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गुरुग्राम के ग्रीनोपोलिस हाउसिंग घोटाले में ईडी का एक्शन, प्रमोटर्स के खिलाफ केस दर्ज, 600 करोड़ के गबन का है आरोप

गुरुग्राम के ग्रीनोपोलिस हाउसिंग घोटाले में ईडी ने थ्री सी शेल्टर्स और उसके प्रमोटरों पर कार्रवाई की है. कंपनी पर 1100 करोड़ से अधिक वसूली के बावजूद फ्लैट न देने और 600 करोड़ से ज़्यादा गबन का आरोप है. ईडी ने 506 करोड़ की संपत्तियां कुर्क कीं और कोर्ट से जब्ती की अनुमति मांगी है. जांच अभी जारी है.

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थ्री सी शेल्टर्स ने 29 टावरों में 1700 से ज्यादा फ्लैट बनाने का वादा किया था (Photo: Representational)
थ्री सी शेल्टर्स ने 29 टावरों में 1700 से ज्यादा फ्लैट बनाने का वादा किया था (Photo: Representational)

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के गुरुग्राम क्षेत्रीय कार्यालय ने थ्री सी शेल्टर्स प्राइवेट लिमिटेड और उसके प्रमोटर्स निर्मल सिंह, विदुर भारद्वाज और सुरप्रीत सिंह सूरी के खिलाफ केस दर्ज किया है. मामला गुरुग्राम की रुकी हुई ग्रीनोपोलिस हाउसिंग परियोजना से जुड़ा है. ये शिकायत 30 जुलाई को साकेत स्थित विशेष पीएमएलए कोर्ट में दी गई थी. अदालत ने 7 अगस्त को आरोपियों को नोटिस भेजा था.

ईडी की यह कार्रवाई तब हुई जब सैकड़ों घर खरीदारों ने दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) से शिकायत की. खरीदारों ने कंपनी और उसके प्रमोटरों पर धोखाधड़ी और विश्वासघात का आरोप लगाया. इन आरोपों पर एफआईआर दर्ज हुई और EOW ने कई चार्जशीट दाखिल कीं. फिलहाल मामला आरोप तय करने के लिए साकेत कोर्ट में लंबित है.

जांच में सामने आया कि थ्री सी शेल्टर्स ने नवंबर 2011 में गुरुग्राम के सेक्टर-89 में ग्रीनोपोलिस प्रोजेक्ट बनाने के लिए ओरिस इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ करार किया था. यह परियोजना 2012 में शुरू हुई और इसमें 29 टावरों में 1700 से ज्यादा फ्लैट बनाने का वादा किया गया था. घर खरीदारों से कुल फ्लैट की कीमत का लगभग 90% यानी 1100 करोड़ से ज्यादा वसूलने के बावजूद कंपनी घर समय पर नहीं दे सकी. 2016 में निर्माण पूरी तरह रुक गया और साइट पर सिर्फ अधूरी इमारतें खड़ी रह गईं.

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ईडी का आरोप है कि कंपनी ने खरीदारों से मिली रकम में से 600 करोड़ से ज्यादा का गबन किया और इसे अलग-अलग तरीकों से अन्य जगहों पर भेज दिया. इस पैसे का बड़ा हिस्सा संबंधित कंपनियों और कोलकाता की फर्जी फर्मों को ट्रांसफर किया गया. जांच में यह भी सामने आया कि निर्मल सिंह के साले हरमीत सिंह ओबेरॉय की कंपनी, ग्लोबस कंस्ट्रक्शन्स प्राइवेट लिमिटेड के जरिए नकली बिल बनाए गए और पैसे बाहर निकाल लिए गए.

ईडी के मुताबिक कंपनी ने अलग-अलग तरीकों से खरीदारों का पैसा हड़प लिया. लगभग 214.09 करोड़ अपने ही ग्रुप की कंपनियों को ट्रांसफर किए गए. 131.46 करोड़ कोलकाता की फर्जी कंपनी एनयू रुचि बार्टर प्राइवेट लिमिटेड के जरिए निकाले गए और 125.67 करोड़ ग्लोबस कंस्ट्रक्शन्स प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से निकाले गए. इसके अलावा करीब 90 करोड़ की कीमत की लगभग दो लाख वर्ग फुट बिना बिकी संपत्ति को भी परियोजना से हटाकर गलत इस्तेमाल किया गया. इन सबके लिए आरोपियों ने खातों में हेरफेर की, फर्जी कंपनियों से लेन-देन दिखाए और नकली लेनदारों का सहारा लेकर पैसों की असली आवाजाही को छिपाया.

ईडी ने बताया कि 25 नवंबर 2024 को आरोपियों से जुड़े कई ठिकानों पर पीएमएलए की धारा 17 के तहत छापे मारे गए थे. इन छापों में कई आपत्तिजनक दस्तावेज़ मिले और diverted यानी इधर-उधर किए गए पैसों से खरीदी गई संपत्तियों का पता चला. एजेंसी ने पीएमएलए की धारा 5(1) के तहत दो अस्थायी कुर्की आदेश भी जारी किए, जिनमें लगभग 506.45 करोड़ की चल-अचल संपत्तियां कुर्क की गईं.

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ईडी ने विशेष अदालत से इन संपत्तियों को जब्त करने की अनुमति मांगी है. ये केस गुरुग्राम के सबसे बड़े रियल एस्टेट घोटालों में से एक माना जा रहा है, जिसमें सैकड़ों घर खरीदार पिछले 10 साल से ज़्यादा समय से परेशान हैं. एजेंसी ने कहा कि धन के लेन-देन और प्रमोटरों से जुड़ी बाकी कंपनियों की जांच अभी भी चल रही है.

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