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प्राकृतिक प्लास्टिक कैफे… प्लास्टिक का वेस्ट दीजिए और खाइए स्वादिष्ट खाना या ढोकला और थेपला

गुजरात के जूनागढ़ में एक अनोखा प्राकृतिक प्लास्टिक कैफे खुला है. यहां प्लास्टिक का वेस्ट देकर कोई भी व्यक्ति स्वादिष्ट खाना का लुत्फ उठा सकता है. डेढ़ साल में प्राकृतिक प्लास्टिक कैफे ने 2 हजार किलो नाश्ते की बिक्री के बदले लिए 3 हजार किलो प्लास्टिक को जमा किया और उसे बेचकर लाखों की कमाई भी की. इस पहल से सखी मंडल की महिलाएं स्वनिर्भर भी बन गईं. 

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प्लास्टिक का कचरा दो, बदले में मिलेगा पौष्टिक खाना.
प्लास्टिक का कचरा दो, बदले में मिलेगा पौष्टिक खाना.

जूनागढ़ में डेढ़ साल पहले एक अनोखा प्लास्टिक कैफे खुला था. यहां ऑर्गेनिक नाश्ते के बदले लिया जाता है घरों और दुकानों में जमा किया गया प्लास्टिक वेस्ट. यानी पैसे की जगह आप प्लास्टिक की पॉलिथीन, बोतल, पन्नी, रैपर आदि देकर यहां के स्वादिष्ट और पौष्टिक व्यंजन का लुत्फ उठा सकते हैं. 

इसी अनोखे कैफे ने डेढ़ साल में 3 हजार किलो प्लास्टिक इकठ्ठा किया. सखी मंडल के इस प्राकृतिक कैफे को रेखा गनात्रा चलाती हैं. उन्होंने बताया कि आजाद चौक स्थित इस प्लास्टिक कैफे में प्लास्टिक के बदले ऑर्गेनिक नाश्ता और ज्यूस दिया जाता है. ढोकला, थेपला, आलू पराठा, पोहा, उपमा जैसे पौष्टिक व्यंजन के बदले में लिया जाता है प्लास्टिक. 

इसके अलावा ताजगी देने वाले और स्वास्थ्य वर्धक नींबू पानी, पुदीने का शरबत, सौख का शरबत और अन्य ज्यूस भी दिया जाता है. इस कैफे में हर रोज 30 से 40 लोग लंच के लिए पहुंचते हैं. 

प्लास्टिक बेच कर 9 लाख की कमाई  

दरअसल, इस अनोखे कैफे में इकठ्ठा की गई प्लास्टिक को रीसायकल करने वाली फैक्ट्रियों में पहुंचाया जाता है. जिससे इस कैफे को 9 लाख की कमाई हुई है. साथ ही शहर में फैलती गंदगी को भी साफ करने में मदद मिलती है. इससे पर्यावरण को भी स्वच्छ रखा जा रहा है. इसीलिए ये कैफे शुरू किया गया है. गिरनार परिक्रमा और भवनाथ क्षेत्र से भी इकठ्ठा किया गया प्लास्टिक यहां पहुंचाया गया है. 

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हर महीने 300 से 350 किलो प्लाटिक इकठ्ठा किया जाता है. बदले में वजन के हिसाब से स्वास्थ्यवर्धक जूस से लेकर ढोकला, गेहूं का पास्ता, तरह-तरह के पराठा और थेपला दिए जाते हैं. ऑर्गेनिक नाश्ता और मिट्टी के बर्तन का उपयोग प्राकृतिक प्लास्टिक कैफे में किया जाता है. 

इस कैफे को शुरू करने वाले तत्कालीन कलेक्टर रचित राज ने इसे शुरू करने के समय ही प्राकृतिक खेती से होने वाली सब्जी और फल का इस्तेमाल करने का प्लान बनाया था. लिहाजा, यहां ऑर्गेनिक नाश्ता ही बनाया जाता है और मिट्टी के बर्तनों में परोसा जाता है. 

ये इस कैफे का खास आकर्षण भी है, जिसके चलते दूर-दूर से लोग यहां नाश्ता और लंच करने पहुंचते हैं. साल भर में 2,000 किलो नाश्ता लोग कर चुके हैं. जिससे एक महीना में 25 हजार रुपये जितनी कमाई भी होती है. जूनागढ़ आने वाले लोगों को ये अनोखा कैफे काफी आकर्षक लगता है.

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