कल पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की जयंती थी और कल ही कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने वर्किंग कमेटी की नई टीम का ऐलान किया. कांग्रेस पार्टी में वर्किंग कमेटी यानी CWC टॉप एग्जीक्यूटिव बॉडी है. इसका गठन दिसंबर 1920 में कांग्रेस के नागपुर सेशन के दौरान किया गया था. पार्टी के कुछ अपने नियम और संविधान हैं, इसे लागू करने का अंतिम फैसला यही कमेटी लेती है. तो इसमें सोनिया गांधी, राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे समेत कुल 39 सदस्यों को शामिल किया गया. इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान पर ख़ास फ़ोकस है.
लिस्ट में आनंद शर्मा और शशि थरूर समेत G-23 के कई ऐसे नेताओं के भी नाम हैं, जिनके बारे में कहा जाता है कि वो पार्टी से नाराज़ चल रहे हैं. विशेष आमंत्रित सदस्यों में पवन खेड़ा, सुप्रिया श्रीनेत और अलका लांबा शामिल हैं. पूर्व छात्र नेता कन्हैया कुमार को परमानेंट इन्वाइट की लिस्ट में जगह दी गई है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे इससे पहले तक स्टीयरिंग कमेटी के साथ काम कर रहे थे, जिसका गठन सोनिया गांधी ने किया था. सचिन पायलेट को CWC में रखने के क्या मायने हैं और लिस्ट में किसके नाम का न होना चौंकाता है? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें.
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कांग्रेस के बाद अब बात भाजपा की, गृहमंत्री अमित शाह कल चुनावी राज्य मध्यप्रदेश में थे और उनके पास था मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सरकार का रिपोर्ट कार्ड, वो भी 20 साल का. उम्मीद के मुताबिक अमित शाह ने मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार को हर सब्जेक्ट में पूरे नंबर दिए. साथ ही साथ कांग्रेस को चैलेंज दिया कि वो 50 साल का रिपोर्ट कार्ड जनता के सामने लाए. इसपर कांग्रेस का भी जवाब आया. लेकिन एक सवाल प्रदेश में मुख्यमंत्री के चेहरे पर भी उठा. जिसपर शाह ने कहा कि ये पार्टी का काम है इसे पार्टी को ही तय करने दे.
शाह की चुप्पी कई सवाल खड़े करती है, कल मध्यप्रदेश के अलग-अलग आयोजनों में शाह के साथ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, राज्य के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा, केंद्रिय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया मंच पर थे. क्या भाजपा चुनाव से पहले शिवराज सिंह चौहान को आगे न रख कर पार्टी के भीतर किसी को नाराज़ नहीं करना चाहती, रिपोर्ट कार्ड में किन मुद्दों पर ज़ोर दिया गया है और पिछले चार साल की रिपोर्ट कार्ड पेश न कर के 20 साल की रिपोर्ट कार्ड तैयार किया गया है, क्या ये भी एक नैरेटिव सेट करने की कोशिश है? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें.
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सबकुछ सही होता तो शायद आज रूस का लूना 25 चांद पर लैंड करता, लेकिन आख़िरी मौक़े पर हुई टेक्निकल ग़लतियों की वजह से लैंडिंग से पहले लूना 25 क्रैश हो गया. यानी 47 साल की तैयारी और बहुत मोटे खर्च के बाद लॉन्च किया गया ये मिशन फेल हो गया. सोमवार यानी आज से बुधवार के बीच इसे लैंड कराने की योजना थी. साल 1976 के बाद रूस ने अपने सेवियत संघ काल के बाद पहली बार मून मिशन को दोबारा से शुरु किया था. लूना 25 से पहले लूना 24 रूस चांद पर भेज चुका था और वो सफ़ल भी था. इस क्रैश को रूस के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है क्योंकि रूस एक साथ कई मोर्चे पर लड़ रहा है. यूक्रेन के साथ युद्ध के बाद से पश्चिमि देशों से कई तरह की आर्थिक पाबंदियां झेल रहे रूस के लिए चांद से भी अच्छी ख़बर नहीं मिली. अंतिम घड़ी में कहां चूक गया लूना 25, उससे रूस को क्या सीखना चाहिए? 'आज का दिन' में सुनने के लिए क्लिक करें.