बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण का पहला फेज पूरा हो गया है. वहीं ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. हालांकि कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करने की बात कही थी. लिहाजा यह माना जा रहा है कि आने वाले हफ्ते में और भी याचिकाएं इस मसले पर दाखिल की जाएंगी. सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में निर्वाचन आयोग के आदेश को चुनौती दी गई है.
गैर सरकारी संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स यानी ADR ने अपनी याचिका में कहा है कि चुनाव आयोग का आदेश मनमाना है. इससे लाखों मतदाता अपने मताधिकार से वंचित हो सकते हैं. लिहाजा सुप्रीम कोर्ट नागरिक अधिकार से संबंधित इस गंभीर मामले में दखल दे.
एडीआर के साथ-साथ सामाजिक कार्यकर्ता योगेंद्र यादव ने भी बिहार में मतदाता सूची के भारत निर्वाचन आयोग के “विशेष गहन संशोधन” को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.
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ADR ने 24 मई के ECI के आदेश को रद्द करने की गुहार लगाते हुए कहा कि चुनाव आयोग का ये आदेश मनमाना है. बता दें कि स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) की प्रक्रिया 25 जून से 26 जुलाई के बीच होगी. निर्वाचन आयोग ने पहले सभी मतदाताओं के लिए ज़रूरी दस्तावेज़ जमा करने की बात कही थी, लेकिन बाद में इसमें कुछ बदलाव भी किए हैं.
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इस प्रक्रिया के लिए 77 हजार से ज्यादा बूथ लेवल ऑफिसर्स (BLO) सरकारी कर्मचारियों और राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर बिहार में 7.8 करोड़ से ज्यादा रजिस्टर्ड मतदाताओं के रिकॉर्ड की जांच करेंगे, चुनाव आयोग ने मौजूदा और नए मतदाताओं से नागरिकता का प्रूफ भी मांगा है.