

कड़े प्रावधान और जुर्माने

दिल्ली सरकार के कैबिनेट ने 29 अप्रैल को दिल्ली के निजी स्कूलों द्वारा मनमाने तरीके से फ़ीस बढ़ाए जाने के ख़िलाफ़ एक अध्यादेश पारित किया था. अगर कोई निजी स्कूल मनमानी तरीक़े से फ़ीस बढ़ाता है तो उसके ख़िलाफ़ सख्त जुर्माना लगाने का प्रावधान है. 

अगर कोई स्कूल पहली बार नियम को तोड़ता है तो एक से पांच लाख रुपये तक उसपर जुर्माना लगाया जा सकता है. वहीं बार-बार अगर कोई स्कूल ऐसा करता पाया गया तो उस पर दो से दस लाख रुपये तक जुर्माना लग सकता है. 

अगर स्कूल तय समय में फीस वापस नहीं करता, तो 20 दिन बाद जुर्माना दोगुना, 40 दिन बाद तिगुना हो जाएगा. हर 20 दिन की देरी पर जुर्माना बढ़ता रहेगा. बार-बार नियम तोड़ने पर स्कूल प्रबंधन में पद ग्रहण करने और भविष्य में फीस बढ़ोतरी का प्रस्ताव देने का अधिकार भी छिन सकता है.

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