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लद्दाख में सीबकथोर्न ने बदली किसानों की तकदीर, जिसे खाकर जिंदा रही थी चंगेज खां की सेना

डीआरडीओ ने पहले सीबकथोर्न से च्यवनप्राश और जूस तैयार किए. इसके पत्तों से चाय बनाई गई जो काफी लोकप्रिय होने के साथ-साथ सियाचिन जैसी ऊंचाई वाली जगहों पर सैनिकों को काफी मददगार साबित हुई.

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लद्दाख बेरी के नाम से जाना जाता है फल
लद्दाख बेरी के नाम से जाना जाता है फल

जम्मू कश्मीर के लद्दाख क्षेत्र में वैसे तो ठन्डे मौसम और ऊंचाई के चलते बहुत कम खेती हो पाती है. लेकिन पिछले कुछ साल से इस क्षेत्र में उगने वाली झाड़ी ने किसानों की तकदीर बदल दी है. यह कांटे वाली झाड़ी सीबकथोर्न के नाम से जानी जाती है जिस पर छोटे छोटे-बेरी (बेर का फल) भी उगते हैं. कहा जाता है जब चंगेज़ खान दुनिया पर कब्ज़े के लिए चला था तभी उसकी सेना को मंगोलिया के पहाड़ में खाने के लिए कुछ भी नहीं मिल रहा था तब उन्होंने सीबकथोर्न खाये जो खाने में काफी कड़वे होते हैं लेकिन उस के खाने से वह कई दिनों तक मंगोलिया के पहाड़ों में लड़ते रहे.

भारत के लद्दाख क्षेत्र में सीबकथोर्न अपने आप कुदरती तरीके से उगता है. कई साल पहले लद्दाख क्षेत्र में किसान इस झाड़ी में बहुत तेज़ कांटे होने के चलते इसको खेतों के चारों और बाड़बंदी के लिए लगाते थे ताकि खेतों को जानवरों से बचाया जा सके. लेकिन पिछले 10 साल से अब सीबकथोर्न का फल लद्दाख में किसानों की तकदीर बदल रहा है. लद्दाख में स्थित डिहार (डिफेंस इंस्टिट्यूट ऑफ हाई एल्टीट्यूड रिसर्च) ने पिछले 15 साल से इस फल पर रिसर्च करके इस फल को काफी ताकतवर और लाभदायक पाया.

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इस झाड़ी पर रिसर्च करने के बाद इसके फल को ऑक्सीडेंट पाया गया जो ऊंचाई वाले इलाकों में लोगों को सेहतमंद और रोगमुक्त बनाने के लिए सबसे बेहतर आहार था. DRDO ने पहले सीबकथोर्न से च्यवनप्राश और जूस तैयार किए. इसके पत्तों से चाय बनाई गई जो काफी लोकप्रिय होने के साथ-साथ सियाचिन जैसी ऊंचाई वाली जगहों पर सैनिकों को काफी मददगार साबित हुई.

पिछले साल ही योगगुरु राम देव की संस्था पतंजलि ने DRDO के साथ करार करके सीबकथोर्न के उत्पाद तैयार करने के लिए करार किया और किसानों में यह फल खरीदने की होड़ लग गई. नतीजन किसान सीबकथोर्न को, जो अब लद्दाख बेरी के नाम से भी जाना जाता है 20 से 30 रुपए प्रति किलो खरीदने लगे. अब लद्दाख में सीबकथोर्न को उगाने के लिए किसान भी उतावले हो गये हैं.

माना जा रहा है कि सीबकथोर्न लद्दाख क्षेत्र में आने वाले साल में किसानों की तकदीर बदल सकती है. DRDO की तरफ से पिछले 2 दिन से लद्दाख में सीबकथोर्न पर एक नेशनल सेमीनार का आयोजन हो रहा है जिसमें किसानों को इस फल की खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है. लद्दाख क्षेत्र में उगने वाली इस नायाब चीज को लोगों की थाली का हिस्सा बनाया जा सके.

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डीओपी चौरसिया जो इस फल पर पिछले कई साल से रिसर्च कर रहे हैं, वह मानते हैं कि आने वाले साल में सीबकथोर्न के फायदे जान कर लोग इस फल के उत्पादों को खरीदने के लिए कोई भी कीमत देने को तैयार होंगे. साथ ही इसका सीधा फायदा लद्दाख क्षेत्र के किसानों को होगा यह फल उगाते हैं. वह यह भी मानते हैं कि पिछले 5 साल में लद्दाख में सीबकथोर्न उगाने वाले किसानों की तादाद भी दोगुनी हो गई है.

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