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आर्मी चीफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने सियाचिन में अग्रिम चौकियों का किया दौरा, जवानों से की मुलाकात

इस यात्रा के दौरान, सेना प्रमुख ने सात जूनियर कमीशंड अधिकारियों (जेसीओ) से मुलाकात की, जिन्होंने सैनिक के रूप में अपने प्रारंभिक वर्षों के दौरान बटालियन में उनके नेतृत्व में काम किया था.

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जनरल उपेंद्र द्विवेदी सियाचिन में 18 जेएके राइफल्स के सैनिकों से मिलते हुए. (Photo: PTI)
जनरल उपेंद्र द्विवेदी सियाचिन में 18 जेएके राइफल्स के सैनिकों से मिलते हुए. (Photo: PTI)

ऑपरेशन सिंदूर के बाद सियाचिन की अपनी पहली यात्रा में, थल सेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र की एक अग्रिम चौकी का दौरा किया और 18 जम्मू-कश्मीर राइफल्स के जवानों और अधिकारियों से बातचीत की. यह यात्रा जनरल द्विवेदी के लिए भावनात्मक थी, क्योंकि यह उन्हें उसी बटालियन में वापस ले गई जिसमें वे कभी कमीशंड हुए थे और बाद में कमान संभाली थी.

इस यात्रा के दौरान, सेना प्रमुख ने सात जूनियर कमीशंड अधिकारियों (जेसीओ) से मुलाकात की, जिन्होंने सैनिक के रूप में अपने प्रारंभिक वर्षों के दौरान बटालियन में उनके नेतृत्व में काम किया था. भारतीय सेना ने एक्स पर पोस्ट किया, 'वास्तव में पुरानी यादों से भरे एक मार्मिक क्षण में,  चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (COAS) सात जूनियर कमीशंड अधिकारियों (JCOs) के साथ फिर से मिले, जिन्होंने युवा सैनिकों के रूप में बटालियन में उनके नेतृत्व में काम किया था.'

General Upendra Dwivedi Visit Siachen

जनरल द्विवेदी ने मुलाकात के दौरान अपने पूर्व साथियों के साथ पुरानी यादें ताजा कीं और उनके साथ बिताए भावुक पलों को साझा किया. भारतीय सेना ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, 'सियाचिन की बर्फीली ऊंचाइयों के बीच, सीओएएस ने पुरानी यादें ताजा कीं, भावुक पल साझा किए और सैनिकों के साथ सौहार्द और भाईचारे के अटूट बंधन का जश्न मनाया.'

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इससे पहले शनिवार को सेना प्रमुख ने 26वें कारगिल विजय दिवस के अवसर पर द्रास में कारगिल युद्ध स्मारक पर अपने संबोधन के दौरान ‘रुद्र’ नामक एक नई ऑल-आर्म्स ब्रिगेड के गठन की घोषणा की थी. उन्होंने कहा कि ब्रिगेड के लिए मंजूरी एक दिन पहले ही दी गई थी, जो भारत की परिचालन क्षमताओं को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.

जनरल द्विवेदी ने कहा कि ऑपरेशन विजय की विरासत को जारी रखते हुए, भारतीय सशस्त्र बलों ने एक बार फिर पाकिस्तान की आक्रामक सैन्य कार्रवाइयों को विफल कर दिया, जिससे एक मजबूत और स्पष्ट संदेश गया कि आतंकवाद का समर्थन करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अटूट संकल्प की यह परंपरा हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी जारी रही, जहां भारतीय सेना ने उसी साहस और दृढ़ संकल्प के साथ पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी बुनियादी ढांचे को निर्णायक रूप से निशाना बनाया और सीमा पार से अन्य शत्रुतापूर्ण कार्रवाइयों को प्रभावी ढंग से निष्प्रभावी कर दिया. 

पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जिक्र करते हुए थल सेना प्रमुख ने कहा, 'आतंकवादियों द्वारा किया गया यह कायराना हमला पूरे देश के लिए एक गहरा आघात था. हालांकि, इस बार भारत ने कोई संदेह व्यक्त नहीं किया, लेकिन सरकार का निर्णय था कि जवाब निर्णायक होगा. देशवासियों के अटूट विश्वास और सरकार द्वारा दी गई रणनीतिक स्वतंत्रता के साथ, भारतीय सेना ने एक दृढ़, सटीक और निर्णायक जवाब दिया.'

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