पुणे के पोर्श कांड मामले में एक के बाद एक खुलासे हो रहे हैं. इस मामले में एसएसपी, अस्पताल के डीन, डॉक्टर, एक्साइज डिपार्टमेंट के आला अधिकारी आदि जांच के दायरे मे आ चुके हैं. साथ ही यह भी आरोप लग रहे हैं कि कई बड़े नेताओं ने भी बिल्डर के नाबालिग बेटे को बचाने के लिए अपनी सांख दांव पर लगाई थी. लेकीन अभी तक किसी राजनेता की इस हादसे में क्या भूमिका रही, इसकी जांच नहीं हो पाई है. हालांकि पुणे से 10-15 किमी दूर वडगाव शेरी चुनाव क्षेत्र से एनसीपी (अजित पवार) के विधायक सुनील टिंगरे पर विपक्ष आरोप लगा रहा है. आरोप है कि सुनील टिंगरे हादसे के बाद तड़के करीब 3:30 बजे पुलिस थाने पहुंचे थे. इसी वजह से सुनील टिंगरे की भूमिका संदेह के घेरे मे आ चुकी है.
कौन हैं सुनील टिंगरे?
सुनील विजय टिंगरे पुणे से सटे वडगाव शेरी चुनावक्षेत्र से राष्ट्रवादी (अजित पवार) के विधायक हैं. उनका मूल परिवार वडगाव शेरी से लगबग 10-12 किमीदूर धानोरी गांव से आता है. लेकीन काफी साल से अब टिंगरे परिवार वडगाव शेरी मे ही रहता है. टिंगरे के दादाजी बालासाहब टिंगरे धानोरी गांव के सरपंच हुआ करते थे. इसी वजह से राजनीती से टिंगरे परिवार का ताल्लुख काफी पुराना है. हालांकि सुनील टिंगरे के पिता विजय टिंगरे राजनीती में ज्यादा सक्रीय नहीं दिखे. लेकिन परिवार खेती और दूध के व्यवसाय से जुड़ा हुआ था और वही उनके आय का भी साधन था. लेकीन जैसे-जैसे पुणे का दायरा बढ़ता गया, धानोरी गांव पुणे शहर का हिस्सा बन गया. जब सुनील टिंगरे 22-23 साल के थे, तभी उनके माता और पिता का निधन हो गया. और सुनील टिंगरे पर ही परिवार की जिम्मेदारी आ गई.
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बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन के बिजनेश से शुरुआत
सुनील टिंगरे पेशे से सिविल इंजिनियर हैं. 1994 में उन्ंहोने भारती विद्यापीठ से सिविल इंजिनियरिंग की डिग्री हासिल की. शुरुआती दौर में उन्होंने वडगाव शेरी और पुणे के कुछ बिल्डरों के यहां पर नौकरी कर अपना गुजारा किया. लेकिन स्थानिय लोगों से जुड़ा होना, सामाजिक कार्यों में सक्रीय रहना और गणेश उत्सव व बाकी त्योहारों मे सार्वजनिक तौर पर बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने की वजह से सुनील टिंगरे अपने इलाके में चर्चित थे. उसी समय वह सुरेंद्र अग्रवाल और विशाल अग्रवाल की ब्रह्मा बिल्डर्स कंपनी मे नौकरी भी करते थे. इसलिए अग्रवाल परिवार को वह काफी सालों से जानते हैं और उनके साथ सुनील टिंगरे का गहरा रिश्ता भी रहा है. पोर्श कार कांड के बाद खुद सुनील टिंगरे ने भी इसकी जानकारी दी थी. और यह माना था की वह काफी सालों से अग्रवाल फैमिली को जानते हैं, उनसे नजदीकी रिश्ता भी है. बाद मे सुनील टिंगरे ने बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन का खुद का काम शुरू किया. वडगाव शेरी, कोंढवा, धानोरी और इलाकों मे बहुत सारा काम किया. जिससे सुनील टिंगरे ने काफी नाम और पैसा भी कमाया. अभी उनके छोटे भाई यही कारोबार देखते हैं.
सुनील टिंगरे की राजनीती में एंट्री
सुनील टिंगरे पहले राष्ट्रवादी के विधायक अनिल भोसले के करीबी माने जाते थे. यह वो दौर था जब महाराष्ट्र में एनसीपी सत्ता मे थी और पुणे, पिंपरी-चिंचवड के साथ बड़े शहरों पर उनकी पकड थी. पुणे महापालिका में भी उस समय कांग्रेस और राष्ट्रवादी की सत्ता थी. अनिल भोसले की शिफारीश पर ही अजित पवार ने 2007 मे सुनील टिंगरे को वडगाव शेरी से कॉर्पोरेशन इलेक्शन में टिकट दिया. और सुनील टिंगरे पहली बार पार्षद के तौर पर पुणे महापालिका में पहुंचे. पांच साल में अपने काम और लोकसंपर्क के बलबुते वडगाव शेरी में सुनील टिंगरे का काफी नाम हुआ.
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सुनील टिंगरे का एनसीपी से फिर टूटा नाता
वडगाव शेरी से बापू पठारे एनसीपी के विधायक थे. वह अजित पवार के करीबी माने जाते थे. और सुनील टिंगरे उस वक्त बापू पठारे का ही काम किया करते थे. लेकीन भविष्य में पढ़ा-लिखा होने के कारण सुनील टिंगरे ही अपना राजनीतिक कंपिटिटर हो सकते हैं, यह जानकर पठारे ने सुनील टिंगरे के पर काटना शुरू किया. और परिणाम यह हुआ कि 2012 की पुणे कॉर्पोरेशन के इलेक्शन में सुनील टिंगरे का टिकट काटा गया. इससे आहत हुए सुनील टिंगरे ने बागी रुख अपनाया और निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़ा. इसमें सिर्फ 900 वोटों से वे पराजित हुए. इसके बाद कुछ समय के लिए वह राज ठाकरे की पार्टी मनसे में शामिल हो गए.
2014 मे शिवसेना के टिकट पर लड़ा चुनाव
2014 आते-आते देशभर में राजनीतीक वातावरण काफी बदल गया. महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना को अच्छे दिन आते दिख रहे थे. और सुनील टिंगरे भी अपना राजनीतीक भविष्य खोजते हुए अच्छे मौके की तलाश में थे. लेकिन विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी और शिवसेना का गठबंधन टूट गया और सुनील टिंगरे ने उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना में एंट्री ले ली. शिवसेना ने उन्ंहे वडगाव शेरी चुनाव क्षेत्र से विधानसभा चुनाव में उतारा. उस वक्त बीजेपी के नेता जगदीश मुलिक ने टिंगरे को 4500 वोटों से पराजित किया.
2017 मे फिर एनसीपी में हुई घरवापसी
2014 में विधानसभा चुनाव हारने के बावजूद सुनील टिंगरे ने वडगाव शेरी में अपना काम शुरू रखा. सुनील टिंगरे एक तरफ बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन का कारोबार और दूसरी तरफ राजनीती का सफर कर रहे थे. 2017 मे बीजेपी महाराष्ट्र में शक्तीशाली थी. कॉर्पोरेशन चुनाव मे भी पुणे की सत्ता अपने साथ रखने मे अजित पवार को वफादार और तगड़े राजनीतीक नेताओं की जरूरत थी. उसी समय वडगाव शेरी से सुनील टिंगरे फॉर्म में थे. वो एक ही समय बीजेपी के जगदीश मुलिक और राष्ट्रवादी के पूर्व विधायक बापू पठारे से भी लड़ रहे थे. उनका काम देखकर अजित पवार ने उन्हें फिर से पार्टी में शामिल किया और कॉर्पोरेशन का टिकट भी दिया. सुनील टिंगरे फिर एक बार कॉर्पोरेशन चुनाव जीत गए.
2019 में अजित पवार ने दिया विधानसभा का टिकट
2019 का चुनाव आते आते सुनील टिंगरे अजित पवार के काफी करीब आ गए और अजित पवार के वफादार लोगों के गुट का हिस्सा बन गए. अजित पवार ने ही उन्हें वडगाव शेरी चुनावक्षेत्र से विधानसभा का टिकट दिया. वो भी पूर्व विधायक बापू पठारे का टिकट काटकर. इससे बापू पठारे काफी आहत हो गए. क्योंकी एक जमाने में सुनील टिंगरे बापू पठारे के कार्यकर्ता के तौर पर काम कर रहे थे. लेकीन अजित पवार के कहने पर उन्होने कुछ समय के लिए सुनील टिंगरे का प्रचार भी किया. लेकीन उसी समय वो बीजेपी से भी संपर्क में थे. एक दिन अजित पवार की रैली में दिनभर शामिल होने के बाद बापू पठारे देर रात देवेंद्र फडणवीस से मिले और बीजेपी मे शामिल हो गए. लेकीन फिर भी सुनील टिंगरे ने पूरी ताकत से विधानसभा का चुनाव लडा भी और जिता भी.
राष्ट्रवादी टूटने के बाद टिंगरे अजित पवार के साथ
सुनील टिंगरे का राष्ट्रवादी में जो राजनीतीक सफर हुआ, वो रोलर कोस्टर राईड की तरह था. फिर भी सुनील टिंगरे का अजित पवार पर ज्यादा भरोसा था. क्योंकि अजित पवार की वजह से ही सुनील टिंगरे महाराष्ट्र की विधानसभा में पहुंचे थे. इसी वजह से पार्टी टूटने के बाद जो विधायक सीधे तौर पर अजित पवार के साथ दिखे, उनमें सुनील टिंगरे पहले पांच में शामिल थे.
करोड़पति विधायकों में से एक हैं सुनील टिंगरे
2019 मे विधानसभा चुनाव के वक्त सुनील टिंगरे ने जो प्रतिज्ञापत्र दाखिल किया है, उसके हिसाब से उनके पास 49 करोड़ 71 लाख 4 हजार की संपत्ती है. इसमें 1 करोड़ 78 लाख 61 हजार का लोन भी शामिल है. गौर देने वाली बात यह है कि 2014 के चुनाव के समय उन्होंने 25 करोड़ की प्रॉपर्टी डिक्लेअर की थी. जो 2019 तक दो गुना बढ़कर लगबग 50 करोड़ रुपये हुई. 2019 में सुनील टिंगरे ने जो प्रतिज्ञापत्र दाखिल किया है, उसमें सुरेंद्र और विशाल अग्रवाल की ब्रह्मा सन सिटी में भी सुनील टिंगरे की कुछ प्रॉपर्टीज नजर आती हैं. जिसमें धानोरी के सर्वे नंबर 25 और 25 A मे 656 स्क्वेअर फीट और 476 स्क्वेअर फीट की दो प्रॉपर्टीज का जिक्र है. इनकी किमत 70 लाख रुपये से ज्यादा है. सुनील टिंगरे के पास बीएमडब्लू, मर्सिडिज जैसी लग्जरी कारों की फ्लीट भी है.