महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में सियासी हलचल तेज हो गई है. शनिवार को पुणे में दिलचस्प घटना हुई जब एनसीपी प्रमुख अजित पवार और एनसीपी (पवार) के नेता शरद पवार जिला योजना एवं विकास समिति (DPDC) की बैठक में शामिल होने के लिए पहुंचे. यहां के गार्जियन मिनिस्टर होने के नाते अजित पवार विकास परिषद बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे और उन्होंने शरद पवार से कहा कि आपको सवाल उठाने का अधिकार नहीं है.
बैठक के दौरान अजित पवार ने शरद पवार पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि आप सिर्फ आमंत्रित सदस्य हैं और आपको डीपीडीसी की बैठक में सवाल उठाने का अधिकार नहीं है. अजित पवार ने कहा कि विधायक सांसद समिति की बैठकों में सिर्फ आमंत्रित सदस्य होते हैं और जिला नियोजन समिति की बैठक में उन्हें बोलने और सवाल उठाने का कोई अधिकार नहीं है. इस बैठक में शरद पवार के अलावा सांसद सुप्रिया सुले भी मौजूद थीं.
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बैठक में पहुंचे थे शरद पवार
बैठक के दौरान पुणे में महत्वपूर्ण कार्यों के बारे में सवाल पूछने पर अजित पवार ने सुप्रिया सुले और शरद पवार से कहा कि नियमों के अनुसार विधायकों और सांसदों को जिला नियोजन समिति की बैठक में बोलने या सवाल उठाने का अधिकार नहीं है. यहां शरद पवार, सुप्रिया सुले, अमोल कोल्हे और कुछ विधायक अपने निर्वाचन क्षेत्र के सवाल, मुद्दे और समस्याएं उठा रहे थे.
शरद पवार ने सवाल करते हुए कहा था, 'कृपया तहसीलवार आंकड़े दिखाएं कि किसको कितना फंड आवंटित किया गया है और उन्होंने विकास कार्यों पर कैसे खर्च किया है. इससे अधिक स्पष्टता होगी. सभी को समझ में आ जाएगा.'
इस पर अजित पवार ने कहा, 'बैठक में केवल डीपीडीसी के सदस्य ही बोल सकते हैं. अन्य आमंत्रित सदस्यों को जिला योजना समिति की बैठक में बोलने और सवाल उठाने का कोई अधिकार नहीं है.'
शरद पवार जब कुर्सी से उठ गए थे
इससे पहले जब अजित पवार जिला योजना एवं विकास समिति की बैठक में शामिल होने के लिए पुणे पहुंचे तो शरद पवार अपनी कुर्सी छोड़कर खड़े हो गए. हालांकि, एनसीपी (एसपी) की बारामती सांसद सुप्रिया सुले ने दावा किया कि उनके पिता ने खड़े होकर प्रोटोकॉल का पालन किया, लेकिन जब डिप्टी सीएम ने विकास निधि के वितरण के बारे में सवाल पूछा तो उन्होंने आपत्ति जताई. 83 वर्षीय शरद पवार ने राज्यसभा सदस्य के रूप में यहां जिला योजना और विकास परिषद (डीपीडीसी) की एक बैठक में भाग लिया था.
सुले का दावा
सुले ने शाम को पिंपरी चिंचवड़ में अपनी पार्टी की रैली में कहा, "वह प्रोटोकॉल का पालन करने के लिए खड़े हुए और सभी राजनीतिक कार्यकर्ताओं को इससे प्रेरणा लेनी चाहिए." अजित ने पिछले साल अपने चाचा के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व किया और महाराष्ट्र में शिवसेना-भाजपा सरकार में शामिल होने के लिए NCP को विभाजित कर दिया. रैली में बोलते हुए सुले ने आगे कहा कि शरद पवार ने डीपीडीसी की बैठक के दौरान विकास निधि के तहसीलवार वितरण के बारे में जानकारी मांगी और कलेक्टर ने कहा कि उन्हें आवश्यक जानकारी मिल जाएगी.
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सुले ने दावा किया, लेकिन अजित पवार ने एक सरकारी संकल्प (आदेश) का हवाला दिया और कहा कि सांसद और विधायक इन बैठकों के दौरान फंड वितरण या वोट के बारे में सवाल नहीं पूछ सकते हैं क्योंकि वे केवल आमंत्रित सदस्य हैं. उन्होंने कहा कि, "हम यही कह रहे हैं, सत्तारूढ़ दल तानाशाही लाना चाहता है और संविधान बदलना चाहता है. मेरे पास वह जीआर है, जिसमें कहा गया है कि आमंत्रित लोग प्रश्न पूछ सकते हैं और डीपीडीसी बैठक में अपने विचार रख सकते हैं हम प्रश्न पूछ सकते हैं."