महाराष्ट्र के महाधिवक्ता (एडवोकेट जनरल) डॉ. बिरेंद्र सराफ ने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. सराफ ने कई महत्वपूर्ण मामलों में राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व किया था. सूत्रों के अनुसार, करीब तीन साल तक राज्य का प्रतिनिधित्व करने के बाद बिरेंद्र सराफ अब अपनी निजी जिंदगी में लौटना चाहते हैं. उन्होंने 22 अगस्त को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात कर औपचारिक रूप से इस्तीफा सौंपने से पहले अपनी मंशा जाहिर की थी.
अपने इस्तीफे में उन्होंने लिखा कि राज्य सरकार को किसी भी असुविधा से बचाने और उत्तराधिकारी की नियुक्ति के लिए पर्याप्त समय देने के उद्देश्य से, वह 30 सितंबर 2025 को महाराष्ट्र के राज्यपाल को औपचारिक रूप से इस्तीफा सौंपेंगे. बिरेंद्र सराफ ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और राज्य सरकार के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा, 'महाराष्ट्र के महाधिवक्ता के रूप में सेवा करना मेरे पेशेवर जीवन का सबसे बड़ा सम्मान रहा है.'
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उन्होंने मुख्यमंत्री फडणवीस के निरंतर समर्थन की सराहना की, जिसने उन्हें अपने कर्तव्यों को दृढ़ता और विश्वास के साथ निभाने में सक्षम बनाया. महाराष्ट्र कैबिनेट की मंगलवार को हुई बैठक में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने औपचारिक रूप से घोषणा की कि राज्य अब नए महाधिवक्ता की तलाश करेगा. सूत्रों के अनुसार, बिरेंद्र सराफ से अगली नियुक्ति होने तक अपने पद पर बने रहने का अनुरोध किया गया है.
महाराष्ट्र सरकार ने 2022 में बिरेंद्र सराफ को महाधिवक्ता नियुक्त किया था. उनके पास 25 वर्षों से अधिक का कानूनी अनुभव है और उन्होंने मुंबई विश्वविद्यालय से लॉ की पढ़ाई के दौरान तीनों वर्षों में टॉप किया था. सराफ ने 'भारत में मध्यस्थता में न्यायिक हस्तक्षेप' विषय पर अपनी पीएचडी पूरी की है. अपने करियर की शुरुआत में बिरेंद्र सराफ ने भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के चैंबर में जूनियर एडवोकेट के रूप में काम किया.
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वर्ष 2000 में डीवाई चंद्रचूड़ के बॉम्बे हाई कोर्ट के जज बनने के बाद, बिरेंद्र सराफ ने पूर्व महाधिवक्ता रवि कदम के चैंबर में काम किया. 2020 में उन्हें वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया था. उन्होंने कई हाई-प्रोफाइल मामलों में का कोर्ट में प्रतिनिधित्व किया. 2020 में, उन्होंने अभिनेत्री कंगना रनौत का प्रतिनिधित्व किया, जब बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) ने उनके बांद्रा स्थित संपत्ति पर तोड़फोड़ की थी. बॉम्बे हाई कोर्ट ने बीएमसी के तोड़फोड़ के नोटिस को रद्द कर दिया था.
इसके अलावा, बिरेंद्र सराफ ने नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के पूर्व अधिकारी समीर वानखेड़े के पिता ध्यानेस्वर वानखेड़े का कोर्ट में प्रतिनिधित्व किया, जब उन्होंने तत्कालीन कैबिनेट मंत्री नवाब मलिक के खिलाफ याचिका दायर की थी. सराफ ने अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी के लिए भी मुकदमे लड़े, जब उन्होंने अपने पति की गिरफ्तारी से जुड़े मानहानिकारक सामग्री को रोकने के लिए मीडिया हाउस के खिलाफ याचिका दायर की थी. उन्होंने फिल्म ‘जर्सी’ के निर्माताओं का प्रतिनिधित्व किया, जब एक लेखक ने कॉपीराइट उल्लंघन का दावा करते हुए मुकदमा दायर किया था.