scorecardresearch
 

23 साल में 11 सीएम और 3 बार राष्ट्रपति शासन... झारखंड में मुख्यमंत्री नहीं कर पाते हैं पूरा कार्यकाल

राजनीतिक अस्थिरताओं और सत्ता परिवर्तन से जूझ रहे राज्य झारखंड को जल्द ही अपना 12वां मुख्यमंत्री मिलेगा. अपनी गठबंधन सरकार के विधायकों को लिखे पत्र में, हेमंत सोरेन ने बुधवार को चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री के रूप में नामित किया. 15 नवंबर, 2000 को राज्य का दर्जा मिलने के बाद से झारखंड में जो राजनीतिक बदलाव देखने को मिला, हेमंत उसका हिस्सा हैं. वह, अपने पिता शिबू सोरेन की तरह, झारखंड के तीसरे मुख्यमंत्री हैं जिन्हें गिरफ्तार किया गया है. जबकि इसी कड़ी में गिरफ्तार होने वाले दूसरे सीएम मधु कोड़ा है. 

Advertisement
X
हेमंत सोरेन, शिबू सोरेन और मधु कोड़ा (फाइल फोटो)
हेमंत सोरेन, शिबू सोरेन और मधु कोड़ा (फाइल फोटो)

कई तरह के बहुमूल्य खनिजों से समृद्ध राज्य झारखंड सिर्फ अपनी खदानों के लिए प्रसिद्ध नहीं है, बल्कि ये राजनीति के लिए भी एक खदान की ही तरह है. इस राजनीतिक खदान का इतिहास कुछ ऐसा रहा है कि 23 साल के दौर में यहां जनता ने 11 मुख्यमंत्री देख लिए और तीन बार राष्ट्रपति शासन देखा है. ये भी एक सोचने वाली बात है कि, झारखंड के मुख्यमंत्रियों का औसत कार्यकाल लगभग 1.5 वर्ष ही है. राज्य को एक स्वतंत्र उम्मीदवार को भी सीएम बनाने का गौरव प्राप्त है, जिन्होंने 2 साल तक इस कुर्सी को संभाला.

शिबू  सोरेन, जो सिर्फ 10 दिन ही रह सके थे सीएम
सभी कहानियों में सबसे ज्यादा चौंकाने वाली कहानी शिबू सोरेन की है. बिहार से अलग होकर अलग राज्य झारखंड बनवाने में शिबू सोरेन का सबसे अहम योगदान माना जाता है. मुख्यमंत्री के रूप में अपने पहले कार्यकाल में वह इस कुर्सी पर महज 10 दिन ही बैठ सके थे. 'गुरुजी' कहे जाने वाले शिबू सोरेन ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) की स्थापना की. वह निवर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पिता हैं, जिन्हें प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भूमि घोटाले में गिरफ्तार किया है.

राज्य को जल्द मिल सकता है 12वां सीएम
राजनीतिक अस्थिरताओं और सत्ता परिवर्तन से जूझ रहे राज्य झारखंड को जल्द ही अपना 12वां मुख्यमंत्री मिलेगा. अपनी गठबंधन सरकार के विधायकों को लिखे पत्र में, हेमंत सोरेन ने बुधवार को चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री के रूप में नामित किया. 15 नवंबर, 2000 को राज्य का दर्जा मिलने के बाद से झारखंड में जो राजनीतिक बदलाव देखने को मिला, हेमंत उसका हिस्सा हैं. वह, अपने पिता शिबू सोरेन की तरह, झारखंड के तीसरे मुख्यमंत्री हैं जिन्हें गिरफ्तार किया गया है. जबकि इसी कड़ी में गिरफ्तार होने वाले दूसरे सीएम मधु कोड़ा है. 

Advertisement

तीन बार राष्ट्रपति शासन
अपने 23 साल के छोटे से इतिहास में, झारखंड ने सिर्फ एक मुख्यमंत्री को पूरे पांच साल का कार्यकाल पूरा करते देखा है. झारखंड के प्रारंभिक वर्ष 2000 और 2014 के बीच, झारखंड में पांच मुख्यमंत्रियों के नेतृत्व में नौ सरकारें देखी गईं और तीन बार राष्ट्रपति शासन लगा. बीजेपी के बाबूलाल मरांडी झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बने, जो करीब दो साल तीन महीने तक सत्ता में रहे. रांची के एक वरिष्ठ पत्रकार ने नाम न छपने की शर्त पर बताया, "बाबूलाल मरांडी को सीएम बनाए जाने के बाद बीजेपी में आंतरिक कलह शुरू हो गई थी. सभी आदिवासी नेता पाई का एक टुकड़ा चाहते थे. बाबूलाल मरांडी राज्य की आदिवासी-गैर-आदिवासी राजनीति का शिकार बन गए." 

यह भी पढ़िएः Champai Soren News Live: झारखंड में सरकार पर सस्पेंस, हैदराबाद जा रहे विधायकों का चार्टर्ड प्लेन रनवे पर रुका, खराब मौसम की वजह से नहीं भर पाया उड़ान

शिबू सोरेन और अर्जुन मुंडा रहे तीन-तीन बार सीएम
2000 से 2014 के बीच मुख्यमंत्रियों बाबूलाल मरांडी, अर्जुन मुंडा, शिबू सोरेन, मधु कोड़ा और हेमंत सोरेन का कार्यकाल औसतन 15 महीने रहा. पत्रकार ने कहा, "रघुबर दास (सिंहभूम क्षेत्र के दोनों दिग्गज) ने अर्जुन मुंडा को चतुराई से 2014 का विधानसभा चुनाव हारने के लिए मजबूर कर दिया था."  14 वर्षों के समय में, झामुमो के शिबू सोरेन और भाजपा के अर्जुन मुंडा ने तीन-तीन बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, जबकि हेमंत सोरेन, मधु कोड़ा और बाबूलाल मरांडी अकेले ही मुख्यमंत्री बने. शिबू सोरेन के तीन बार सीएम बनने में उनका 10 दिन का कार्यकाल भी शामिल था, जब उनकी सरकार झारखंड विधानसभा में बहुमत साबित नहीं कर सकी थी.

Advertisement

सिर्फ रघुबर दास ने ही पूरा किया पांच साल का कार्यकाल
इस अवधि में झारखंड की राजनीतिक अस्थिरता भी देखी गई, जिसके परिणामस्वरूप तीन बार, कुल 645 दिनों का राष्ट्रपति शासन लगाया गया. 12वें मुख्यमंत्री को छोड़कर, जिन्होंने अभी तक पद की शपथ नहीं ली है, झारखंड में छह लोगों ने मुख्यमंत्री की भूमिका संभाली है. केवल भाजपा के रघुबर दास ने ही कार्यकाल पूरा किया. 2014 के बाद झारखंड में राजनीतिक स्थिति स्थिर हो गई, जब भाजपा के रघुबर दास ने मुख्यमंत्री के रूप में पूर्ण कार्यकाल पूरा किया. वह पूरे पांच साल का कार्यकाल पूरा करने वाले झारखंड के पहले और एकमात्र सीएम होंगे.

2019 का चुनाव हार गए थे रघुबर दास
रांची के एक पत्रकार ने कहा, "अपना पूरा कार्यकाल पूरा होने के बाद भी, रघुबर दास 2019 का विधानसभा चुनाव हार गए. 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की हार के बाद बीजेपी के अर्जुन मुंडा को केंद्र सरकार में काम करने के लिए दिल्ली बुलाया गया था.'' 2019 के झारखंड राज्य विधानसभा चुनावों में उलटफेर देखने को मिला और हेमंत सोरेन के जेएमएम के नेतृत्व वाले गठबंधन ने सरकार बनाई. झामुमो को कांग्रेस और तीन छोटे सहयोगियों का समर्थन प्राप्त था. 2000 के बाद से, झामुमो के शिबू सोरेन और उनके बेटे हेमंत सोरेन को छोड़कर झारखंड के सभी मुख्यमंत्री राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े रहे हैं."

Advertisement

यह भी पढ़िएः Champai Soren Net Worth: चंपई सोरेन पर 76 लाख का कर्ज, कमाई में हेमंत सोरेन से बहुत पीछे... जानिए नेटवर्थ

JMM का 5 साल का कार्यकाल पूरा होने की संभावना
JMM ने भाजपा की आंतरिक खींचतान का फायदा उठाने की कोशिश की, लेकिन वह 2019 में वह बहुमत नहीं हासिल कर सकी. JMM अपनी आदिवासी-केंद्रित राजनीति को लेकर ही प्रतिबद्ध है और झारखंड में आदिवासी, आबादी का सिर्फ 27% हैं. हालांकि जेएमएम के नेतृत्व वाले गठबंधन के अपने पांच साल का कार्यकाल पूरा करने की सबसे अधिक संभावना है, लेकिन हेमंत सोरेन उन मुख्यमंत्रियों की लंबी सूची में शामिल हो गए हैं जो अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर सके हैं.

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement