झारखंड की कोडरमा लोकसभा सीट सें सांसद भाजपा के रविन्द्र कुमार राय हैं. उन्होंने साल 2014 के लोकसभा चुनाव में कम्युनिस्ट पार्टी के राजकुमार यादव को लगभग 1 लाख मतों के अंतर से शिकस्त दी. इस सीट से झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बाबू लाल मरांडी 2019 में लोकसभा चुनाव लड़ेंगे.
कोडरमा को झारखंड का प्रवेशद्वार के नाम से भी जाना जाता है. झारखण्ड का कोडरमा जिला शहरी क्षेत्र है जो अपनी "अभ्रक नगरी" के सग्रह के रूप मे जाना जाता है. अंग्रेजों के शासन में आदिवासियों के विद्रोह का गवाह कोडरमा रहा है. फिलहाल यह इलाका नक्सल प्रभावित है. इस लोकसभा सीट के अन्तर्गत 6 विधानसभा सीटें आती हैं. इस सीट पर पांचवे चरण में मतदान होगा.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
इस सीट पर पहली बार 1977 में चुनाव हुआ. पहले चुनाव में जनता पार्टी के टिकट पर आरएलपी वर्मा जीते. 1980 में वह बीजेपी के टिकट पर जीते. 1984 में कांग्रेस के तिलकधारी सिंह जीतने में कामयाब हुए. 1989 में बीजेपी के टिकट पर आरएलपी वर्मा फिर जीते. 1991 में जनता दल के मुमताज अंसारी जीते.
1996 और 1998 का चुनाव बीजेपी के टिकट पर आरएलपी वर्मा फिर जीतने में कामयाब हुए. 1999 में कांग्रेस के टिकट पर तिलकधारी सिंह जीते. 2004 में बीजेपी के टिकट पर बाबू लाल मरांडी जीते. 2006 (उपचुनाव) में वह बतौर निर्दलीय प्रत्याशी जीते. फिर 2009 में बाबू लाल मरांडी झारखंड विकास मोर्चा के टिकट पर जीते. 2014 में इस सीट से डॉ. रविंद्र कुमार राय जीते.
सामाजित तानाबाना
इस लोकसभा सीट के अन्तर्गत छह विधानसभा सीटें (कोडरमा, बरकथा, धनवर, बगोदर, जमुआ और गंदे) आते हैं. इसमें जमुआ अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. 2014 के आम चुनाव के दौरान इस सीट पर मतदाताओं की संख्या करीब 16.39 लाख थी. इसमें 8.70 लाख पुरुष और 7.69 लाख महिला मतदाता शामिल हैं.
2014 का जनादेश
2014 के चुनाव में बीजेपी के रविंद्र कुमार राय ने कम्यूनिस्ट पार्टी के राज कुमार यादव को हराया था. रविंद्र कुमार राय को 3.65 लाख और राज कुमार यादव को 2.66 लाख वोट मिले थे.
सांसद का रिपोर्ट कार्ड
चुनाव में दिए गए हलफनामे के मुताबिक, सांसद रविंद्र कुमार राय के पास 1.05 करोड़ की संपत्ति है. इसमें 46 लाख की चल संपत्ति और 59 लाख की अचल संपत्ति शामिल है. उनके ऊपर 2 लाख की देनदारी है. जनवरी, 2019 तक mplads.gov.in पर मौजूद आंकड़ों के अनुसार, राम टहल चौधरी ने अभी तक अपने सांसद निधि से क्षेत्र के विकास के लिए 18.66 करोड़ रुपए खर्च किए हैं. उन्हें सांसद निधि से अभी तक 22.84 करोड़ मिले हैं. इनमें से 4.17 करोड़ रुपए अभी खर्च नहीं किए गए हैं. उन्होंने 81 फीसदी अपने निधि को खर्च किया है.