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हिमाचल कैबिनेट में प्रतिभा सिंह समर्थकों का दबदबा, नेताओं को साधने में जातीय-क्षेत्रीय संतुलन नहीं बना सकी कांग्रेस

हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनने के करीब एक महीने के बाद सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने रविवार को कैबिनेट विस्तार किया, जिसमें सात नेताओं ने मंत्री पद की शपथ ली. सुक्खू कैबिनेट में प्रतिभा सिंह के करीबी नेताओं को खास तवज्जे दी गई है, जिसके चलते कांग्रेस हिमाचल में जातीय समीकरण और क्षेत्रीय संतुलन नहीं बना सकी?

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प्रतिभा सिंह और सीएम सुखबिंदर सिंह सुक्खू
प्रतिभा सिंह और सीएम सुखबिंदर सिंह सुक्खू

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने करीब एक महीने बाद मंत्रिमंडल का विस्तार किया. शिमला राजभवन में रविवार को सात विधायकों को मंत्री पद की शपथ शपथ दिलाई गई. हिमाचल सरकार की कमान भले ही सुक्खू को मिली हो, लेकिन मंत्रिमंडल में 'हॉलीलॉज' को खास तवज्जो मिली है. वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह और सीएम सुक्खू के बीच बैलैंस बनाने के चक्कर में कांग्रेस न तो जातीय समीकरण साध सकी और न ही प्रदेश का क्षेत्रीय संतुलन बना सकी. हालांकि, कैबिनेट में अभी भी तीन मंत्री पद खाली हैं. 

हिमाचल मंत्रिमंडल का गठन

विधानसभा चुनाव नतीजे आने के एक महीने के बाद रविवार को कहीं जाकर कैबिनेट का गठन हुआ. सुक्खू कैबिनेट में पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रादित्य सिंह सहित 7 नेताओं ने मंत्री पद की शपथ ली. ज्वाली से विधायक चंद्र कुमार, सोलन से विधायक धनीराम शांडिल्य, किन्नौर से विधायक जगत सिंह नेगी, शिलाई से विधायक हर्षवर्द्धन चौहान, शिमला ग्रामीण से विधायक अनिरुद्ध सिंह और जुब्बल कोटखाई से विधायक रोहित ठाकुर को मंत्री पद की शपथ दिलवाई गई है. वहीं, सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू और डिप्टीसीएम मुकेश अग्निहोत्री पहले ही शपथ ले चुके थे. 

कैबिनेट में प्रतिभा सिंह का दबदबा

हिमाचल की सियासत में अस्सी के दशक से कांग्रेस जब भी सत्ता में आई है तो मुख्यमंत्री की कुर्सी पर वीरभद्र सिंह बैठते रहे हैं. वीरभद्र सिंह के निवास को होली लॉज के नाम से जाना जाता है. ऐसे में जब-जब हिमाचल में कांग्रेस सत्ता में आई सीएम होली लॉज से ही मिलता रहा यानी वीरभद्र सिंह बनते रहे. वीरभद्र सिंह की सियासी विरासत उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह व बेटे विक्रादित्य सिंह संभाल रहे हैं. इस बार कांग्रेस सत्ता में वापसी करने के बाद सीएम की रेस में प्रतिभा सिंह, मुकेश अग्निहोत्री और सुखविंदर सुक्खू दावेदार थे. जिसमें बाजी सुक्खू के हाथ लगी. 

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सुखविंदर सिंह सुक्खू भले ही मुख्यमंत्री बन गए, लेकिन मंत्रिमंडल के गठन में प्रतिभा सिंह का दबदबा दिखा. प्रतिभा सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह को कैबिनेट में जगह दी गई है. साथ ही होली लॉज के करीबी रोहित ठाकुर और अनिरुद्ध सिंह को मंत्री बनाया गया है. इसके अलावा डिप्टीसीएम मुकेश अग्निहोत्री को भी प्रतिभा सिंह गुट के माने जाते हैं. विक्रमादित्य महज दूसरी बार ही विधायक बने हैं और कैबिनेट में उन्हें जगह देकर उनकी पॉलिटिकल लॉन्चिंग हिमाचल की सियासत में कर दी गई है. 

क्षेत्रीय संतुलन नहीं बना सकी कांग्रेस

सुक्खू कैबिनेट में शिमला जिले में तीन मंत्री बनए गए हैं जबकि हिमाचल के सबसे बड़े जिले कांगड़ा से सिर्फ एक मंत्री ही मिल सका है. तीन जिले से एक-एक मंत्री बनाए हैं तो पांच जिले ऐसे रहे, जहां से किसी भी विधायक को कैबिनट में जगह नहीं मिल पाई है. शिमला जिले से विक्रमादित्य सिंह, रोहित ठाकुर और अनिरुद्ध सिंह को मंत्री बनाया गया है तो सोलन से धनीराम शांडिल्य, किन्नौर से जगत सिंह नेगी और सिरमौर से हर्षवर्धन चौहान को मंत्री पद मिला है. हमीरपुर से मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू और ऊना से डिप्टीसीएम मुकेश अग्निहोत्री हैं. 

शिमला जिले से जिन तीन नेताओं को मंत्री बनाया गया है, वो सभी प्रतिभा सिंह के करीबी हैं. ऐसे में साफ जाहिर होता है कि सीएम सुक्खू और प्रतिभा सिंह के बीच संतुलन बनाने के चक्कर में क्षेत्रीय समीकरण और बैलेंस नहीं बना सकी. प्रतिभा सिंह के मुख्य गढ़ शिमला और उसके आसपास इलाके को ही तवज्जो मिले है. पांच जिले से एक भी मंत्री नहीं बनाया गया है. ऐसे में कांग्रेस क्षेत्रीय संतुलन बनाने में फेल रही है.  

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मंत्रिमंडल में ठाकुरों का वर्चस्व

सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू अपने मंत्रिमंडल में सिर्फ क्षेत्रीय ही नहीं बल्कि जातीय भी नहीं बना सके. कैबिनेट में सिर्फ एक ही जातीय का पूरी तरह से वर्चस्व कायम है. मुख्यमंत्री और डिप्टीएम सहित मंत्रिमंडल में कुल 9 सदस्य शामिल हैं, जिसमें से सात ठाकुर मंत्री हैं तो एक ब्राह्मण और एक दलित समुदाय का मंत्री बनाया गया है. इस तरह से सुक्खू कैबिनेट पूरी तरह से ठाकुर डोमिनेटेड हैं. डिप्टीसीएम मुकेश अग्निहोत्री ब्राह्मण हैं तो मंत्री धनीराम शांडिल अनुसूचित जाति से आते हैं. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू सहित बाकी मंत्री ठाकुर समुदाय से हैं. 

ठाकुर समुदाय को नेताओं के कैबिनेट में अहमियत देकर पार्टी ने 2024 के लोकसभा चुनाव में सियासी फायदा उठाने की कवायद की है, क्योंकि प्रदेश में सबसे ज्यादा ठाकुर समुदाय की आबादी है. हिमाचल में ठाकुर समुदाय की आबादी करीब 32 फीसदी है और उसके बाद दलित समुदाय 25 फीसदी है तो ब्राह्मण 16 फीसदी है. इस तरह से कैबिनेट में सिर्फ इन तीन समुदाय को भी जगह मिली है. 

महिला और ओबीसी को नहीं मिली जगह

हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में इस बार कांग्रेस से कोई भी महिला चुनाव नहीं जीत सकी है, जिसके चलते सुखविंदर सिंह सुक्खू की कैबिनेट में किसी भी महिला को मंत्री नहीं बनाया जा सका. इसके अलावा ओबीसी समुदाय से भी किसी को जगह नहीं मिली और न ही आदिवासी समुदाय से किसी को मंत्री बनाया गया है. हिमाचल कैबिनेट में अभी भी तीन मंत्री पद खाली हैं. अनुसूचित जाति की संख्या को देखते हुए एक मंत्री बनाए जाने को लेकर सियासी चर्चांए हैं. 

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वहीं, माना जा रहा है कि भविष्य में कैबिनेट का का विस्तार होता है तो दलित समुदाय आने वाले विधायक यादवेंद्र गोमा, विनय कुमार या फिर रामपुर से नंदलाल में से किसी एक को मंत्री बनाया जा सकता है. इसी तरह ब्राह्मण कोटे से दूसरे चरण के कैबिनेट विस्तार में धर्मशाला से सुधीर शर्मा, ज्वालामुखी से संजय रत्न, नगरोटा बगवां से आरएस बाली और घुमारवी से राजेश धर्माणी में से एक मंत्री मिल सकता है. 

9 में 6 नए चेहरों को मिली तवज्जो 

हिमाचल प्रदेश की सुखविंदर सिंह सुक्खू के 9 सदस्यीय मंत्रिमंडल में 6 नए चेहरों को जगह मिली है. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू इससे पहले कभी भी किसी सरकार में मंत्री नहीं रहे हैं और सीधे मुख्यमंत्री बने हैं. ऐसे ही मंत्रियों में सबसे युवा मंत्री विक्रमादित्य सिंह हैं. रोहित ठाकुर, हर्षवर्धन चौहान, जगत सिंह नेगी और अनिरुद्ध सिंह पहली बार मंत्री बने हैं. वहीं, कैबिनेट में डिप्टीसीएम मुकेश अग्निहोत्री, धनीराम शांडिल और चंद्र कुमार ही ऐसे मंत्री हैं, जो पूर्व की सरकारों में कैबिनेट में शामिल रहे हैं. इस तरह से कैबिनेट में नए चेहरों को जगह जरूर मिली है, लेकिन तीन अनुभवी नेताओं को तजुर्बे का सुक्खू सरकार को फायदा मिल सकता है. 


 

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