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अब तक 7 की मौत और पांच नए केस... कितना खतरनाक है गुलियन बैरी सिंड्रोम, जिसने महाराष्ट्र में मचा रखा हड़कंप?

महाराष्ट्र के पुणे में गिलियन-बैरे सिंड्रोम (GBS) में अब तक कुल 197 संदिग्ध और पुष्टि किए गए मामले दर्ज हो चुके हैं. यहां सात लोगों की मौत हो चुकी है, जिसके बाद विभाग बेहद सतर्क है. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि इस दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर के पांच नए मरीज मिले हैं, जिससे इलाके में चिंता बढ़ गई है.

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Guillain Barre Syndrome. (Photo: AI)
Guillain Barre Syndrome. (Photo: AI)

पुणे में गिलियन-बैरे सिंड्रोम (GBS) के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है, जिससे स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ गई है. अधिकारियों ने बताया कि इस दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर के पांच नए मामले सामने आए हैं, जिससे कुल संदिग्ध और पुष्टि किए गए मामलों की संख्या 197 तक पहुंच गई है. इनमें से 172 मरीजों की पुष्टि हो चुकी है कि वे GBS से पीड़ित हैं. फिलहाल 50 मरीज ICU में हैं और 20 को वेंटिलेटर सपोर्ट की जरूरत है.

एजेंसी के अनुसार, अब तक इस बीमारी के कारण सात लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 104 मरीज ठीक होकर अस्पताल से डिस्चार्ज हो चुके हैं. स्वास्थ्य विशेषज्ञ इस स्थिति पर करीबी नजर बनाए हुए हैं और प्रभावित मरीजों को आवश्यक चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है.

स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, पुणे नगर निगम (PMC) क्षेत्र में अब तक 40 मरीज मिले हैं, जबकि हाल ही में PMC में जोड़े गए गांवों में 92 मामले सामने आए हैं. पिंपरी-चिंचवड़ नगर निगम क्षेत्र में 29, पुणे ग्रामीण इलाकों में 28 और अन्य जिलों में कुल 8 मामले दर्ज किए गए हैं. GBS से प्रभावित कुल 197 मामलों में से 104 मरीजों को ठीक होने के बाद अस्पताल से छुट्टी दी जा चुकी है.

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हालांकि, अब भी 50 मरीज ICU में भर्ती हैं, जिनमें से 20 को वेंटिलेटर सपोर्ट की जरूरत पड़ रही है. यह स्थिति स्वास्थ्य विशेषज्ञों के लिए गंभीर चिंता का विषय बनी हुई है. इस दुर्लभ बीमारी के कारण अब तक सात लोगों की मौत की पुष्टि हुई है. हालांकि, स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि फिलहाल मौतों की संख्या में कोई नया इजाफा नहीं हुआ है.

क्या है GBS?

यह सिंड्रोम एक तरह का ऑटोइम्यून न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है. इस बीमारी में बॉडी का इम्यून सिस्टम अपनी ही नसों पर अटैक करता है. इस वजह से मरीजों को उठने-बैठने और चलने में परेशानी का सामना करना पड़ता है. कुछ परिस्थितियों में लोगों का सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है. इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति को लकवा भी मार सकता है.

दरअसल, हमारा नर्वस सिस्टम दो हिस्सों में होता है. पहला हिस्सा सेंट्रल नर्वस सिस्टम कहलाता है, जिसमें रीढ़ की हड्डी और ब्रेन वाला पार्ट होता है, जबकि दूसरे हिस्से में पेरिफेरल नर्वस सिस्टम आता है, जिसमें पूरे शरीर की नसें शामिल होती हैं. GBS में इम्यून सिस्टम नर्वस सिस्टम के दूसरे हिस्से यानी पेरिफेरल नर्वस सिस्टम पर ही हमला करता है.

गिलियन-बैरे सिंड्रोम एक असामान्य न्यूरोलॉजिकल बीमारी है, जिसमें व्यक्ति की इम्यून सिस्टम से उसकी तंत्रिकाओं पर असर पड़ता है. इसका प्रभाव पहले पैरों और हाथों पर पड़ता है, जिससे कमजोरी, झनझनाहट और दर्द होता है. गंभीर मामलों में यह सांस लेने में परेशानी का कारण बन सकता है, जिससे मरीज को वेंटिलेटर की जरूरत पड़ सकती है.

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