महाराष्ट्र की सियासत में बीजेपी (BJP) और शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP-SP) के बीच कैंपेन वॉर छिड़ गया है. एनसीपी-एसपी ने भाजपा के 'देवाभाऊ' कैंपेन के जवाब में 'देवा तूच सांग' (हे भगवान, तू ही बता) नाम से एक तीखा विज्ञापन अभियान शुरू किया है. यह कैंपेन आगामी स्थानीय निकाय चुनावों से पहले दोनों दलों के बीच छिड़ी सियासी जंग को और तेज कर रहा है.
भाजपा का 'देवाभाऊ' कैंपेन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को एक प्रिय और सम्मानित नेता के रूप में पेश करता है. अखबारों में फुल पेज के विज्ञापनों और होर्डिंग्स के जरिए देवेंद्र फडणवीस को 'देवाभाऊ' कहकर जनता से भावनात्मक अपील की जा रही है, जो उन्हें एक बड़े भाई जैसे प्यारे चेहरे के रूप में स्थापित करने की कोशिश है. वहीं एनसीपी-एसपी ने बीजेपी के कैंपेन को सीधे चुनौती देते हुए अपना कैंपेन लॉन्च किया, जो व्यक्तिगत तारीफों के बजाय सरकार की नाकामियों पर सवाल उठाता है.
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'देवा तूच सांग' कैंपेन में भगवान को साक्षी मानकर सरकार से सवाल पूछे गए हैं. इसमें किसानों के ऋण माफी की समयसीमा, 2100 रुपये वाली 'लड़की बहिन' योजना की स्थिति और बढ़ती बेरोजगारी के समाधान जैसे मुद्दों पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली सरकार से जवाब मांगे गए हैं. नासिक जैसे शहरों में लगे बैनर और अखबारों के फ्रंट पेज विज्ञापनों ने राज्य भर में हलचल मचा दी है. शरद पवार की पार्टी अपने विज्ञापन के पीछे तर्क दे रही है कि उसका मकसद- राजनीति को व्यक्तित्व-केंद्रित से हटाकर शासन और जनकल्याण पर केंद्रित करना है.
इस पर सीएम देवेंद्र फडणवीस ने तीखा प्रतिक्रिया देते हुए इसे 'राजनीतिक नौटंकी' बताया और विपक्ष पर जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, 'विपक्ष को जनता के बीच जाना चाहिए, न कि भगवान से सवाल पूछने चाहिए. हमारी सरकार ने जो वादे किए, वे पूरे हो रहे हैं. किसान भाइयों की कर्जमाफी हो चुकी है, और लड़की बहिन योजना लाखों महिलाओं तक पहुंच रही है. बेरोजगारी पर हमारी योजनाएं रोजगार पैदा कर रही हैं. शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का यह कैंपेन महज हताशा का नतीजा है.'
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यह विज्ञापन युद्ध महायुति गठबंधन के भीतर भी सवाल खड़े कर रहा है. डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने हाल ही में ऐसे विज्ञापनों पर कहा था कि 'क्रेडिट लेने की होड़ नहीं है, हम टीम के रूप में काम कर रहे हैं.' एनसीपी-एसपी के विधायक रोहित पवार ने तो यहां तक आरोप लगाया कि ये विज्ञापन गठबंधन के किसी मंत्री ने फंड किए हैं. एनसीपी-एसपी का यह कैंपेन विपक्ष को मजबूत करने का प्रयास है, लेकिन भाजपा इसे नजरअंदाज कर अपनी विकास योजनाओं पर फोकस करेगी. आगामी स्थानीय निकाय चुनावों में यह जंग और तीखी होने के आसार हैं.